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जानें- स्कूल के निरीक्षण के बाद क्या रहा आप विधायक आतिशी का रिएक्शन, उत्तराखंड सरकार को कही ये बात

नई दिल्ली :आज उत्तराखंड के दौरे के तीसरे दिन, देहरादून की रायपुर विधानसभा में पहुंची. आप की दिल्ली से विधायक आतिशी ने राजधानी देहरादून के सहस्त्रधारा रोड स्थित नेहरु एकेडमी, जूनियर हाईस्कूल का औचक निरिक्षण किया. यहां आप कार्यकर्ताओं के साथ पहुंची आप विधायिका ने स्कूल की हालत पर अफसोस जताते हुए कहा कि यह स्कूल राजधानी देहरादून का स्कूल है और सचिवालय से इस स्कूल की दूरी लगभग 5 किमी होने के बावजूद भी यह स्कूल इतना बदहाल है. उन्होंने कहा, जब राजधानी के स्कूल ऐसे हैं तो प्रदेश के अन्य स्कूलों के क्या हालात होंगे. इसका अंदाजा ऐसे स्कूलों को देखकर लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा, सरकार को ऐसे स्कूलों पर शर्म आनी चाहिए.

उन्होंने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, राज्य के लिए यह शर्म की बात है कि राज्य निर्माण के 21 साल बाद भी सरकारी स्कूलों का राजधानी में इतना बुरा हाल है. जहां छत से बरसात में पानी टपकता है. इस स्कूल में चार कमरे मात्र हैं जिनमें से दो कमरों को स्टोर के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है. स्कूल में हर तरह का टूटा फूटा सामान पडा हुआ है. अपने दौरे के दौरान उन्होंने वहा आस पास मौजूद उसी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों से बातचीत की जो पास में ही खेल रहे थे. उन छात्रों ने आतिशी को बताया, स्कूल में बडे बच्चों को तो कक्षा मे जमीन पर बैठकर, पढाया जाता है. लेकिन छोटे बच्चों को बाहर खुले में पढाया जाता है. उन्होंने कहा कि जब राजधानी देहरादून का यह हाल है तो अन्य पहाडी इलाकों में शिक्षा का क्या स्तर होगा.

उन्होंने कहा कि अगर उत्तराखंड के बच्चों को अच्छे स्कूल नहीं मिल पाए तो यह बच्चे कैसे आगे बढ पाएंगे. इन बच्चों का क्या भविष्य होगा. उन्हेांने कहा कि ऐसी बदहाल स्कूलों के लिए यहां की सरकार, शिक्षा मंत्री और मुख्यमंत्री को शर्म आनी चाहिए. उन्होंने आगे कहा कि महज 5 किमी सचिवालय से यह स्कूल मौजूद है. मुख्यमंत्री को इस स्कूल का दौरा करना चाहिए.  लेकिन ना तो मुख्यमंत्री इस स्कूल में आए, और ना ही कोई नेता अधिकारी,क्योंकि सबको अपनी कुर्सी की लडाई से मतलब है बच्चों की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं है. सभी नेता कुर्सी की लडाई में व्यस्त हैं. उन्होंने कहा कि आजकल हरक सिंह रावत अपने इस्तीफे को लेकर सुर्खियों मे बने हुए हैं लेकिन क्या कभी उन्होंने ऐसे स्कूलों के लिए अपना इस्तीफा दिया.

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