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दबंग हत्यारोपी का साथ देने में नपे लखनऊ पीजीआई इंस्पेक्टर, हत्या को बता रहे थे हादसा

लखनऊ। पीजीआई थाना क्षेत्र में रायबरेली हाईवे पर अवैध वसूली के विरोध में हुई ऑटो चालक सुभाष चंद्र पाल की हत्या के मामले में इंस्पेक्टर पीजीआई को निलंबित कर दिया गया है। उन पर अधिकारियों को गुमराह करने और अवैध संचालन न रोक पाने का आरोप है। यह आदेश डीसीपी पूर्वी ने पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर के निर्देश पर जारी किया। वहीं एसीपी कैंट डॉ. अर्चना सिंह की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

पीजीआई क्षेत्र के उतरेठिया में अवैध रूप से ऑटो स्टैंड का संचालन किया जा रहा है। आरोप है कि अवैध वसूली का विरोध करने पर रविवार देर रात ऑटो चालक सुभाष चंद्र पाल की पीटकर हत्या कर दी गई। इस मामले में सुभाष के पिता ने स्टैंड संचालक चंदन मिश्रा और उसके साथियों पर रास्ते में रोककर हत्या करने का आरोप लगा केस दर्ज कराया था। इसकी जानकारी होने पर नवागत पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर ने जांच का आदेश दिया। डीसीपी पूर्वी प्राची सिंह के मुताबिक, शुरूआती जांच में पता चला है कि इंस्पेक्टर देवेंद्र विक्रम सिंह और एसीपी कैंट अर्चना सिंह ने उच्चाधिकारियों को इस वारदात को हादसा बताकर गुमराह करने की कोशिश की लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि हुई। वहीं अवैध स्टैंड के संचालन में भी इनकी भूमिका संदिग्ध मिली। पुलिस कमिश्नर एसबी शिरडकर के आदेश पर इंस्पेक्टर पीजीआई देवेंद्र विक्रम सिंह को निलंबित कर दिया गया। वहीं एसीपी की भूमिका की जांच की जा रही है। इस मामले की पूरी जांच एडीसीपी पूर्वी अली अब्बास को सौंपी गई है। जांच रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी। वहीं हत्या आरोपियों की तलाश में पुलिस की टीमें दबिश दे रही हैं।

इंस्पेक्टर ने अफसरों को बताया था हादसा

मूलरूप से बाराबंकी के लोनीकटरा के नरदही गांव निवासी सुभाष चंद्र पाल वृंदावन सेक्टर-5 डूडा कॉलोनी में रहता था। सुभाष रविवार देर रात आटो लेकर डूडा कॉलोनी जा रहा था। एल्डिको चौकी के पास उतरेठिया बाजार में अवैध आटो स्टैंड संचालक चंदन मिश्रा और उसके साथी कार व बाइक से पहुंचे। चंदन ने साथियों संग सुभाष को घेर लिया था। परिवारीजनों के मुताबिक, विरोध पर चंदन ने गाली-गलौज कर सुभाष को ऑटो से खींचकर सड़क पर गिरा दिया। इस बीच उसके साथियों ने डंडे से ताबड़तोड़ वार किए। चंदन ने ईंट से सुभाष के सिर पर भी कई बार वार किए। राहगीरों ने सुभाष को खून से लथपथ सड़क पर पड़ा देख पुलिस को सूचना दी थी। इस पर पुलिसकर्मी सुभाष को अस्पताल लेकर पहुंचे जहां डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। पूछने पर इंस्पेक्टर देवेंद्र विक्रम सिंह ने उच्चाधिकारियों को बताया था कि सुभाष के ऑटो पर एक पत्थर पड़ा था जिससे शीशा टूट गया और इसके बाद हादसा हो गया था। यह जानकारी पहले उन्होंने अधिकारियों को भी दी थी। इंस्पेक्टर ने पूरे मामले को दबाने की कोशिश की थी।

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