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सबसे पहले कब मनाया गया था ‘इंटरनेशनल मेन्‍स डे’? जानें इस दिन का इतिहास और उद्देश्य

समाज में जिस तरह महिलाओं का बड़ा योगदान है, उसी तरह की भी बड़ी भूमिका है. पुरुष परिवार, समाज और राष्ट्र का ऐसा स्तम्भ है, जिसके बिना सब कुछ अधूरा है. पुरुषों के कार्यों, उनके सकारात्‍मक गुणों की सराहना और समाज में उनकी अहमियत को समझाने के लिए हर साल 19 नवंबर को अंतर्राष्‍ट्रीय पुरुष दिवस (International Men’s Day) मनाया जाता है. ये दिन पुरुषों के साथ होने वाले भेदभाव, शोषण, उत्पीड़न, हिंसा और असमानता के खिलाफ आवाज उठाने और उन्‍हें उनके अधिकार दिलाने का दिन है. यहां जानिए इस दिन का महत्‍व, इतिहास और अन्‍य जरूरी जानकारी.

ये है International Men’s Day की थीम

हर साल International Men’s Day की थीम को बदला जाता है. पिछले साल ये थीम पुरुषों और महिलाओं के बीच बेहतर संबंध (Better relations between men and women) रखी गई थी. साल 2022 की थीम है ‘पुरुषों और लड़कों की मदद करना’ (Helping Men and Boys). जिसका उद्देश्य विश्व स्तर पर पुरुषों और लड़कों के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार करना है.

मेन्‍स डे का इतिहास

इंटरनेशनल मेन्‍स डे पहली बार 1999 में मनाया गया था. वेस्‍टइंडीज विश्‍व विद्यालय के इतिहास के प्रोफेसर डॉ. जेरोम तिलक सिंह ने इस दिन अपने पिता का जन्‍मदिन मनाया था और लोगों को पुरुषों की आवाज उठाने और उनके सकारात्‍मक पहलुओं को सामने लाने के लिए लोगों को प्रेरित किया था. भारत में पहली बार मेन्‍स डे 19 नवंबर 2007 को मनाया गया.

इंटरनेशनल मेन्‍स डे का महत्‍व

मेन्‍स डे मनाने का उद्देश्‍य पुरुषों की भलाई, उनके स्‍वास्‍थ्‍य और संघर्षों को लोगों के सामने लाना है. इस दिन पुरुषों के साथ होने वाले भेदभाव पर बात की जाती है. लोगों को स्‍त्री और पुरुषों दोनों की अहमियत को बताया जाता है. उनके साथ होने वाले भेदभाव के प्रति लोगों को जागरुक किया जाता है.

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