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सेना की वर्दी पहनकर बेरोजगार युवकों को देता था झांसा, फर्जी नियुक्ति पत्र भी बांटे, तलाशी में मिली ARO की मुहर

उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने एक ऐसे मास्टरमाइंड ठग को गिरफ्तार किया है जो, हिंदुस्तानी फौज में फर्जी भर्तियां कर रहा था. खुद को यह ठग सेना का कैप्टन बताता था. जब इस महाठग की गिरफ्तारी हुई तो उसके कब्जे से पुलिस और सेना की वर्दी भी मिली. साथ ही मिले सेना के कई नकली अलंकरण भी मिले. इन तथ्यों की पुष्टि बुधवार रात टीवी9 भारतवर्ष से यूपी पुलिस एसटीएफ प्रमुख आईपीएस अमिताभ यश ने की. गिरफ्तार ठग का नाम अंकित मिश्रा उर्फ आशीष निवासी देहात कोतवाली, जिला सुलतानपुर है.

आरोपी के कब्जे से सेना-पुलिस की वर्दी, अलंकरण, जाल में फंसे तीन युवकों के प्रमाण-पत्र, एआरओ अमेठी के नाम की मुहर, 2 फर्जी नियुक्ति प्रमाण-पत्रों की छाया प्रतियां मिली हैं. यह दोनो ही पत्र भारतीय सेना मे नायक पद हेतु हैं. इसके अलावा आरोपी के कब्जे से एसटीएफ ने 2 फर्जी नियुक्ति पत्र बिना भरे हुए जब्त किए हैं. यह भी भारतीय सेना में नायक पद के उम्मीदवारों के हैं. साथ ही पुलिस ने एक स्विफ्ट डिजायर कार, कई बैंक की चैकबुक, पासबुक, मोबाइल फोन, आधार और पैन कार्ड व नकदी जब्त की है.

मिलिट्री दफ्तरों के आसपास ढूंढता था शिकार

आरोपी को बुधवार शाम को ही लखनऊ स्थित पीजीआई अस्पताल के पास से गिरफ्तार किया गया है. एसटीएफ ने यह एक्शन मिलिट्री इंटेलीजेंस की गुप्त सूचना पर किया है. यूपी पुलिस एसटीएफ चीफ अमिताभ यश ने आगे कहा, “गिरफ्तारी के वक्त आरोपी मिलिट्री कैप्टन के यूनिफार्म में ही था. वो कार में सवार हो कर पहुचा तभी उसे दबोच लिया गया. आरोपी मिलिट्री दफ्तरों के आसपास ही शिकार को तलाशने के लिए भटकता रहता था. वहां भी वो आर्मी कैप्टन की वर्दी में ही घूमता था. पता चला है कि आरोपी ने एटा निवासी राहुल व संत कबीर नगर निवासी बलिराम से भारतीय फौज में उन्हें भर्ती करवाने के नाम पर 5-5 लाख में डील तय कर ली थी.

सेना में भर्ती के नाम पर लाखों की ठगी

एडवांस के बतौर 4 लाख 40 हजार रुपए उन दोनों से यह ठग वसूल चुका था.” गिरफ्तारी के वक्त आरोपी ने फर्जी नियुक्ति पत्रों की छाया प्रतियां पीड़ितों को थमाकर, बाकी के बचे हुए 6 लाख 60 हजार रुपए वसूलने की योजना बनाई थी. मगर गिरफ्तारी के चलते कामयाब नहीं हो सका. आरोपी ने दोनों ही पीड़ितों से कहा था कि, बकाया 6 लाख 60 हजार रुपए का भुगतान होते ही, उनके जॉइनिंग लैटर डाक द्वारा घर पर ही पहुंच जाएंगे. पुलिस महकमे के थानेदार की बरामद वर्दी के बारे में पूछे जाने पर ठग ने एसटीएफ अफसरों से कहा कि, पुलिस दारोगा की वर्दी वो टोल पर टैक्स बचाने के लिए पहना करता था. जबकि फौज के कैप्टन की वर्दी इसलिए पहनता था ताकि, जाल में फांसे जा रहे युवकों को उसके ऊपर शक न हो.

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