उत्तर प्रदेशराज्य

मदरसा शिक्षकों के लिए बुरी खबर! केंद्र के बाद योगी सरकार ने भी बंद किया मानदेय

लखनऊ : केंद्र के बाद अब योगी सरकार भी मदरसा आधुनिकीकरण योजना में शिक्षकों को मानदेय नहीं देगी। मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन विषय पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत करीब 25 हजार शिक्षक रखे गए थे। प्रदेश सरकार ने बजट में अतिरिक्त मानदेय देने की व्यवस्था को समाप्त करते हुए कोई भी वित्तीय स्वीकृति इस मद में नहीं जारी करने के निर्देश दिए हैं।

दरअसल, मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है। इसे 1993-94 से संचालित किया जा रहा था। इसमें मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे गए थे। वर्ष 2008 से इसे ‘स्कीम फार प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा’ (एसपीक्यूईएम) के नाम से संचालित किया जाने लगा।

इस योजना में तैनात स्नातक पास शिक्षकों को छह हजार व परास्नातक शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था। वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने भी इसमें दो हजार व तीन हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था। यानी स्नातक शिक्षकों को आठ हजार व परास्नातक शिक्षकों को 15 हजार रुपये इसमें मिलते थे।

केंद्र सरकार से इस योजना को वर्ष 2021-22 तक की ही स्वीकृति मिली थी, जबकि प्रदेश में तैनात इन शिक्षकों को केंद्र सरकार से मानदेय और पहले से नहीं मिल रहा था। पिछले दिनों अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ने अतिरिक्त मानदेय दिए जाने का आश्वासन दिया था।

इसके बावजूद अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के संयुक्त सचिव हरि बख्श सिंह ने बजट में की गई अतिरिक्त मानदेय की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है। उन्होंने निदेशक को इस मद में कोई भी वित्तीय स्वीकृति न जारी करने के निर्देश दिए हैं। निदेशक जे. रीभा ने भी सभी जिलों को इसके आदेश भेजते हुए मानदेय देने पर रोक लगा दी है।

योगी सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के लिए बहुत संजीदा है। चूंकि केंद्र ने मानदेय बंद कर दिया है इसलिए तकनीकी कारणों से यहां भी बंद हो गया है। इस समस्या का हल निकाला जा रहा है।

-दानिश आजाद अंसारी, अल्पसंख्यक कल्याण राज्यमंत्री

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