अंतर्राष्ट्रीय

तेजस के बाद सुर्खियों में भारत का पिनाका, इस मिसाइल पर आया आर्मेनिया का दिल, क्‍या है इसकी खूबियां

भारत ने मध्य एशियाई देश आर्मीनिया के साथ हथियारों की एक बड़ी डील की है। इस डील में मिसाइल, रॉकेट के अलावा कई तरह के गोला-बारूद भी शामिल हैं। इस डील से भारत के हथियार उद्योग को बढ़ावा मिलेगा, वहीं आर्मीनिया की सुरक्षा में भी तगड़ा इजाफा होगा। भारत और आर्मीनिया के बीच हथियारों की यह डील लगभग दो हजार करोड़ रुपये में हुई है। इसके तहत भारत आर्मीनिया को पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर बेचेगा। इसी के साथ आर्मीनिया पिनाका रॉकेट लॉन्चर का इस्तेमाल करने वाला पहला विदेशी ग्राहक भी बन जाएगा। पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर को स्वदेशी तकनीक पर विकसित किया गया है। इस रॉकेट लॉन्चर का डिजाइन डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) के लैब आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट ने बनाया है, जबकि इसका निर्माण भारत की ही एक सरकारी और दो प्राइवेट कंपनियां टाटा समूह और लार्सन एंड टुब्रो मिलकर करती हैं।

44 सेकेंड में 12 रॉकेट दाग सकता है पिनाका

पिनाका के लॉन्चर से 44 सेकंड में 12 हाई एक्सप्लोसिव रॉकेट को फायर किया जा सकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 तक, हर साल पिनाका रॉकेट लॉन्चर की लगभग 5000 मिसाइलों का उत्पादन किया जा रहा था। हालांकि, अब इसके एक और उन्नत वेरिेएंट को भी भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है। 2019 से भारत पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर के एक अपग्रेडेड गाइडेड वेरिएंट का परीक्षण कर रहा है। इस वेरिएंट की रेंज करीब 90 किलोमीटर है। इस रॉकेट लॉन्चर को पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं पर प्रमुख रूप से तैनात किया गया है। टाट्रा ट्रक पर माउंट होने के कारण पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर को एक जगह से दूसरी जगह पर बड़ी तेजी से तैनात किया जा सकता है।

44 सेकेंड में 12 रॉकेट दाग सकता है पिनाका

भारतीय सेना रूसी BM-21 ग्रैड रॉकेट लॉन्चर को ऑपरेट करती है। यह रॉकेट लॉन्चर ताकतवर भले ही है, लेकिन इसकी लक्ष्य को साधने की क्षमता काफी खराब है। एक अनुमान के मुताबिक रूसी बीएम-21 ग्रैड से किसी लक्ष्य को सटीकता से साधने के लिए 100 रॉकेट फायर करने की जरूरत होती है। इन्हीं कमियों को दूर करने और रूसी हथियार का स्वदेशी विकल्प ढूंढने के लिए 1981 में भारतीय रक्षा मंत्रालय ने दो परियोजनाओं को मंजूदी दी। इसका उद्देश्य भारतीय सेना के लिए लंबी दूरी तक मार करने वाले आर्टिलरी सिस्टम को विकसित करना था। जुलाई 1983 में भारतीय सेना ने 1994 के बाद से स्वदेशी आर्टिलरी सिस्टम के साथ हर साल एक रेजिमेंट को शामिल करने की योजना को मंजूरी दे दी। इसे रूसी ग्रैड रॉकेट लॉन्चर की जगह तैनात किया जाना था।

भारत ने 26.47 करोड़ रुपये के बजट से शुरू किया था निर्माण

इस आर्टिलरी सिस्टम के विकास के लिए 1986 में 26.47 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया। तब इसे पूरी तरह विकसित करने के लिए दिसंबर 1992 की डेडलाइन रखी गई थी। इस सिस्टम को बनाने की परियोजना का नेतृत्व पुणे में मौजूद डीआरडीओ की शाखा आर्मामेंट रिसर्च एंड डेवलपमेंट इस्टेब्लिशमेंट ने किया। पहले इसे भारत की सरकारी कंपनियां ही मिलकर बनाती थी, लेकिन बाद में ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड पर से निर्भरता को खत्म करने और इसकी लागत को कम करने के लिए प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को शामिल किया गया। ऐसी ही एक कंपनी सोलर इंडस्ट्री के विस्फोटकों से निर्मित पिनाका को पोखरण में भारतीय सेना ने पोखरण फील्ड फायरिंग रेंज में 19 अगस्त 2020 को टेस्ट किया था।

पिनाका की एक बैटरी में कुल 72 रॉकेट शामिल

पिनाका एक पूर्ण मल्टी बैरल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम है। प्रत्येक पिनाका बैटरी में छह लांचर वाहन होते हैं और प्रत्येक में 12 रॉकेट होते हैं। इसमें कमांड पोस्ट, फायर कंट्रोल कंप्यूटर और DIGICORA MET रडार भी ट्रकों पर ही माउंट होते हैं। पिनाका के छह लांचरों की एक बैटरी 1000 मीटर × 800 मीटर के क्षेत्र को पूरी तरह से बर्बाद कर सकती है। सेना आमतौर पर एक बैटरी तैनात करती है जिसमें कुल 72 रॉकेट होते हैं। सभी 72 रॉकेटों को 44 सेकंड में दागा जा सकता है। यह एक किलोमीटर लंबे और एक किलोमीटर चौड़े क्षेत्र को पूरी तरह से तबाह कर सकते हैं। इतना ही नहीं, जरूरत के हिसाब से इसका प्रत्येक लांचर एक अलग दिशा में भी फायर कर सकता है। इस सिस्टम में सभी रॉकेटों को एक ही बार में या कुछ ही समय में दागने की सुविधा भी है।

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