फर्जी रिपोर्टिंग करने वाले अनाया डायग्नोसिस सेंटर के खिलाफ गठित जांच कमेटी में खेला ….
डायग्नोसिस सेंटर के संचालक के आगे नतमस्तक
सीएमओ गौतमबुद्ध नगर…
डॉक्टर निरुपमा अत्रे मुख्य चिकित्सा अधिकारी की निगाह में अनुभव हीन…
नोयडा के सेक्टर 52 स्थित अनाया अल्ट्रासाउंड सेंटर पर डॉक्टरो की फर्जी रिपोर्टिंग को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी गौतमबुद्धनगर ने तीन सदस्सीय जांच कमेटी गठित किया था। कमेटी में डॉ ललित कुमार अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्रशासन, डॉ राहुल शर्मा सर्जन एवं डॉक्टर निरुपमा अत्रे अनुभव हीन ? रेडियोलॉजिस्ट को प्रकरण की जांच के लिए नियुक्त किये गए थे। अनाया डायग्नोसिस सेंटर के संचालको ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी गौतमबुद्ध नगर पर दबाव बनाया। सीएमओ संचालको के आगे नतमस्तक हो गए? जांच को लंबा खिंचने का दूसरा रास्ता अख्तियार किया। सीएमओ ने राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान गौतमबुध नगर को जाँच के लिए रेडियोलॉजिस्ट नियुक्ति करने का अनुरोध किया। आयुर्विज्ञान संस्थान ने जांच के लिए मना कर दिया. अब जनाना यह कि जो भी डॉक्टर रेडियोलॉजिस्ट* पैनल में थे क्या पहले नहीं पता था कि जिस रेडियोलॉजिस्ट से पूरा नोएडा जांच कराता है वह अनुभव हीन है यह पैनल किसी काम का नहीं है.
आनन-फानन में जारी पत्र में प्रेषक में मुख्यचिकित्सा अधिकारी के बजाय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लिखना . ताकि प्रकरण को लटकाया जा सके? फर्जी डायग्नोस्टिक सेंटर संचालको को सीएमओ कार्यालय से संरक्षण कैसे मिलता है यह इसका जीता जागता उदाहरण है
दरअसल नोएडा के सेक्टर 52 स्थित अनन्या डायग्नोसिस सेंटर का है जहां डॉ शिवानी ने विगत 13 अप्रैल को एक दैनिक अख़बार के संपादक की पत्नी का अल्ट्रासाउंड किया। अल्ट्रासाउंड में मरीज के गुर्दे में 17.5 एमएम पथरी होने की रिपोर्ट दिया। परिजनों को संदेह हुआ तो उन्होंने नोएडा सेक्टर 61 स्थित डॉ मोनिका के दूसरे अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जाकर दोबारा से अल्ट्रासाउंड कराया। तो पता चला की पथरी जैसी कोई बात नहीं है। विश्वास और अविश्वास के बीच झूलता यह परिवार एक बार फिर से 21 अप्रैल 23 को नोएडा सेक्टर 11 स्थित मेट्रो हॉस्पिटल फिर से अल्ट्रासाउंड कराया। इस बार भी पथरी जैसी कोई रिपोर्ट नहीं आई । अल्ट्रासाउंड डायग्नोसिस सेंटर संगठित अपराध की तरह व्यवहार कर रहे हैं। इसमें कहीं ना कहीं चिकित्सा विभाग के आला अधिकारी भी सम्मिलित हैं।