उत्तर प्रदेशराज्य

बनारसी पान और लंगड़ा आम को मिला GI टैग, जानिए इससे क्या होगा फायदा?

भारत के तमाम देसी उत्पाद पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान कायम कर रहे हैं. हालांकि कुछ उत्पादों को पहले से ही दूसरे देशों में पसंद किया जाता है, लेकिन विशेष स्थान से ताल्लुक रखने वाले उत्पादों को अब जीआई टैग (GI Tag) दिया जाने लगा है. इससे लोकल लेवल पर रोजगार के अवसरों को बढ़ाने में भी काफी मदद मिलती है. इसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश के 4 कृषि उत्पादों को जीआई टैग प्रदान किया गया है. इनमें मशहूर बनारसी पान, बनारस का लंगड़ा आम, रामनगर भंटा और आदमचीनी चावल का नाम शामिल है. इस साल यूपी की झोली में 11 जीआई टैग चुके हैं. उत्तर प्रदेश कुल 45 जीआई टैग उत्पादों को रजिस्टर करवा चुकाै  है, जबकि इनमें से सबसे ज्यादा 22 उत्पाद अकेले काशी से ताल्लुक रखते हैं.

क्या है नए जीआई टैग उत्पादों की खूबियां

उत्तर प्रदेश ने 4 नए कृषि उत्पादों को जीआई टैग के साथ रजिस्टर करवा लिया है. इनमें से सबसे ज्यादा मशहूर है बनारसी पान (Banarasi Paan) और लंगड़ा आम (Langda Aam). काशी के ये दोनों उत्पाद ना सिर्फ स्वाद के लिए दुनियाभर में मशहूर हैं, ब्लकि इनके अपने हेल्थ बेनिफिट्स भी हैं. काशी क्षेत्र में पैदा होने के चलते बनारसी पान और लंगड़ा आम में कई अनोखे न्यूट्रिएंट्स मौजूद होते हैं. वहीं रामनगर भंटा के नाम से मशहूर सफेद गोल बैंगन भी काशी क्षेत्र में ही पैदा होता है. आदमचीनी भी यूपी के चंदौली समेत आसपास के इलाकों में पैदा होने वाली चावल की विशेष प्रजाति है.

दुनियाभर दस्तक देंगे यूपी के कृषि उत्पाद

इस साल उत्तर प्रदेश ने कुल 11 उत्पादों को जीआई टैग के तहत रजिस्टर करवाया है. इस उपलब्धी को लेकर जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ रजनीकान्त ने मीडिया को बताया कि यूपी नाबार्ड और योगी सरकार के सहयोग से राज्य ने 11 नए जीआई टैग उत्पाद रजिस्टर किए हैं. इनमें बनारसी लंगड़ा आम (GI No.716), बनारसी पान (730), रामनगर भंटा (717) और आदमचीनी चावल हैं, जो अब जल्द ही इंटकनेशनल मार्केट में अपनी जगह बना लेंगे. इससे पहले काशी को मिले कुल 22 जीआई टैग उत्पादों से 20 लाख लोगों का रोजगार जुड़ा है. इन उत्पादों से सालाना 25,500 करोड़ का बिजनेस होता है.

इन उत्पादों को भी मिलने वाला है जीआई टैग

जीआई एक्सपर्ट डॉ. रजनीकान्त बताते हैं कि जीआई टैग आवेदन की प्रक्रिया थोड़ी लंबी और नियम-कानूनों के तहत फॉलो की जाती है. यूपी सरकार की मदद से राज्य के कुल 20 उत्पादों को जीआई टैग दिलवाने का प्रस्ताव रखा गया था, जिसमें से 11 उत्पाद रजिस्टर हो चुके हैं. बाकी बचे 9 उत्पादों में बनारस का लाल पेड़ा, तिरंगी बर्फी, बनारसी ठंडई और बनारस लाल भरवा मिर्च के अलावा चिरईगांव का करौंदा भी शामिल है.

क्या होता है जीआई टैग

किसी विशेष स्थान से ताल्लुक रखने वाले लोकल प्रोडक्ट, जो अपने खूबियों से दुनियाभर में एक विशेष पहचान बना लेते हैं, उन्हें प्रमाणीकरण प्रदान करने के लिए एक विशेष प्रोसेस फॉलो की जाती है. जब उत्पाद का सत्यापन हो जाता है तो उस भौगोलिक सांकेतिक टैग यानी जीआई टैग (Geographical Indication Tag) प्रदान कर दिया जाता है. जीआई टैग के तहत रजिस्टर उत्पादों की डिमांड भी दुनिया बढ़ने लगती है और लोकल लेवल पर रोजगार के अवसर पैदा होते हैं.

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