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फर्जी फर्मों के सिंडिकेट का पर्दाफाश, उत्‍तराखंड सरकार को चार करोड़ का चूना लगाने की थी तैयारी

दिल्ली की कपड़े की दुकान से उत्तराखंड और दिल्ली में आईटी सेवाएं दे रहीं सात फर्जी कंपनियां और चार फर्में पकड़ी गई हैं। सीजीएसटी देहरादून की टीम ने यह कार्रवाई करते हुए 4.2 करोड़ का फर्जी रिफंड भुगतान होने से बचा लिया। सीजीएसटी देहरादून के आयुक्त दीपांकर ऐरन के निर्देशों पर देहरादून की टीम ने संगठित धोखाधड़ी का पर्दाफाश किया है।

आयुक्त ऐरन ने बताया कि देहरादून में पंजीकृत हुई नई कंपनी मैसर्स टेक ग्रोथ इंटरप्राइजेज के खिलाफ खुफिया जांच शुरू की गई थी। जांच में पाया गया कि यह एक सॉफ्टवेयर और आईटी सॉल्यूशन की तथाकथित कंपनी थी। रिफंड आवेदन के साथ बैंक का जो स्टेटमैंट जमा किया गया था, उससे पता चला कि इसके खाते में विदेश से भी पैसा आया था।

जांच आगे बढ़ी तो 11 फर्मों व कंपनियों के सिंडिकेट का पता चला। इन सभी की तरफ से एक ही तरह की धोखाधड़ी की जा रही थी। कंपनियों की जांच हुई तो पता चला कि दिल्ली की मैसर्स मोरया इंटरप्राइजेज इन आईटी कंपनियों का मूल आपूर्तिकर्ता है। यह मोरया इंटरप्राइजेज कपड़ों का आपूर्तिकर्ता है। इस फर्म ने दिल्ली में मैसर्स गगन सॉल्यूशंस, मैसर्स इमेक्यूलेट वर्ड टेक सॉल्यूशन और मैसर्स जेके सॉल्यूशंस को फर्जी आपूर्ति की है। इन तीन फर्मों ने उत्तराखंड की सात कंपनियों को आईटी प्रोडक्ट और सर्विस की आपूर्ति की है।

देहरादून में यह पकड़ी गईं सात फर्जी कंपनियां

-मैसर्स टेक ग्रोथ इंटरप्राइजेज
-मैसर्स जेनटिया सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस
-मैसर्स ब्रूकफील्ड वर्ल्ड वाइड सॉल्यूशंस
-मैसर्स प्रोटेक्ट वर्ल्ड वाइड सॉल्यूशंस
-मैसर्स खिंडा टेक सॉफ्टवेयर सिस्टम्स
-मैसर्स एकार्न सॉफ्टवेयर सिस्टम्स
-मैसर्स बैकबोन सॉफ्टवेयर सिस्टम्स

किराये की दुकानों में चल रहीं थीं कंपनियां

जांच में पाया गया कि इनमें से मैसर्स टेक ग्रोथ इंटरप्राइजेज ने आपूर्तिकर्ता से कथित इनपुट आईटी सेवाओं की प्राप्ति पर 42 लाख रुपये का इनपुट टैक्स की वापसी का आवेदन किया था। सप्लाई चेन में कभी पहले भुगतान नहीं किया गया था। जांच की गई तो सीजीएसटी की टीमें भी हैरान रह गईं। तलाशी में पाया गया कि देहरादून में एक कंपनी को छोड़कर छह कंपनियां किराये की दुकान पर चल रही थीं, जिनमें कोई कामकाज नहीं होता था। जब इन संपत्तियों के मालिकों से पूछताछ की ई तो पता चला कि यहां कोई कारोबार नहीं होता। केवल महीने में मालिकों को किराये का भुगतान किया जाता है।

23.4 करोड़ की फर्जी आपूर्ति

जांच में पता चला कि इन कंपनियों और फर्मों की ओर से 23.4 करोड़ की फर्जी आपूर्ति की गई। सीजीएसटी आयुक्त दीपांकर ऐरन ने बताया कि 42 लाख के रिफंड का दावा करने वाली टेक ग्रोथ के प्रतिनिधि वकील का बयान भी दर्ज किया गया है और उनकी भूमिका की जांच की जा रही है।

सभी कंपनियों और फर्मों की होगी बड़ी जांच

सीजीएसटी देहरादून आयुक्त दीपांकर ऐरन की ओर से दिल्ली में पंजीकृत चार संदिग्ध इनपुट सेवा प्रदाताओं और उत्तराखंड में पंजीकृत चार कंपनियों के खिलाफ राज्य जीएसटी कार्यालय उत्तराखंड और सीजीएसटी दक्षिणी दिल्ली के अफसरों से जांच कराने का अनुरोध किया गया है। उत्तराखंड की जो तीन कंपनियां यहां पंजीकृत थीं, उन्हें निलंबित किया गया है। टेक ग्रोथ के रिफंड पर रोक लगा दी गई है। दीपांकर के मुताबिक इस फर्जीवाड़े के खुलने से चार करोड़ से ज्यादा का फर्जी रिफंड रोका गया है।

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