अंतर्राष्ट्रीय

भारत के खिलाफ नई साजिश रच रहा पाकिस्तान, रिपोर्ट से हुआ खुलासा-जानें क्या है पड़ोसी मुल्क के इरादे

वाशिंगटन: भारत की शांति अशांत पाकिस्तान से नहीं दिख रही है, इसलिए उसने फिर से साजिश रचनी शुरू कर दी है. एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने भारत में नफरत फैलाने, सांप्रदायिक सद्भाव को बाधित करने और चरमपंथ को बढ़ावा देने की अपनी पिछली रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। आपको बता दें कि शांति भंग करने के लिए पाकिस्तान भारत के खिलाफ जिहादी गतिविधियों का समर्थन करता रहा है और अब एक बार फिर अपनी पुरानी रणनीति पर चलते हुए नापाक मंसूबों को अंजाम देने लगा है.

अमेरिकी थिंक टैंक हडसन इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान के सुरक्षा तंत्र ने दशकों से लक्षित जिहादी और खालिस्तानी समूहों का समर्थन करना शुरू कर दिया है। इस गतिविधि का फिर से शुरू होना भारत के साथ-साथ अमेरिकी सुरक्षा व्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है। गौरतलब है कि जर्मनी में हालिया गिरफ्तारियां भारत में चरमपंथ फैलाने के लिए इस्लामाबाद के समर्थन को दर्शाती हैं। पिछले साल दिसंबर में जसविंदर सिंह मुल्तानी को लुधियाना की एक अदालत में कथित तौर पर विस्फोट करने के आरोप में जर्मनी से गिरफ्तार किया गया था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों ने हमले के लिए यूरोप स्थित सिख अलगाववादियों को जिम्मेदार ठहराया था और आरोप लगाया था कि मुल्तानी हमले का मास्टरमाइंड था। अधिकारियों का मानना ​​​​था कि मुल्तानी के पाकिस्तान के साथ संबंध थे और वह सीमा पार से पंजाब में हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी में शामिल था। हडसन इंस्टीट्यूट के अनुसार, जसविंदर सिंह मुल्तानी कथित तौर पर सिख फॉर जस्टिस मूवमेंट (एसएफजे) के एक प्रमुख सदस्य हैं। एसएफजे के सार्वजनिक चेहरे गुरपतवंत सिंह पन्नून ने मुल्तानी के साथ अपने घनिष्ठ संबंध का खुलासा करते हुए इस तथ्य की पुष्टि की है।

वर्षों से, सिख फॉर जस्टिस पाकिस्तान के प्रधान मंत्री, रूस और चीन के राष्ट्रपतियों को भारत के खिलाफ समर्थन मांगने के लिए सार्वजनिक पत्र लिख रहा है। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि खालिस्तान का मुद्दा भारत के लिए विशुद्ध रूप से आंतरिक मुद्दा हो सकता है, लेकिन हाल ही में अमेरिका के भीतर खालिस्तान से संबंधित भारत विरोधी सक्रियता में वृद्धि भारत-प्रशांत क्षेत्र में अमेरिका-भारत संबंधों के लिए खतरा है। इसलिए चीन का अहम सहयोगी माने जाने वाला पाकिस्तान इसमें एक स्वार्थी देश रहा है जिसका मकसद भारत-अमेरिका सहयोग को कमजोर करना है.

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