आजम खान को पत्नी-बेटे समेत 7 साल की सजा, बर्थ सर्टिफिकेट मामले में बड़ा झटका
सपा नेता आजम खान के पूरे परिवार को बुधवार को बड़ा झटका लगा है। बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र प्रकरण में कोर्ट ने आजम खां, पत्नी तजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम को सात-सात साल की कैद की सजा सुनाई है। तीनों पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट द्वारा दोषी करार देने के साथ ही तीनों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया। सजा के बाद तीनों को जेल भेज दिया गया। सजा के बाद आजम खां की ओर से रामपुर की जेल में ही रखने की अर्जी दी गई। हालांकि, कोर्ट ने इस पर फिलहाल सुनवाई नहीं की है।
भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने तीन जनवरी 2019 को गंज कोतवाली में मोहम्मद आजम खां, अब्दुल्ला आजम और तजीन फात्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप था कि अनुचित लाभ लेने के लिए आजम खां और तजीन फात्मा ने बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाए हैं। पुलिस ने जांच के बाद अप्रैल 2019 में आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी तजीन फात्मा को 420, 467, 468, 471 आईपीसी व 120 बी का आरोपी मानते हुए कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी।
इस मुकदमे में सम्मन के बाद भी हाजिर न होने पर आजम खां, डा.तजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ दिसंबर 2019 में कुर्की की प्रक्रिया शुरू हुई। आखिरकार 26 फरवरी 2020 को आजम, अब्दुल्ला और तजीन ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। तब तीनों को जेल भेज दिया गया था। करीब 27 माह बाद आजम जेल से बाहर आए थे। बुधवार को इस मामले में कोर्ट ने फैसले की तारीख मुकर्रर की थी।
लिहाजा, केस के वादी शहर विधायक आकाश सक्सेना और आरोपी आजम खां, अब्दुल्ला आजम व तजीन फात्मा कोर्ट में हाजिर हुए। वादी के अधिवक्ता संदीप सक्सेना ने बताया कि दोपहर बाद एमपीएमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट शोभित बंसल ने तीनों को दोषी करार देते हुए सात-सात साल की कैद व 50-50 हजार के जुर्माने की सजा सुनाई गई।
उधर, सजा होने के बाद आजम खां और अब्दुल्ला आजम ने जौहर विवि से सफाई मशीनें बरामद होने के मामले में सरेंडर किया और जमानत अर्जी दाखिल की लेकिन, कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी। एडीजीसी संदीप सक्सेना ने बताया कि तीनों ने ही इस केस में आत्मसमर्पण के बाद जितने दिन जेल में बिताए हैं, वे इस सात-सात साल की सजा में जोड़े जाएंगे।
इस धारा में ये सजा
–420 आईपीसी में तीन वर्ष की कैद एवं 10 हजार का जुर्माना।
-467 आईपीसी में सात साल की कैद एवं 15 हजार का जुर्माना।
-468 आईपीसी में तीन वर्ष की कैद व 10 हजार का जुर्माना।
-471 आईपीसी में दो वर्ष की कैद व 10 हजार रुपये का जुर्माना।
-120 बी में एक वर्ष की कैद एवं पांच हजार रुपये का जुर्माना।
चार्जशीट में 11 लोगों को बनाया गया था गवाह
भाजपा विधायक आकाश सक्सेना द्वारा दर्ज कराए गए केस में तत्कालीन इंस्पेक्टर गंज किशन अवतार ने कोर्ट में आरोप पत्र दायर किया था। विवेचना के दौरान वादी समेत 11 लोगों को गवाह बनाया गया था।
विवेचना में प्रथम नंबर पर केस के वादी आकाश सक्सेना के बयान लिए गए थे। जबकि, दूसरे नंबर पर नगर पालिका के उप रजिस्ट्रार जन्म-मृत्यु तेजपाल वर्मा के बयान हुए थे।
पासपोर्ट कार्यालय बरेली में तैनात तत्कालीन पासपोर्ट अधिकारी मोहम्मद नसीम, आयकर अधिकारी विजय कुमार, जिला निर्वाचन कार्यालय में तैनात प्रधान सहायक राय सिंह, नगर पालिका के रिकार्ड कीपर सलीम, सेंट पाल्स स्कूल के तत्कालीन प्रधानाचार्य सुधीर कुमार, हेड कांस्टेबिल ऋषिपाल गिरी को औपचारिक गवाह बनाया गया था जबकि, वरिष्ठ उप निरीक्षक कोतवाली गंज कृृष्ण किशोर मिश्र, तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक गंज नरेंद्र त्यागी और विवेचक इंस्पेक्टर किशन अवतार अनुसंधान साक्षी के तौर पर आरोप पत्र में नामांकित किए गए थे।
70 दस्तावेजी साक्ष्य और 15 गवाह बने सजा का आधार
रामपुर। सपा नेता आजम खां, उनके बेटे अब्दुल्ला आजम और उनकी पत्नी डॉ. तजीन फात्मा को सात-सात साल की कैद की सजा दस्तावेजी साक्ष्य और गवाहों के आधार पर हुई है। अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया कि अभियोजन की तरफ से 15 गवाह और 70 दस्तावेजी साक्ष्य कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किए गए। यही साक्ष्य तीनों की सजा का आधार बने हैं। जबकि, बचाव पक्ष की ओर से 19 गवाह पेश किए गए, लेकिन अदालत में उनके बयान सिद्ध नहीं हो सके।
पासपोर्ट और पेनकार्ड के केस होंगे प्रभावित
कानून के जानकारों की मानें तो दो जन्म प्रमाण पत्र प्रकरण में सजा होने के बाद अब अब्दुल्ला के दो पासपोर्ट और दो पैनकार्ड के केस भी प्रभावित होंगे। एडीजीसी संदीप सक्सेना बताते हैं कि दो अलग अलग पासपोर्ट में भी अलग अलग जन्मतिथि है और दो पैनकार्ड में भी यही गलती दोहराई गई है।