जब दिल्ली के कारोबारी को मुख्तार अंसारी ने किया था किडनैप, मांगी थी एक करोड़ रुपये की फिरौती
नई दिल्ली। पूर्वी उत्तर प्रदेश में जड़े जमाने के बाद माफिया मुख्तार अंसारी ने राजधानी दिल्ली में भी अपने जुर्म का साम्राज्य फैलाने की कोशिश की थी, लेकिन दिल्ली पुलिस की सख्ती के बाद उसने दिल्ली की ओर नजर गड़ाना छोड़ दिया था। 1993 में मुख्तार ने पश्चिमी दिल्ली के कारोबारी वेद प्रकाश गोयल का अपहरण कर उनके स्वजन से एक करोड़ की फिरौती मांगी थी।
शिकायत मिलते ही क्राइम ब्रांच के तत्कालीन जांबाज आईपीएस अशोक चांद की टीम ने दिल्ली से 250 किलोमीटर दूर पंजाब-हरियाणा सीमा पर पंचकुला से मुख्तार और उसके दो सहयोगी अताउर-रहमान और अफरोज उर्फ चुन्नू पहलवान को गिरफ्तार कर व्यवसायी को मुक्त करा लिया था।
मांगे थे एक करोड़ रुपये
सात दिसंबर 1993 को घटना वाले दिन कारोबारी अपनी लाल रंग की मारुति कार से पंडारा रोड स्थित अपने दोस्त की जन्मदिन की पार्टी में शामिल होने जा रहे थे। वहीं से उनका अपहरण कर लिया गया था। अपहरण के अगले दिन मुख्तार ने लैंडलाइन नंबर से कॉल कर स्वजन को गोयल को सुरक्षित छुड़ाने के लिए फिरौती मांगी थी। तिलक मार्ग इलाके से गोयल का अपहरण किया गया था, जो संसद मार्ग थाने से कुछ किलोमीटर दूर है।
तिलक मार्ग थाना पुलिस ने अपहरण की धारा में केस दर्ज कर लिया था। तत्कालीन पुलिस आयुक्त ने जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी थी। जिस घर में गोयल को रखा गया था, वहां से क्राइम ब्रांच ने एक रस्सी, कुछ टेप, एक सिला हुआ ताबूत, कुछ इंजेक्शन की सुई, रासायनिक पैंथालीन आदि बरामद किया था।
उस समय 30 साल का था मुख्तार अंसारी
अशोक चांद का कहना है कि उस दौरान मुख्तार करीब 30 साल का था। मुख्तार उस समय आत्मविश्वास से भरा हुआ था। उसे कानून का कोई डर नहीं था। फिरौती की कॉल पंचकुला के एक पुलिस बूथ से की गई थी। वहीं पर पास में कारोबारी को एक किराए के मकान में रखा गया था। अशोक चांद का कहना है कि उन्होंने सोचा भी नहीं था कि एक दिन मुख्तार पूर्वी उत्तर प्रदेश का बड़ा माफिया बन जाएगा।
उक्त घटना के बाद 2009 में स्पेशल सेल ने भी मुख्तार पर पोटा और मकोका के दो मामले दर्ज किए थे। अशोक चांद का कहना है कि 1993 से पहले अंसारी पर पूर्वी यूपी के विभिन्न जिलों में मुख्तार पर 12 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। उन दिनों मुख्तार अक्सर दक्षिण दिल्ली के एक गेस्ट हाउस में आकर रूकता था। पुलिस को पता चलने पर उसे भी पकड़ लिया गया था।
मुख्तार के पास से उस समय 12 बोर की बंदूक, प्वाइंट 22 बोर की राइफल और एक 30.06 राइफल बरामद हुई थी। चांद का कहना है कि मुख्तार बहुत अच्छा निशानेबाज था। वह सटीक निशाने के लिए जाना जाता था। जब उसे स्पेशल सेल ने पोटा के तहत गिरफ्तार किया था, तब भी उसके पास से हथियार और गोला-बारूद बरामद हुए थे। दिल्ली के जेल में मुख्तार 1996 तक रहा। फरवरी 1996 में उसे अपहरण और दिल्ली के टाडा मामले में जमानत मिल गई थी।
2002 में टाडा कोर्ट में दिल्ली में उपस्थित नहीं होने के चलते मुख्तार के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया था। न्यायालय में पेश होने पर मुख्तार को अदालत ने जेल भेज दिया था। 2003 में उसे 14 साल की सजा सुनाई गई थी। मुख्तार ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी, जिसपर 2004 में उसे टाडा मामले में बरी कर दिया गया। 25 फरवरी 2023 को आर्म्स एक्ट और पांच टाडा एक्ट के साकेत कोर्ट ने उसे 10 साल सश्रम कारावास और 5.55 लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी।