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भाजपा नेता हाजी बाबू हत्याकांड का खुलासा, लाकर की चाबी के लिए नौकर ने रची हत्या की साजिश

बुलंदशहर। खुर्जा कोतवाली क्षेत्र में आढ़ती की हत्या का पुलिस ने मृतक के पल्लेदार व उसके साथी को गिरफ्तार कर राजफाश कर दिया है। मुख्य आरोपी पल्लेदार ने मृतक की आढ़त की दुकान में रखी तिजोरी से लाखों रुपये की नकदी चोरी करने के उद्देश्य से योजना बनाई और अपने साथी के साथ मिलकर हत्या कर दी। पुलिस ने दोनों आरोपियों को पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। वहीं, मृतक के शव को गमगीन माहौल में रविवार को पोस्टमार्टम के बाद सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया।

प्रभारी एसएसपी सुरेंद्रनाथ तिवारी ने बताया कि 8 सितंबर की रात को खुर्जा नगर पुलिस को मोहल्ला कोट निवासी शमशाद ने अपने पिता हाजी बाबू के लापता होने के संबंध में सूचना दी थी। बताया था कि उसके पिता अपनी आढ़त की दुकान से स्कूटी पर निकले थे, इसके बाद से उनका कोई पता नहीं है। पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर हाजी बाबू की तलाश शुरू कर दी। पुलिस की विवेचना के दौरान हाजी बाबू की दुकान के नौकर रविंद्र उर्फ गोलू निवासी गांव किला मेवई थाना खुर्जा नगर और उसके साथी रामौतार निवासी गांव उस्मापुर थाना खुर्जा नगर के नाम प्रकाश में आए। पुलिस ने दोनों आरोपियों को कैलाश कट तिराहा खुर्जा से शनिवार देर शाम पकड़ लिया। पूछताछ में दोनों आरोपियों ने आढ़ती हाजी बाबू की हत्या करना स्वीकार कर लिया। शव को उस्मापुर के गंदे नाले में एक बोरे से आलाकत्ल चुनरी सहित बरामद कर लिया गया। पुलिस ने मृतक की स्कूटी को जंक्शन रोड पर मैना मोजपुर के गेट के पास से बरामद कर लिया। मृतक का मोबाइल कालिंदी कुंज गोलचक्कर के पास एक पार्क से बरामद किया गया था।

पुलिस की पूछताछ में आरोपियों ने रुपयों के लालच में हत्या करने की बात कही। आरोपी रविंद्र उर्फ गोलू ने बताया कि उसको मालूम था कि दुकान पर बने लॉकर में हाजी बाबू काफी रुपये रखते हैं, जिसकी चाभी हमेशा हाजी के पास रहती है। आरोपी रविंद्र ने अपने साथी रामौतार को दुकान के लॉकर में रखे रुपयों के बारे में बताते हुए चोरी की योजना बनाई। योजना के तहत रविंद्र उर्फ गोलू ने हाजी बाबू को आठ सितंबर को फोन कर कहा कि उसकी तबियत खराब है, जिस पर हाजी बाबू आरोपी के घर पहुंच गए। जहां आरोपियों ने उन्हें कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ मिलाकर पिला दिया। इसके बाद चुनरी से गला घोंटकर हत्या कर दी गई। लेकिन, गनीमत रही कि उस दिन हाजी अपने साथ आढ़त और लाॅकर की चाभियां लेकर नहीं गए थे। आरोपियों की योजना थी की हत्या करने के बाद वह तत्काल बाइक से आढ़त पर पहुंच कर चोरी की वारदात को अंजाम दे देंगे। उन्होंने पुलिस को बताया कि उस दिन आढ़त का सीसीटीवी भी नहीं चल रहा था।

दोस्त का मांगा था ई-रिक्शा

हाजी बाबू की हत्या करने के बाद शव को छिपाने के लिए एक बोरे में रख दिया था। साथ ही आरोपियों ने अपने एक साथी की ई-रिक्शा कुछ देर के लिए मांगी और शव को उसमें रखकर उस्मापुर के गंदे नाले में फेंक दिया। स्कूटी को जंक्शन रोड पर मैना मौजपुर के गेट के पास खड़ा कर उसकी चाबी जंगल में फेंक दी। मृतक का मोबाइल कांलिंदी कुंज गोलचक्कर के पास एक पार्क की झाड़ियों में डाल कर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की थी।

जेब में मिले 700 रुपये, जिनसे पी शराब और खाया खाना

आरोपियों ने बताया कि हाजी की हत्या के बाद उन्होंने उनकी जेब की तलाशी ली थी। इस दौरान उनकी जेब से सिर्फ 700 रुपये उन्हें मिले थे। उन्होंने वारदात के बाद शराब पी और खाना खाया था। इसके बाद वह अपने अपने घर आकर सो गए थे।

अगर चोरी में होते कामयाब, तो छोड़ देते जिला

आरोपियों का कहना था कि उन्हें उम्मीद थी कि हाजी के लॉकर में करीब 20 से 30 लाख रुपये होंगे। जिन्हें चोरी करने के बाद दोनों ने आधा-आधा हिस्सा रखने और फिर जिला छोड़ने की भी योजना बनाई थी।

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