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सरकार एससी/एसटी प्रमाणपत्र पर दिशा-निर्देश छह महीने में जारी करे : समिति

नई दिल्ली। संसद की एक समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को एससी/एसटी प्रमाणपत्र की पुष्टि करने का दिशानिर्देश कर्मचारी के सेवा में शामिल होने के छह महीने के भीतर जारी करना चाहिए।

लोकसभा में मंगलवार को पेश अनुसूचित जाति (एससी)/अनुसूचित जनजाति (एसटी) के कल्याण संबंधी स्थायी समिति की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। समिति ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग को राज्य सरकारों के साथ समन्वय स्थापित करके समयबद्ध तरीके से जाति प्रमाणपत्र की पुष्टि करने का काम करना चाहिए, ताकि इसे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के कर्मचारियों को सेवानिवृति के समय परेशान करने के हथियार के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सके। समिति ने कहा कि कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय को सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम/संगठनों/सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को स्पष्ट निर्देश देना चाहिए कि कर्मी के सेवा में शामिल होने के छह महीने के भीतर जाति प्रमाणपत्र की पुष्टि करे। इसमें कहा गया है कि राज्य स्तर की जांच समिति को छह महीने के भीतर या कर्मचारी की प्रतिपुष्टि से पहले प्रमाणपत्र की पुष्टि करने को कहा जाए, जिसने यह प्रमाणपत्र जारी किया है।

संसद की एक स्थायी समिति ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) निदेशक मंडल में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति से एक भी सदस्य नहीं होने को लेकर नाराजगी जाहिर की है। लोकसभा के पटल पर सोमवार को रखी गई समिति की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया कि इन समुदायों के हितों की पर्याप्त रक्षा के लिए उनका प्रतिनिधित्व अवश्य होना चाहिए। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण पर गौर करने वाली समिति ने सिफारिश की है कि इस विषय को उच्चतर स्तर पर उठाया जा सकता है ताकि एससी और एसटी समुदायों से योग्य सदस्यों का प्रतिनिधित्व निदेशक मंडल में सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त दिशानिर्देश तैयार किया जा सके। समिति ने कहा, इस उद्देश्य के लिए समिति, जरूरत होने पर, रियायत/छूट देने के लिए भी सिफारिश करती है। समिति ने कहा कि यह जिक्र करना दुखद है कि भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीयकृत बैंक एसबीआई के पास एससी/एसटी के लिए कोई अलग योजनाएं नहीं है, जबकि समुदाय की आबादी देश की कुल आबादी की एक तिहाई है।

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