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उत्तराखंड के नए सीएम के लिए दिल्ली के दीनदयाल मार्ग पर की जा रही है दावेदारी, ‘शिष्टाचार’ की मुलाकात के नाम पर ठोक रहे हैं दावा

देहरादून। उत्तराखंड में भाजपा को दो-तिहाई बहुमत मिलने के बावजूद मुख्यमंत्री के नाम को लेकर धुंधलका अभी तक नहीं छट पाया है। यद्यपि, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का दावा मजबूत बना हुआ है, लेकिन मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गुजरात से दिल्ली लौटने के बाद तस्वीर साफ होगी।

यह भी माना जा रहा है कि अगर निर्वाचित विधायकों में से ही किसी की मुख्यमंत्री पद पर ताजपोशी की जाती है तो पार्टी नेतृत्व चौंका भी सकता है। इस बीच महिलाओं की ओर से किसी महिला विधायक को सरकार की कमान सौंपने की मांग उठाई गई है। इस परिदृश्य के बीच सबकी नजर दिल्ली पर टिक गई है।

भाजपा ने इस बार विधानसभा चुनाव में 70 में से 47 सीटें जीती हैं, लेकिन राज्य में उसका चेहरा रहे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी अपनी सीट से चुनाव हार गए। ऐसे में मुख्यमंत्री कौन बनेगा, इसे लेकर ऊहापोह बरकरार है। यद्यपि, धामी को कार्य करने का सीमित समय मिलने के मद्देनजर पार्टी उन्हें फिर से मौका दे सकती है।

अब तक पार्टी के नवर्विाचित छह विधायकों द्वारा धामी के लिए अपनी सीट छोड़ने की पेशकश को इससे जोड़कर देखा जा रहा है। यह भी तर्क दिया जा रहा कि धामी को कमान सौंपने पर उपचुनाव कराना होगा। ऐसी ही स्थिति विधायकों के अलावा किसी अन्य को कमान सौंपने पर बनेगी। इस स्थिति में धामी को ही मौका दिया जा सकता है।

यह बात भी चर्चा के केंद्र में है कि भाजपा नेतृत्व ने पूर्व में जिस तरह गुजरात में नेतृत्व परिवर्तन कर चौंकाया था, वैसा ही पार्टी यहां भी कर सकती है। संभव है कि निर्वाचित विधायकों में से ही किसी नए चेहरे को अवसर दिया जाए। इस क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री और कोटद्वार से नवनिर्वाचित विधायक ऋतु खंडूड़ी भूषण का नाम चर्चा में है।

वर्ष 2012 में भुवन चंद्र खंडूड़ी कोटद्वार सीट से चुनाव हार गए थे और इसी कारण तब भाजपा सरकार बनाने से चूक गई थी। अब कोटद्वार सीट से उनकी पुत्री ऋतु ने चुनाव जीता है। शनिवार को प्रदेश भाजपा कार्यालय में ऋतु खंडूड़ी के स्वागत के दौरान महिला मोर्चा की कार्यकर्त्‍ताओं ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग के समर्थन में नारे भी लगाए। यद्यपि, ऋतु ने स्पष्ट किया कि वह मुख्यमंत्री पद की दौड़ में नहीं हैं। राज्य की बेहतरी के लिए पार्टी नेतृत्व जो निर्णय लेगा, वह सभी को स्वीकार्य होगा।

उधर, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट, निवर्तमान कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डा धन सिंह रावत, बिशन सिंह चुफाल व बंशीधर भगत के नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए पहले से ही चर्चा में हैं। माना जा रहा कि देहरादून से दिल्ली लौटे पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी एवं केंद्रीय प्रल्हाद जोशी और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के गुजरात से लौटने पर वस्तुस्थिति से अवगत कराएंगे। साथ ही अपनी रिपोर्ट केंद्रीय नेतृत्व को सौंपेंगे। इसके बाद पार्टी नेतृत्व मुख्यमंत्री के संबंध में निर्णय लेगा।

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