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10 रुपये तक बढ़ सकते हैं पेट्रोल और डीजल के प्राइस

नई दिल्ली । सरकार एक्साइज ड्यूटी में कटौती कर रूस-यूक्रेन युद्ध से कच्चे तेल की कीमत में लगी आग को बुझा सकती है. केंद्र सरकार द्वारा पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले उत्पाद शुल्क में कटौती को लेकर वित्त मंत्रालय में मंथन शुरू हो गया है. युद्ध की वजह से कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमत पिछले 7 साल में पहली बार 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गई है. इसका सीधा असर देश की पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियों की वित्तीय सेहत पर देखा जा सकता है।

क्रूड की कीमतें 120 डॉलर तक जा सकती हैं

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में तेजी के बावजूद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में पिछले कई हफ्तों से कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. कई अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भविष्यवाणी की है कि अगर युद्ध की स्थिति बनी रही तो कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है।

पेट्रोल-डीजल के दाम 10 रुपये तक बढ़ सकते हैं

सूत्रों के मुताबिक, पेट्रोलियम मार्केटिंग कंपनियां मौजूदा हालात में पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमतों में कम से कम 10 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी करना चाहती हैं। इससे खुदरा महंगाई को बढ़ावा मिलेगा, जो जनवरी में पहले ही 6 फीसदी को पार कर चुकी है। ऐसे में वित्त मंत्रालय पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती करने पर विचार कर रहा है।

तेल की कीमतों पर सरकार की नजर

पिछले साल दिवाली से ठीक पहले, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की कमी की घोषणा की थी। फिलहाल केंद्र सरकार पेट्रोल पर 27.90 रुपये और डीजल पर 21.80 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क लगाती है। दो दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि कच्चे तेल की बढ़ती कीमत निश्चित रूप से सरकार के लिए एक चुनौती है और सरकार पूरी स्थिति पर नजर रखे हुए है.

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