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शत्रु संपत्ति मामले में सीबीआइ के ताबड़तोड़ छापे, लखनऊ व गाजियाबाद में दो-दो एफआइआर

जिन्हें शत्रु संपत्ति की देखरेख की जिम्मेदारी थी उसी ने करोड़ों की शत्रु संपत्ति का सौदा कौड़ियों में कर लिया। लखनऊ, बाराबंकी और सीतापुर में कुल 10 संपत्तियां जिनका क्षेत्रफल 133 एकड़ से अधिक है और कीमतों अरबों में है, को काफी कम दामों में अधिकारियों की मिली भगत से लीज पर दे दिया गया। सीबीआई में इसकी शिकायत हुई। शुरुआत पड़ताल में घपलेबाजी पकड़ी गई और अब सीबीआई ने दो अलग अलग केस दर्ज करते कुल 22 लोगों को आरोपी बनाया है। दोनों एफआईआर मौजूदा सहायक कस्टोडियन आफ एनेमी प्रापर्टी, लखनऊ के अभिषेक अग्रवाल ने दर्ज कराई है। सीबीआई ने संबंधित के ठिकानों पर छापे मारे हैं।

सूत्रों का कहना है कि सीबीआई के छापे के दौरान सीबीआई को कई अहम दस्तावेज हाथ लगे हैं, जिनकी छानबीन की जा रही है। सीबीआई ने लखनऊ में कुल 14 स्थानों पर छापे मारे, जबकि बाराबंकी में दो स्थानों पर और दिल्ली व कोलकाता में एक-एक स्थानों पर छापे मारे गए हैं, जहां से कंप्यूटर, लैपटाप और अहम दस्तावेज सीबीआई ने अपने कब्जे में लिए हैं।

लखनऊ के मलिहाबाद तहसील केनौबस्ता गांव में 8.07 एकड़ आम का बाग है। यहां 177 आम के पेड़ हैं। यह बाग 1995 में अविनाश के नाम पर आवंटित की गई थी उसके बाद से अविनाश का ही इस पर कब्जा रहा है। 2016 में इस बाग को नए सिरे से अविनाश को पांच हजार रुपये सालाना किराए के दर पर तत्कालीन असिस्टेंट कस्टोडियन आफ एनेमी प्रापर्टी (एसीईपी) उत्पल चक्रवर्ती द्वारा दे दिया गया। जबकि इसकी मार्केट वैल्यू 5 लाख 55 हजार रुपये सालाना थी। लीज के आवंटन में नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई और न्यायालय के आदेशों को भी नजर अंदाज किया गया। अविनाश तिवारी मौजूदा समय में राजस्व विभाग में संग्रह अमीन के पद पर कार्यरत है और वह पूर्व तहसीलदार आरसी तिवारी का भाई है। आरसी तिवारी भी एसीईपी कार्यालय में सुपरवाइजर के पद पर तैनात रह चुका है। आरसी तिवारी अब रिटायर हो चुका है।

इसी तरह मलिहाबाद में ही खखरा गांव में 9.7 एकड़ की आम की एक अन्य बाग राम प्रताप सिंह के नाम पर आवंटित की गई। इस बाग की कीमत एसीईपी उत्पल चक्रवर्ती द्वारा 9000 रुपये सालाना तय की गई। जबकि इसकी मार्केट वैल्यू 6.24 लाख रुपये सालाना थी। 2016 से 2022 के बीच यहां भी सरकार को लगभग 37 लाख रुपये का चूना लगाया गया। ऐसी ही एक 19 एकड़ की बाग जो काकोरी के अजमत नगर गांव में है इसे 55 हजार रुपये सालाना किराए पर बाबू लाल को दे दी गई। जबकि मार्केट वैल्यू 12.22 लाख रुपये थी। यहां भी उत्पल चक्रवर्ती ही एसीईपी थे। जुग्गौर में लगभग 11 एकड़ की कृषि भूमि सपना सिंह, सिराज इकबाल और मोहसिन इकबाल के नाम पर 42940 रुपये प्रति वर्ष के किराए पर तालाब की जमीन बताकर आवंटित कर दी गई। जबकि इस जमीन की मार्केट वैल्यू 1 लाख 32 हजार 528 रुपये सालाना थी। लखनऊ के जुग्गौर में ही अनूप राय के नाम सवा 11 एकड़ की जमीन नियमों की अनदेखी करते हुए अनूप राय को दी गई, जिसका राजस्व रिकार्ड ही नहीं है।

इस एफआईआर में जिनके नाम लीज आवंटित हुई है उनके अलावा एसीईपी उत्पल चक्रवर्ती, तत्कालीन सुपरवाइजर एसीईपी कार्यालय आरसी तिवारी और कार्यवाहक कस्टोडियन आफ एनेमी प्रापर्टी फार इंडिया समंदर सिंह राणा समेत कुल 10 लोगों को नामजद किया गया है।

सीतापुर में महमूदाबाद तहसील के घमोरा गांव में नियमों को ताक पर रखकर सुनील वाजपेई को 38.31 एकड़ कृषि भूमि दे दी गई। यह भूमि 1 लाख 55 हजार रुपये सालाना की दर से दी गई। जबकि इसकी मार्केट वैल्यू 4.34 लाख रुपये सालाना थी। खास बात यह थी कि जमीन को किसी स्थानीय व्यक्ति को ही लीज पर दी जा सकती थी, लेकिन सुनील वाजपेई जो लखनऊ में रहते हैं, को अधिकारियों ने मिलीभगत कर जमीन लीज पर दे दी। यहां भी नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। सीतापुर में ही खैराबाद तहसील में ओम प्रकाश सिंह और ज्ञानेंद्र तिवारी को बिना किसी ऑक्शन और विज्ञापन के दे दी गई। यह दोनों लोग भी स्थानीय नहीं थे, और यहां भी निमयों की धज्जियां उड़ाई गईं।

बाराबंकी के नवाबगंज तहसील के देवा परगना के भुनेरा गांव में भी 23.5 एकड़ शत्रु संपत्ति है। इस संपत्ति को 94900 रुपये सालाना किराए के दर पर एसीईपी द्वारा जैनुद्दीन सिद्दीकी व ओमैर सिराज को आवंटित कर दिया गया।जबकि इसकी सालाना वैल्यू 2 लाख 55 रुपये थी। बाराबंकी के ही टिकरिया में 2.2 एकड़ जमीन लखनऊ के रहने वाले बिलाल अहमद और दिवाकर को दे दी गई। यह संपत्ति भी बाजार के मुकाबले एक तिहाई दाम में दी गई। बाजार में इसका रेट 24 हजार 388 रुपये सालाना था जबकि इसे 8 हजार 700 रुपये सालाना के दर पर दिया गया। बाराबंकी के नवाबगंज के भान मऊ में भी 1.74 एकड़ शत्रु संपत्ति है। इसे रुद्रेश पांडेय और विनय श्रीवास्तव को 7040 रुपये सालाना के दर पर दी गई जबकि इसकी वैल्यू 19712 रुपये सालाना थी। यह सब खेल कार्यवाहक कस्टोडियन एनेमी प्रापर्टी आफ इंडिया समंदर सिंह राणा, सहायक कस्टोडियन एनेमी प्रापर्टी आफ इंडिया उत्पल चक्रवर्ती और तत्कालीन सुपरवाइजर आरसी तिवारी की मिलीभगत से कि गया। दोनों ही एफआईआर में इन अधिकारियों को आरोपी बनाया गया है।

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