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महंगाई से लड़ने के लिए यूरोपियन सेंट्रल बैंक ने बढ़ाई ब्याज दर, इतने फीसद की हुई वृद्धि

यूरोपीय केंद्रीय बैंक (ECB) ने 11 साल में पहली बार नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि की। प्रमुख ब्याज दर में यह वृद्धि उम्मीद से अधिक है। इसके साथ ECB अब अमेरिकी फेडरल रिजर्व और दुनिया के अन्य प्रमुख देशों के केंद्रीय बैंकों की कतार में आ गया है, जिन्होंने महंगाई को काबू में लाने के लिये ब्याज दरें बढ़ाई हैं।

केंद्रीय बैंक के इस कदम से कर्ज महंगा होगा। इससे यह सवाल उठने लगे हैं कि ब्याज दर बढ़ाने की जो होड़ है, क्या उससे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं मंदी की चपेट में नहीं आएंगी? कर्ज सस्ता होने से लोग खाने का सामान, ईंधन और अन्य चीजों पर अधिक खर्च करते हैं।

यूरो मुद्रा का उपयोग करने वाले 19 देशों के लिये प्रमुख ब्याज दर में आधा प्रतिशत की वृद्धि के बाद सितंबर में भी मौद्रिक नीति समीक्षा में इतनी ही और बढ़ोतरी की संभावना है।

ECB ने कहा कि मुद्रास्फीति के जोखिम को देखते हुए नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि बिल्कुल जायज है। इसका मतलब है कि बैंकों में अब ब्याज दर बढ़ेगी जो अबतक नकारात्मक थी।

ECB की अध्यक्ष क्रिस्टीन लेगार्ड ने कहा, ‘‘आर्थिक गतिविधियां धीमी हो रही हैं। रूस का यूक्रेन पर हमले का असर वृद्धि पर पड़ा है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऊंची महंगाई के क्रय शक्ति पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव, आपूर्ति के मोर्चे पर बाधाएं जारी रहने और अनिश्चिता बने रहने से अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। इन कारणों से 2022 की दूसरी छमाही और उसके बाद का परिदृश्य धुंधला जान पड़ रहा है।’’

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