महानायक अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachachan) की साल 1973 में रिलीज हुई फिल्म जंजीर (Zanjeer) काफी चर्चा में रही. इसमें उन्होंने इंस्पेक्टर विजय का रोल निभाया था, जिसके बाद उन्हें ‘एंग्री यंग मैन’ कहा जाने लगा. इस मूवी की रिलीज को 50 साल पूरे हो चुके हैं. इसकी खास बात यह थी कि फिल्म में ऐसी कोई भी चीज नहीं थी जो उस जमाने की फिल्मों में होती थीं। यही वजह है कि इसके निर्देशक को फिल्म बनाने के लिए काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आज जंजीर को सफलता के झंडे गाड़े 50 साल हो गए हैं. ऐसे में हम आपको फिल्म से जुड़े दिलचस्प किस्से बताने जा रहे हैं.
धर्मेंद्र इंस्पेक्टर विजय बनने वाले थे
अमिताभ बच्चन ने अपने एक्टिंग करियर में काफी संघर्षों का सामना कर सदी के महानायक का खिताब हासिल किया है. एक्टर की लाइफ में एक वक्त ऐसा था जब उन्होंने एकसाथ 12 फ्लॉप फिल्में दी थी. जिसकी वजह से कोई भी उनके साथ काम नहीं करना चाहता था. लेकिन जब उन्हें फिल्म ‘जंजीर’ में कास्ट किया गया तो इस फिल्म ने एक्टर की लाइफ ऐसी बदल दी कि बॉलीवुड का हर बड़ा डायरेक्टर अमिताभ के साथ काम करने के लिए तैयार था. दिलचस्प बात ये है कि अमिताभ को कास्ट करने के लिए प्राण ने डायरेक्टर प्रकाश मेहरा से सिफारिश की थी. इससे पहले फिल्म जंजीर में धर्मेंद्र इंस्पेक्टर विजय का रोल करना चाहते थे, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
प्राण की वजह से बने जंजीर के हीरो
फिर प्रकाश मेहरा ये फिल्म दिग्गज एक्टर राजकुमार के पास लेकर गए लेकिन उनके साथ भी फिल्म को लेकर बात नहीं बन पाई. ऐसे ही देव आनंद को भी फिल्म का ऑफर दिया गया था लेकिन वो भी ये फिल्म नहीं कर पाए. फिर प्राण साहब ने प्रकाश मेहरा को फिल्म ‘बॉम्बे टू गोवा’ देखने की सलाह दी और कहा कि आपको ये फिल्म देखने के बाद शायज ‘जंजीर’ का हीरो मिल जाएगा. प्राण साहब की सलाह मानते हुए पापा ने ये फिल्म उन्हीं के साथ देखी और एक अमिताभ बच्चन का एक सीन देखकर वो इतना खुश हो गए कि उसी वक्त उन्होंने अमित जी को फिल्म के लिए कास्ट कर लिया.
सलीम जावेद के स्क्रीनप्ले का कमाल
ये सलीम जावेद के स्क्रीनप्ले का ही कमाल था कि शेर ख़ान (प्राण) की दोस्ती और विलेन तेजा (अजीत) के साथ दुश्मनी, इन दोनों को जैसे पिरोया गया है, वो कहानी को कहीं भी ढीला नहीं होने देती. सलीम जावेद की बात करें तो उन दिनों पोस्टर पर लेखकों का नाम लिखने का चलन नहीं था. दोनों ने प्रकाश मेहरा से कहा कि पोस्टर पर उनका भी नाम होना चाहिए. बीबीसी से बातचीत में जावेद अख़्तर बताते हैं, “जब हमने अपनी ये इच्छा ज़ाहिर की तो हमें बताया गया कि ऐसा होता नहीं है. जब बंबई में ‘ज़ंजीर’ रिलीज़ हुई तो हमने दो जीपें किराए पर लीं, उनमें 3-4 लोग बिठाए, उन्हें सीढ़ियाँ और पेंट दिया और उनसे कह दिया कि बंबई में जहाँ भी ‘ज़ंजीर’ के पोस्टर दिखाई दें, वहाँ लिख दें- रिटेन बाइ सलीम-जावेद. हर पोस्टर पर सलीम जावेद का नाम लिख दिया गया. उसके बाद से ही पोस्टरों पर लेखक का नाम लिखने की शुरुआत हुई.
ज़ंजीर का हिट होना और अमिताभ- जया की शादी
ज़ंजीर में तो अमिताभ बच्चन और जया भादुड़ी का रोमांस था ही दोनों की शादी की कहानी भी ज़ंजीर से जुड़ी हुई है. अपनी नातिन नव्या नंदा के पॉडकास्ट में जया बताती हैं, ‘हमने तय किया था कि अगर हमारी फ़िल्म ज़ंजीर हिट हो गई तो हम छुट्टियाँ मनाने कहीं जाएँगे. तब तक हम दोनों ने 1973 में अक्तूबर में शादी करने का फ़ैसला कर लिया था, जबकि ज़ंज़ीर अप्रैल में रिलीज़ हो गई थी. अमिताभ ने मुझसे कहा कि मेरे माता पिता ने कहा है कि बिना शादी किए हम छुट्टियों पर नहीं जा सकते हैं. तो हमने सोचा कि अक्तूबर की बजाए जून में शादी कर लेते हैं’. अमिताभ की सबसे बेहतरीन फ़िल्म कौन सी है इस पर अंतहीन बहस चलती रही है. लेकिन ज़ंज़ीर को लोग टर्निंग प्वाइंट तो मानते ही हैं.