‘पुलिस हमें दिखाए क्या साजिश है और आरोपित की क्या भूमिका है’, खालिद सैफी की जमानत याचिका पर हाई कोर्ट की टिप्पणी
नई दिल्ली। दिल्ली दंगा से साजिश रचने के मामले से जुड़ी जमानत याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर सवाल उठाया है।
न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति मनोज जैन की पीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत दोषसिद्धि या बरी किए जाने के खिलाफ अपील याचिका पर सुनवाई नहीं करने के बजाए केवल आरोपितों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस तरह की याचिकाओं में बहस हमेशा के लिए नहीं चल सकती।
अंतहीन बहस नहीं की जा सकती- कोर्ट
अदालत ने आगे कहा कि पुलिस आरोपितों द्वारा दायर जमानत याचिकाओं के खिलाफ अंतहीन बहस नहीं कर सकती। अभियोजन पक्ष को प्रत्येक आरोपी द्वारा निभाई गई भूमिका को इंगित करने के लिए एक समयसीमा का पालन करने की आवश्यकता है।
प्रकरण में आरोपित यूनाईटेड एगेन्स्ट हेट के संस्थापक खालिद सैफी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि कोई भी समझ सकता है कि आपको एक या सवा घंटा चाहिए, लेकिन हम असीमित समय नहीं दे सकते।
कोर्ट ने कहा- ‘हमें दिखाएं क्या साजिश की’
अदालत ने कहा कि पुलिस हमें दिखाएं कि साजिश क्या है और संबंधित आरोपित की भूमिका क्या है। अपने तर्कों को संक्षेप में प्रस्तुत करें। अदालत सात हजार पेज नहीं पढ़ेगी।
अदालत ने ने इस बात पर जोर दिया कि वह जमानत अर्जी पर केवल गुण-दोष और समानता के आधार पर विचार करेगी। साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि यदि आरोपित समानता पर भी विफल रहते हैं, तो जमानत याचिका खारिज की जाएगी, लेकिन हम इसे कई दिनों तक नहीं सुन सकते।
दिल्ली पुलिस ने दिया वॉट्सएप ग्रुपों की चैट का हवाला
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जान ने सैफी के लिए मामले पर बहस की और अपनी दलीलें पूरी कीं। इसके दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अमित प्रसाद ने आरोपित के वॉट्सएप ग्रुपों की चैट का हवाला देते हुए कहा कि मामले में बड़े पैमाने पर रिकॉर्ड हैं।