पंजाब। पुलिस के साइबर क्राइम डिवीजन ने ऑनलाइन और सोशल मीडिया के जरिए बच्चों से यौन शोषण के मामले में एक बड़े रैकेट का भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने इस रैकेट के मुख्य सरगना को गिरफ्तार कर लिया है। रैकेट के 54 संदिग्धों की धरपकड़ को लेकर पुलिस की अलग-अलग टीमें अन्य राज्यों में दबिश दे रही हैं।
डीजीपी गौरव यादव ने बताया कि हाल ही में सुप्रीमकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री को देखना, अपने पास रखना, आगे भेजना और इस संबंध में रिपोर्ट न करना, प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेन्सेज (पॉक्सो) अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
सीएसएएम में कोई भी ऐसी सामग्री शामिल होती है, जिसमें नाबालिगों के यौन शोषण से संबंधित फोटो, वीडियो या मीडिया शामिल हो, जिसे देखना, अपने पास रखना या आगे भेजना गैर-कानूनी है, जिससे पीड़ितों को जीवनभर के लिए बड़ा नुकसान हो सकता है और यह बच्चों के गंभीर शोषण के मामलों के तहत आता है।
फाजिल्का में लंबे अरसे से चल रहा था रैकेट
डीजीपी ने बताया कि पुलिस को जैसे ही इस ऑनलाइन और सोशल मीडिया के जरिए बच्चों से यौन शोषण रैकेट के बारे में पता लगा, उन्होंने फाजिल्का में रेड की। पुलिस की टीम ने रेड के दौरान फाजिल्का से इंस्टाग्राम और टेलीग्राम का उपयोग करके उक्त सामग्री को बेचने और दूसरों के साथ साझा करने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार किया। पुलिस टीमों ने ऑपरेशन के दौरान विभिन्न संदिग्धों से 39 उपकरण भी जब्त किए हैं, जिन्हें फॉरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया है। इसके अलावा ऐसे घिनौने अपराधों में शामिल अन्य अपराधियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के लिए जांच की जा रही है। एडीजीपी साइबर क्राइम वी नीरजा ने बताया कि मौजूदा कानून के तहत बच्चों के यौन शोषण संबंधी सामग्री को देखना, आगे साझा करना या अपने पास रखना, पॉक्सो एक्ट की धारा 15 और आईटी एक्ट 2000 की धारा 67(बी) के तहत दंडनीय अपराध है, जिसमें पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है।
बच्चों के यौन शोषण की सामग्री साझा करने के दोषी को सजा
एसएएस नगर की फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट ने 25 सितंबर को पुलिस स्टेशन स्टेट साइबर क्राइम में आईटी एक्ट की धारा 67बी और पॉक्सो एक्ट की धारा 15 के तहत दर्ज एफआईआर नंबर 34/2020 में दर्ज मामले में ओमार शर्मा नामक व्यक्ति को दोषी ठहराते हुए उसे चार साल की कठोर कैद और 5,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इस संबंध में गृह मंत्रालय के माध्यम से नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लॉइटेड चिल्ड्रेन (एनसीएमईसी) से मिली सूचना के बाद स्टेट साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था और इस मामले में की गई जांच के बाद अपराध में उपयोग किए गए डिजिटल उपकरण सबूत के रूप में जब्त किए गए हैं।