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शोध में हुआ बड़ा खुलासा- बचपन का सामाजिक-आर्थिक तनाव हो सकता है बीमारी के लिए जिम्मेदार

नई दिल्ली। अधिक वसायुक्त और अनियमित खानपान को मोटापे का प्रमुख कारण माना जाता है, लेकिन कनाडा स्थित यूनिवर्सिटी आफ अल्बर्टा के एक हालिया अध्ययन में इसके लिए बचपन के तनावयुक्त सामाजिक-आर्थिक माहौल को भी जिम्मेदार करार दिया गया है। अध्ययन निष्कर्ष बिहेवियरल साइंसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

तनाव वसायुक्त खाना खाने के लिए करता है प्रेरित

शिक्षा संकाय के शोधकर्ता क्यूई गुओ के इस शोध को अंजाम देने वाले अल्बर्टा स्कूल आफ बिजनेस के उपभोक्ता मनोविज्ञान शोधकर्ता जिम स्वफील्ड कहते हैं, ‘हम काफी पहले से जानते हैं कि तनाव भूख को बढ़ाता है। हालांकि, हम यह नहीं जानते थे कि बचपन की तनावपूर्ण स्थितियां किसी व्यक्ति के मस्तिष्क को बाद में भी अधिक वसायुक्त खाना खाने के लिए प्रेरित करती हैं।

तस्वीरें दिखाकर किया गया अध्ययन

इस शोध में यह भी बताया गया है कि तनावपूर्ण स्थितियों में रहने वाले कमजोर सामाजिक-आर्थिक वर्ग के लोगों में मोटापे की दर अधिक क्यों है।’ अध्ययन में 311 वयस्कों (133 पुरुषों व 178 महिलाओं) को शामिल किया गया। उन्हें प्रमुख खाद्य वर्ग- सब्जियां, फल, अनाज, डेयरी, मांस-मुर्गा व मिठाइयों की क्रमरहित तस्वीरें दिखाई गईं और इसका मूल्यांकन किया गया कि कौन सी चीजें लोग खाना चाहते हैं।

बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थिति से फायदा

शोध में प्रतिभागियों से उनके बचपन की सामाजिक-आर्थिक स्थितियों व मौजूदा तनाव के स्तर से जुड़े प्रश्न पूछे गए। इस दौरान पाया गया कि जिन लोगों का बचपन तनावपूर्ण माहौल में गुजरा है, उनमें अधिक ऊर्जा वाले वसायुक्त भोजन करने की इच्छा ज्यादा होती है। इसके विपरीत बेहतर सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में पले-बढ़े लोग तभी भोजन करना पसंद करते हैं, जब वे भूखे हों।

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