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Delhi Crime: नाबालिग बेटी से दुष्कर्म कर उसे गर्भवती करने के दोषी पिता को आजीवन कारावास, कोर्ट ने कहा- यह पैशाचिक अपराध

नई दिल्ली। अपनी नाबालिग बेटी के साथ दुष्कर्म करने और उसे गर्भवती करने के दोषी को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने कहा कि यह एक पैशाचिक अपराध है जिसमें कोई नरमी नहीं बरती जानी चाहिए।

तीस हजारी कोर्ट की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश बबीता पुनिया 44 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ एक मामले की सुनवाई कर रही थीं, जिसे अदालत ने जनवरी में दोषी ठहराया था। न्यायाधीश ने कहा कि वो दोषी की सजा कम करने के तर्क से सहमत नही हैं।

फरवरी माह में उसने बच्चे को जन्म दिया

उन्होंने कहा कि वो ऐसे पिता की कल्पना नहीं कर सकती जो अपनी पत्नी और नाबालिग बेटी के बीच अंतर नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि दोषी ने अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ ये कृत्य एक बार नहीं बल्कि बार-बार किया और उसे गर्भवती कर दिया और बीते वर्ष फरवरी माह में उसने बच्चे को जन्म दिया।

न्यायाधीश ने सभी दलीलों को सुनने के बाद कहा कि मामले में ऐसी कोई ठोस और बाध्यकारी परिस्थितियां नहीं हैं जो इस अदालत को आजीवन कारावास की सजा से बचने के लिए उचित ठहराए। उन्होंने कहा कि आजीवन सजा न्याय के साथ-साथ समाज के हित में भी काम करेगी।

नाबालिग लड़की की उम्र 17 साल

अभियोजन पक्ष ने दोषी पर पाक्सो अधिनियम के प्रविधानों के तहत गंभीर यौन उत्पीड़न और दुष्कर्म के लिए दंडात्मक प्रविधानों के तहत आरोप लगाया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि दोषी अधिकतम सजा का हकदार है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि अपने पिता के बच्चे को जन्म देने के समय नाबालिग लड़की की उम्र 17 साल की थी।

शराब के नशे में वह भेद नहीं कर पाया

इसमें यह भी कहा गया कि मुकदमे के दौरान दोषी ने अपनी बेटी को एक पत्र लिखकर उसे भावनात्मक रूप से ब्लैकमेल करने की कोशिश की थी। सुनवाई के दौरान दोषी ने कहा कि वह अपने बुजुर्ग माता-पिता, पत्नी और चार बच्चों वाले परिवार में एकमात्र कमाने वाला था। उसने दलील दी कि शराब के नशे में होने के कारण उसे यह पता नहीं चल सका कि वह उसकी पत्नी है या बेटी।

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