शराब विक्रेताओं से पैसा इकट्ठा करने का दबाव बनाने वाले IAS के खिलाफ केस दर्ज, भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने लिया एक्शन
नई दिल्ली। दिल्ली के खुदरा शराब विक्रेताओं से अधिक पैसा इकट्ठा करने के लिए दबाव बनाने वाले आईएएस अधिकारी अमरनाथ तलवड़े के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (एसीबी) ने केस दर्ज कर लिया है। इनके खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एसीबी के संयुक्त आयुक्त मधुर वर्मा के मुताबिक आडियो क्लिप में अधिकारी को अपने अधीनस्थ अधिकारी पर खुदरा शराब विक्रेताओं से अधिक पैसा इकट्ठा करने के लिए दबाव डालते हुए और उक्त रकम में अधिक हिस्सा मांगते हुए सुना गया था। एफएसएल जांच में आडियो क्लिप की प्रामाणिकता स्थापित हुई।
आबकारी घोटाले में शराब कारोबारियों से वसूली करने के आरोपित इस आईएएस अधिकारी के खिलाफ उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने गत दिनों एफआइआर करने का आदेश दिया था। साथ ही गृहमंत्रालय से अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की थी। तलवड़े इस समय अरुणाचल प्रदेश में तैनात हैं।
मामला 2015-16 का है। तब तलवड़े दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएससीएससी) में वरिष्ठ महाप्रबंधक के पद पर थे। आरोप है कि उन्होंने डीएससीएससी के प्रबंधक पीके शाही (अब सेवानिवृत्त) पर शराब कारोबारियों से पैसे एकत्रित करने का दबाव बनाया था और उन्हें स्थानांतरित कर देने की धमकी दी थी।
दोनों अधिकारियों के बीच टेलीफोन पर बातचीत सामने आई और एफएसएल की जांच में इसे सही पाया गया। एफएसएल की जांच में कहा गया है कि काल रिकार्डिंग सही है और इसमें किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की गई। बातचीत में तलवड़े यह भी कबूल किया था कि उन्हें डीएससीएससी का चार्ज संभालने के तुरंत बाद शाही से पांच लाख रुपए मिले थे। तलवड़े डीएससीएससी में 12 जनवरी 2015 से 29 अप्रैल 2016 तक तैनात थे।
नोएडा के रहने वाले एक व्यक्ति ने 21 मार्च 2023 को सतर्कता निदेशालय को शिकायत दी थी। उन्होंने आडियो क्लिप वाला पेन ड्राइव भी सौंपा था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि बातचीत एक आईएएस अधिकारी और एक इंस्पेक्टर के बीच हो रही है जो किसी आबकारी मामले में रिश्वत की बात कर रहे हैं।
ऑडियो में तलवड़े को 35 प्रतिशत (कुल वसूली का) मांगते हुए सुना गया, जिसका वादा उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से किया था। इस पर साही ने तलवड़े से कहा था कि वह 15 प्रतिशत की ही व्यवस्था कर सके क्योंकि लगातार दो महीने ड्राई डे रहे, जब वसूली लगभग शून्य रही।