अंतर्राष्ट्रीय

Twitter से बर्खास्त 5 कर्मचारियों ने साझा किया अपना दर्द, पूर्व CEO पराग ने नहीं बदला अभी तक अपना बायो

नई दिल्‍ली: ट्विटर की कमान अब एलन मस्‍क के हाथों में है। गुरुवार को उन्‍होंने सीईओ पराग अग्रवाल, पॉलिसी हेड और लीगल मामलों की टॉप अफसर विजया गाड्डे समेत टॉप 4 को बर्खास्‍त कर दिया। एलन और पराग, विजया के रिश्‍ते मधुर तो बिल्‍कुल नहीं रहे हैं। जबसे मस्‍क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया, इन दोनों के लिए चुनौती कई गुना बढ़ गई। मस्‍क लगातार ट्विटर को बुरा बताते हुए बयान दिए जा रहे थे। यह तो तय था कि मस्‍क के कंपनी टेकओवर करने के बाद पराग, विजया जैसे लोग जाएंगे, मगर यह इतनी जल्‍दी होगा, इसका अंदाजा नहीं था। मस्‍क ने तत्‍काल इन दोनों को निकालने का फैसला क्‍यों किया? उसके पीछे एक वजह तो पराग और विजया के ट्विटर शेयरहोल्‍डर्स संग खड़ा रहना रही। अप्रत्‍यक्ष रूप से मस्‍क के फैसले से भारत सरकार को संदेश भी गया।

भारत में एलन मस्‍क की कंपनियों की राह आसान कतई नहीं रही है। फिर चाहे वह टेस्‍ला के लोकल प्‍लांट्स की बात हो या स्‍टारलिंक सैटेलाइट के जरिए इंटरनेट की। मस्‍क और भारत सरकार के बीच टकराव होता आया है। ट्विटर के लिए भारत सबसे बड़े बाजारों में से एक है। जनवरी 2022 में इस माइक्रोब्‍लॉगिंग साइट पर 23.6 मिलियन भारतीय यूजर्स थे।

मस्‍क के टेकओवर पर भारत सरकार ने क्‍या कहा?

भारत सरकार ने कहा कि ट्विटर का मालिक बदलने से कोई असर नहीं पड़ेगा। कंपनी को पहले की तरह स्‍थानीय कानूनों का पालन करना होगा। MoS राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि ‘किसका मालिक कौन है, इससे सरकार को क्‍या लेना-देना। हमारे कानून और नियम प्‍लैटफार्म्‍स पर लागू होते हैं, फिर चाहे उसका मालिक कोई भी हो।’

मस्‍क, ट्विटर और भारत… अभी और कई मोड़ आएंगे

Twitter के भारत सरकार से रिश्‍ते ठीक नहीं रहे हैं। 2021 में कुछ ट्वीट्स और अकाउंट्स हटाने को लेकर कंपनी ने भारत सरकार से मोर्चा ले लिया था। हालात इतने बिगड़ गए थे कि ट्विटर इंडिया के टॉप अधिकारियों पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। इसी साल जुलाई में ट्विटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका डाली कि उसे केंद्र सरकार की ओर से जारी ब्‍लॉकिंग के आदेशों में से कुछ से छूट दी जाए।

मस्‍क ने जुलाई 2022 में कहा कि भारत ट्विटर के लिए तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। ट्विटर के साथ चली कानूनी लडा़ई में मस्‍क ने भारत में चल रहे केस का भी हवाला दिया। मस्‍क ने आरोप लगाया था कि Twitter ने भारत सरकार के खिलाफ ‘खतरनाक कानूनी प्रक्रिया की शुरुआत’ की। मस्‍क के मुताबिक, यह Twitter संग उनके समझौते का उल्‍लंघन था। ट्विटर ने इससे इनकार किया। इस मामले में अगली सुनवाई 16 नवंबर को होनी है।

सोशल मीडिया कंपनियों की निगरानी पर सरकार सख्‍त

सरकार ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्‍स से जुड़ा अपीलीय पैनल बनाया है। अगर कंटेंट को लेकर दर्ज शिकायतों का संतोषजनक निपटारा नहीं होता है तो सरकार इनकी आगे सुनवाई के लिए एक अपीलीय पैनल का गठन करेगी। इस पैनल का गठन तीन महीनों के अंदर कर दिया जाएगा ताकि सोशल मीडिया से जुड़ी लोगों की शिकायतों का सामाधान किया जा सके। इसके लिए सरकार ने आईटी नियमों में बदलाव किया है। इस पैनल में केंद्र सरकार एक चेयरपर्सन और दो पूर्णकालिक मेंबरों की नियुक्ति करेगी। सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म के शिकायत अधिकारी के फैसले से अगर कोई शख्स असंतुष्ट है तो वह 30 दिनों के भीतर इस पैनल के पास अपील कर सकेगा। इसके बाद अपीलीय पैनल 30 दिनों में शिकायत को निबटाएगा।

ट्विटर के CEO पद से निकाले गए पराग अग्रवाल खाली हाथ नहीं जाएंगे। रिसर्च फर्म ‘एक्विलर’ ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि पराग को ट्विटर डील के 12 महीने के अंदर निकाला जाता है, तो उन्हें 4.2 करोड़ डॉलर यानी करीब 345.72 करोड़ रुपये मिलेंगे। इस राशि का अंदाजा पराग अग्रवाल की सैलरी और शेयरों के आकलन पर किया गया है। पराग को पिछले साल नवंबर में कंपनी के सह-संस्थापक जैक डोर्सी के इस्तीफे के बाद ट्विटर का CEO बनाया गया था। वह IIT बॉम्बे और स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ चुके हैं और उन्होंने ट्विटर में तब नौकरी शुरू की थी, जब इस कंपनी में 1,000 से भी कम कर्मचारी होते थे। पराग और मस्क के बीच पिछले साल ‘कंटेंट मॉडरेशन’ पॉलिसी पर कहासुनी हुई थी।

विजया गाड्डे ट्विटर की नीतियों और कानूनी मामलों से जुड़े मुद्दे संभाल रही थीं। विजया हैदराबाद में पैदा हुईं और टेक्सस में पली बढ़ी हैं। वह कॉर्नेल और न्यू यॉर्क यूनिवर्सिटी में पढ़ी हैं। विजया साल 2011 में ट्विटर से जुड़ीं। वह पहली बार तब चर्चा में आई थीं, जब उन्होने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के ट्विटर अकाउंट को बैन करने का फैसला लिया था। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन के बेटे हंटर के लैपटॉप पर की गई एक्सक्लूसिव स्टोरी की वजह से उन्होंने न्यू यॉर्क पोस्ट के अकाउंट को सस्पेंड कर दिया था। दोनों ही मसलों पर मस्क ने उनकी आलोचना की थी।

विजया गाड्डे कौन हैं जिन्‍हें एलन मस्‍क ने आते ही निकाला? ₹592 करोड़ लेकर होंगी Twitter से विदा

  • ट्विटर का कंट्रोल हाथ में लेने के साथ ही मस्‍क ने पराग अग्रवाल और विजया गाड्डे को बाहर कर दिया। गाड्डे ट्विटर में पॉलिसी, लीगल और सेफ्टी इशूज जैसे अहम डिपार्टमेंट्स देख रही थीं। वह कंपनी की लीगल डायरेक्‍टर भी रही हैं। मीडिया उन्‍हें ट्विटर का ‘मॉरल अथॉरिटी’ बताता था। 2014 में ‘फॉर्च्‍यून’ ने विजया गाड्डे को ट्विटर की सबसे ताकतवर महिला एक्‍जीक्‍यूटिव बताया था।
  • एलन मस्‍क ने जब ट्विटर को खरीदने की पेशकश की और सौदा तय हुआ, उससे विजया गाड्डे खासी दुखी थीं। अप्रैल 2022 में, विजया ने ट्विटर की पॉलिसी और लीगल टीमों की वर्चुअल मीटिंग बुलाई। नए मालिक के बाद स्‍टाफ का क्‍या होगा, इसपर बात हो रही थी। विजया यह बताते-बताते कि कंपनी कैसे बदल जाएगी, रोने लगीं। रिपोर्ट के अनुसार, विजया ने माना कि मस्‍क के नेतृत्‍व में कंपनी कैसी होगी, इसे लेकर काफी अनिश्चितताएं हैं। उनकी आशंकाएं सच साबित हुईं। मस्‍क ने विजया समेत टॉप एक्‍जीक्‍यूटिव्‍स को बाहर कर दिया है। Twitter स्‍टाफ में भी तगड़ी कटौती के संकेत हैं।
  • विजया को कंपनी का ‘सबसे ताकतवर कर्मचारी’ यूं ही नहीं बताया जाता। वह कई मौकों पर Twitter के साथ जुड़े विवादों के केंद्र में रहीं। 2020 के अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनाव के दौरान सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापन हटाने का फैसला विजया का ही था। उन्‍होंने ही जैक डॉर्सी को मनाया। कैपिटल हिल पर उपद्रव के बाद, पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप का ट्विटर अकाउंट बंद करने का फैसला भी विजया गाड्डे ने लिया। ट्रंप समर्थकों ने तभी कहा था कि ‘डॉर्सी कंपनी का पब्लिक फेस हैं मगर प्रॉडक्‍ट और स्‍ट्रैटजी से लेकर, ट्विटर के नियमों से जुड़े सभी फैसले विजया करती हैं।’
  • तीन साल की उम्र में अमेरिका आईं विजया की परवरिश टेक्‍सस में हुई है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से बैचलर्स और न्‍यूयॉर्क यूनिवर्सिटी स्‍कूल ऑफ लॉ से वकालत की पढ़ाई करने वाली विजया 2018 में भारत आई थीं। विजया और ट्विटर फाउंडर जैक डॉर्सी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिले थे।
  • नवंबर 2018 में जैक डॉर्सी और विजया गाड्डे भारत आए। यहां उन्‍होंने कुछ महिला पत्रकारों, एक्टिविस्‍ट्स से मुलाकात की। इस मीटिंग के दौरान जैक के हाथों में एक प्‍लेकार्ड था जिसपर लिखा था ‘Smash Brahminical patriarchy’। तस्‍वीर पर खूब बवाल मचा कि ट्विटर के स्‍टाफ को राजनीतिक संदेश देने की क्‍या जरूरत है। ट्विटर इंडिया ने बयान में कहा कि डॉर्सी को यह प्‍लेकार्ड किसी दलित एक्टिविस्‍ट ने पकड़ाया था।

    हालांकि कुछ देर बाद, विजया गाड्डे ने माफी मांग ली। उन्‍होंने एक ट्वीट में तब कहा था, ‘मैं इसके लिए बेहद दुखी हूं। यह हमारे विचारों का नहीं दर्शाता। हमें जो गिफ्ट दिया गया, हमने उसके साथ एक निजी तस्‍वीर ली- हमें थोड़ा और सोचना चाहिए था। ट्विटर सबके लिए निष्‍पक्ष प्‍लेटफॉर्म बनने की कोशिश करता है। हम यहां ऐसा करने में नाकाम रहे और हमें भारत में अपने ग्राहकों की सेवा के लिए और बेहतर करना चाहिए।’

  • विजया गाड्डे को Twitter से निकालना कंपनी को खासा महंगा पड़ेगा। विजया गाड्डे करीब 72 मिलियन डॉलर की रकम के साथ कंपनी छोड़ेंगी। इसमें उनके स्‍टॉक होल्डिंग्‍स, सैलरी और स्टॉक्‍स शामिल हैं।

एलन मस्‍क ने 44.2 अरबडॉलर ऐसे जुटाए

  • 27 अरब डॉलर की रकम अमेरिकी अरबपति इलॉन मस्क ने कैश में लगाई है। इस डील के लिए मस्क ने अप्रैल और अगस्त- यानी दो बार टेस्ला के शेयर बेचे और उससे ही कुल 15.5 अरब डॉलर की रकम जुटाई।
  • 13 अरब डॉलर बैंकों से कर्ज लिया गया। मॉर्गन स्टैनली, बैंक ऑफ अमेरिका, बार्कलीज, सोसायटी जनरल, बीएनपी पारिबा, मित्सुबिशी यूएफजे फाइनैंशल ग्रुप से ये कर्ज लिया गया है।
  • 5.2 अरब डॉलर की राशि निवेश समूहों और अन्य बड़े फंड से जुटाई है। इनमें सॉफ्टवेयर कंपनी ओरेकल के सह-संस्थापक लैरी एलिसन, कतर होल्डिंग, सऊदी प्रिंस अलवलीद बिन तलाल से ये फंड मिला। ये लोग ट्विटर के शेयर होल्डर होंगे।

अप्रैल से अक्टूबर तक ऐसे आए उतार-चढ़ाव
4 अप्रैल 2022: ट्विटर में 9% हिस्सेदारी के साथ इलॉन मस्क सबसे बड़े शेयर धारक बने। मस्क को शर्तों के साथ ट्विटर बोर्ड में जगह ऑफर की गई।
9 अप्रैल: मस्क ने ट्वीट किया, ‘क्या ट्विटर मर रहा है?’ इसके जवाब में पराग अग्रवाल ने आलोचना को अनुपयोगी बताया। इसके बाद मस्क ने ट्विटर खरीदने की बात कही।
11 अप्रैल: ट्विटर के CEO ने ऐलान किया कि मस्क ट्विटर बोर्ड मे शामिल नहीं होंगे।
14 अप्रैल: मस्क ने ट्विटर के लिए 44 अरब डॉलर की पेशकश की।
21 अप्रैल: मस्क ने ट्विटर के लिए 46.5 अरब डॉलर की फंडिंग जुटाई।
13 मई: फर्जी खातों की बात कह मस्क ने ट्विटर खरीदने की अपनी योजना को होल्ड कर दिया।
6 जून: बॉट अकाउंट की जानकारी पर मस्क ने ट्विटर डील तोड़ने की धमकी दी।
8 जुलाई: मस्क ने कहा कि कंपनी ने फर्जी अकाउंट्स की जानकारी नहीं दी है।
12 जुलाई: डील से पीछे हटने पर ट्विटर ने मस्क के खिलाफ कोर्ट में अपील की।
5 अक्टूबर: मस्क ने ट्विटर डील पर आगे बढ़ने की बात कही।
6 अक्टूबर: कोर्ट ने दोनों पक्षों को 28 अक्टूबर तक समझौते पर पहुंचने और सौदा पूरा करने को कहा।
27 अक्टूबर: मस्क और ट्विटर के बीच 44.2 अरब डॉलर की डील पूरी हुई

आखिर चाहते क्‍या हैं मस्‍क?
डील के तहत शेयरधारकों को प्रति शेयर $54.20 दिए जाएंगे और ट्विटर अब निजी कंपनी के रूप में काम करेगा। मस्क शुरू से ही ट्विटर में कई मूलभूत बदलाव की वकालत करते रहे हैं। मस्क कह चुके हैं कि मैं ऐसा प्लैटफॉर्म चाहता हूं, जिस पर सभी सोच वाले लोग स्वतंत्र रूप से अपने विचारों को रख सकें। मस्क ने इस साल 13 अप्रैल को ट्विटर खरीदने का ऐलान किया था। उन्होंने 44 अरब डॉलर में खरीदने का ऑफर दिया था। लेकिन तब स्पैम और फेक अकाउंट्स की वजह से उन्होंने डील को होल्ड पर रख दिया था। इस बीच डेलवेयर कोर्ट ने 28 अक्टूबर तक डील पूरी करने का आदेश दिया था। द वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, मस्क कंपनी के 7,500 कर्मचारियों में से 75%, यानी करीब 5,600 कर्मचारियों को नौकरी से हटा सकते हैं। हालांकि गुरुवार को ट्विटर के दफ्तर पहुंचकर मस्क ने इससे इनकार किया था।

मस्क का क्या है प्लान?

  • ट्विटर को ऑल इन वन सर्विस प्लैटफॉर्म बनाना चाहते हैं, जहां क्रिएटर पैसा कमा सकें, यूजर पेमेंट और शॉपिंग कर सकें
  • यूजर्स को प्रीमियम सब्सक्रिप्शन का ऑप्शन दिया जाएगा। ऐड रेवेन्यू पर निर्भरता कम होगी। ट्विट एडिट करने, ट्वीट से पैसा कमाने, ऐड फ्री ट्विटर का विकल्प मिलेगा।
  • फ्री स्पीच प्लैटफॉर्म बनाने पर जोर होगा। इसके लिए कंटेंट मॉडरेशन पॉलिसी बदलेगी। इसी नीति के तहत ट्रंप के अकाउंट को सस्पेंड किया गया था।

मस्क ने कहा कि मैं चाहता हूं कि ट्विटर सबसे बेहतरीन ऐडवरटाइजिंग प्लैटफॉर्म हो, जहां सभी उम्र के यूजर्स फिल्में देख सकें और विडियो गेम खेल सकें। इससे संकेत मिला कि आगे चलकर ट्विटर की ऐड पॉलिसी में भी बदलाव हो सकता है। मस्क ने साफ किया कि ज्यादा पैसा कमाने के लिए नहीं, बल्कि इंसानियत की मदद करने लिए मैंने ट्विटर से डील की है, ताकि हमारी आने वाली सभ्यता के पास कॉमन डिजिटल स्पेस हो, जहां विभिन्न विचारधारा और विश्वास के लोग किसी भी तरह की हिंसा के बिना स्वस्थ चर्चा कर सकें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button