नवरात्रि के दूसरे दिन होती है मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, जानें पूजा विधि,भोग और मंत्र
नई दिल्ली, Shardiya Navratri 2022: शारदीय नवरात्र का दूसरा माता आदिशक्ति की दूसरी सिद्ध स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। माना जाता है कि देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सभी कार्य सफल होते हैं और सुख-समृद्धि समृद्धि की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा और उनका मंत्र।
कैसा पड़ा मां दुर्गा का ब्रह्मचारिणी नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पार्वती के रूप में पर्वतराज के घर में पुत्री के रूप में हुआ था। भगवान शिव से शादी के लिए नारद जी ने मां पार्वती को व्रत रखने की सलाह दी थी। भगवान शिव को पाने के लिए देवी मां ने निर्जला, निराहार होकर कठोर तपस्या की थी। हजारों साल तपस्या करने के बाद ही मां पार्वती को तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है।
कैसा है मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप
मां दुर्गा के दूसरे अवतार मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की बात करें, तो उन्होंने दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल रहता है। देवी ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप है यानी तपस्या का मूर्तिमान रूप है।
ऐसे करें मां ब्रह्मचारिणी पूजा विधि
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह के समय उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान आदि करके साफ-सुथरे वस्त्र पहन लें। इसके बाद मां दुर्गा का मनन करें। अगर आपके कलश की स्थापना की है, तो उसकी पूजा विधिवत तरीके से करें। इसके बाद मां दुर्गा और उनके स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। सबसे पहले मां को जल अर्पित करें। इसके बाद फूल, माला, रोली, सिंदूर चढ़ा दें। फिर एक पान में सुपारी, लौंग, इलायची , बताशा और सिक्का रखकर चढ़ा दें। फिर भोग में मिठाई आदि खिला दें। इसके बाद घी का दीपक और धूप बत्ती जला दें और दुर्गा चालीसा के साथ दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इसके बाद हाथ में एक फूल लेकर मां का ध्यान करें और उनके मंत्रों का जाप करें। अंत में फूल मां के चरणों में अर्पित कर दें और विधिवत तरीके से आरती कर लें।
मां ब्रह्मचारिणी के मंत्र
नवरात्र के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की विधिवत पूजा करें। इसके साथ ही इन मंत्रों का जाप करें।
मंत्र-
1- ‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम:’
2- ब्रह्मचारयितुम शीलम यस्या सा ब्रह्मचारिणी।
सच्चीदानन्द सुशीला च विश्वरूपा नमोस्तुते.
3- या देवी सर्वभेतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
दधाना कर मद्माभ्याम अक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
मां ब्रह्मचारिणी की आरती
जय अंबे ब्रह्मचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्म मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्मचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।
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