लखनऊ में केनरा बैंक से 45 करोड़ का गबन करने के मामले में सैन्यकर्मी समेत दो गिरफ्तार, चार की तलाश
लखनऊ। कृष्णानगर पुलिस ने बृहस्पतिवार को उपसा (उत्तर प्रदेश राज्य सड़क अथॉरिटी) के केनरा बैंक (पहले सिंडिकेट बैंक) में जमा 45 करोड़ रुपये हड़पने के मामले में दो जालसाजों को और गिरफ्तार किया है। पकड़े गए जालसाज रिटायर्ड सैन्यकर्मी मेजर उर्फ ओमप्रकाश और राजेश सिंह हैं। बताया जा रहा है कि इन्हीं दोनों ने रकम हड़पने की योजना बनाने वालों से बैंक मैनेजर की डील कराई थी। बदले में इन्हें 45 लाख रुपये का कमीशन मिला था। इससे पहले पुलिस ने पहले बैंक मैनेजर अखिलेश कुमार और फिर अमित तिवारी को गिरफ्तार किया था।
प्रभारी निरीक्षक कृष्णानगर आलोक कुमार राय के मुताबिक, केनरा बैंक से 45 करोड़ रुपये का गबन किए जाने के आरोपी निलंबित बैंक मैनेजर अखिलेेश कुमार और उसकेसहयोगी अमित तिवारी को पुलिस ने तीन दिन की रिमांड पर लिया है। इस दौरान बैंक मैनेजर अखिलेश ने इस हेराफेरी के मामले में रिटायर्ड सैन्य कर्मी मेजर उर्फ ओमप्रकाश और राजेश सिंह के भी शामिल होने की बात कही। इसी आधार पर दोनों को गिरफ्तार किया गया है। मेजर उर्फ ओमप्रकाश मूलरूप से गाजीपुर के जखनिया इलाके का रहने वाला है। उसने पीजीआई क्षेत्र के गांधीनगर में अपना आवास बनवा रखा है। वह सेना से रिटायर्ड कर्मी है। सेना में होने के कारण उसे लोग मेजर कहकर बुलाते थे जो बाद में उसके नाम के साथ जुड़ गया। वहीं राजेश सिंह मानकनगर थानाक्षेत्र के सूर्यनगर आरडीएसओ का रहने वाला है। दोनों ने मिलकर इस जालसाजी को अंजाम दिया है।
पुलिस के मुताबिक, पूछताछ में मेजर उर्फ ओमप्रकाश ने कुबूल किया कि राजेश सिंह उसका करीबी मित्र है। राजेश के जरिए उसकी मुलाकात अक्तूबर 2019 में राज दुग्गल और संजय अग्रवाल से हुई थी। इन लोगों ने बताया कि 41 करोड़ की एक एफडी करानी है जिसके बदले में कमीशन मिलेगा। राजेश के कहने पर मेजर ने निलंबित बैंक मैनेजर अखिलेश कुमार से संपर्क किया। उसके जरिए एफडी करवा दी। इसके बदले में मेजर व राजेश को 45 लाख रुपये का कमीशन मिला था जिसे दोनों ने आपस में बांट लिया। कमीशन के रुपये से मेजर ने मकान की मरम्मत के साथ एक लग्जरी कार भी खरीदी। वहीं राजेश को जो कमीशन की रकम मिली थी। उससे उसने आयुर्वेद प्रोडक्ट की दुकान खोली और एक कार भी खरीदी है। पुलिस ने दोनों के पास से हेराफेरी की रकम से खरीदी गई कार को जब्त कर लिया है।
पुलिस के मुताबिक, केनरा बैंक में जमा किए गए 45 करोड़ रुपये की हेराफेरी कर निजी फर्म में स्थानांतरित कर दिया गया। यह निजी फर्म कुमार इंटरप्राइजेज के नाम से संचालित है जिसका संचालन मोहनलालगंज निवासी अमित कुमार तिवारी करता था। इस फर्जीवाड़े में पुलिस को आठ लोगों की तलाश है। पुलिस के हत्थे चार लोग चढ़ चुके हैं। चार की तलाश में दबिश दी जा रही है। इस मामले में बैंक मैनेजर के खिलाफ 31 जनवरी 2021 को केनरा बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय प्रमुख मनोज कुमार मीणा ने थाने में 45 करोड़ की हेराफेरी का केस दर्ज कराया था। बैंक मैनेजर अखिलेश कुमार मोहनलालगंज निवासी अमित तिवारी के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश सड़क हाईवे अथारिटी समेत कई सरकारी व निजी लोगों के खातों की रकम की एफडी बनाकर हेराफेरी कर रहा था।
पुलिस के मुताबिक, बैंक में खाते से लेकर एफडी तक के काम में कमीशन पर काम करने वाला मेजर ज्यादा कमीशन के लालच में बैंक मैनेजर के गिरोह में शामिल हो गया था। इसके बाद दस्तावेज में हेराफेरी कर खाते खुलवाने से लेकर एफडी तक बनवाने का काम करने लगा था। पूछताछ में सामने आया है कि वह गाजीपुर की जखनिया विधानसभा सीट से चुनाव की तैयारी कर रहा था लेकिन किसी पार्टी से टिकट नहीं मिला।
पुलिस के मुताबिक, इस मामले में अन्य नाम भी सामने आए हैं जिनमें संजय अग्रवाल व राज दुग्गल भी है। राज दुग्गल बैंक का बड़ा जालसाज है। उसका काम बैंकों से लोगों को बड़ा लोन कराने और अधिकारियों को सुविधाएं मुहैया कराने का है। वहीं संजय अग्रवाल फर्जी दस्तावेज तैयार करने में माहिर है। उसने ही बैंक मैनेजर से दस्तावेजों की प्रति लेकर बैंक के फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे। पुलिस दोनाें की तलाश में दबिश दे रही है।
पुलिस के मुताबिक, राजेश सिंह ट्रेवेल एजेंसी चलाता है। उसकी कार सचिवालय से संबंद्घ है। इसी कारण वह अक्सर सचिवालय से लेकर दारूलशफा तक घूमता रहता है। वहीं मेजर उर्फ ओमप्रकाश को राजनीति में दिलचस्पी होने के कारण विधान भवन व दारूलशफा में नेताओं के पास आता-जाता था। इसी दौरान दोनों की मुलाकात दारूलशफा में ही हुई थी। मेजर की सभी राजनीतिक दलों में अच्छी पकड़ है जिससे वह प्रशासनिक व पुलिस विभाग में दखल रखता है। पुलिस के मुताबिक, मेजर व राजेश के खिलाफ मामलों की जानकारी की जा रही है।