TMC नेता महुआ मोइत्रा को खाली करना पड़ेगा सरकारी आवास, नहीं मिली दिल्ली हाईकोर्ट से भी राहत
नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट से भी टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा को कोई राहत नहीं मिली है। बता दें, सरकारी आवास खाली करने के 16 जनवरी के ताजा आदेश को लोकसभा से निष्कासित की गई तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। उनकी अर्जी को दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।
संपदा महानिदेशालय ने मोइत्रा को तत्काल सरकारी आवास खाली करने को कहा है। न्यायमूर्ति गिरीश कथपालिया की पीठ के समक्ष मोइत्रा की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि उनकी मुवक्किल बीमार हैं और अकेली हैं। उन्होंने तर्क दिया कि उनकी मुवक्किल महिला हैं और उन्हें चार महीने तक आवास में रहने की राहत दी जाए। अधिवक्ता ने यह भी कहा कि आप इसके बदले शुल्क वसूल कर सकते हैं। हालांकि, पीठ ने कहा कि अगर कुछ दिन ही बात हैं तो बताइए।
सदस्यता जाते ही खाली करना पड़ता है आवास
वहीं, याचिका का विरोध करते हुए केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने कहा कि मोइत्रा के राज्य सभा से निष्कासन का मामला शीर्ष अदालत में लंबित है। यह भी कहा कि मोइत्रा अब राज्यसभा सदस्य नहीं हैं और जैसे ही आप सदस्य नहीं रहते हैं, आपको बंगला खाली करना होता है। इससे पहले महुआ मोइत्रा ने पूर्व में जारी किए गए आवास खाली करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका चार जनवरी को वापस ले ली थी।
संपदा निदेशालय से महुआ करेंगी अनुरोध
महुआ ने कहा था कि इस संबंध में वह संपदा निदेशालय से संपर्क करके लोक सभा चुनाव तक आवास में रहने की अनुमति देने का अनुरोध करेंगी। मोइत्रा ने आगामी लोक सभा चुनाव संपन्न होने तक सरकारी बंगले में रहने की अनुमति देने का निर्देश देने की मांग की है। मोइत्रा ने संपदा निदेशालय द्वारा सात जनवरी तक आवास खाली करने संबंधी आदेश को चुनौती दी थी। मोइत्रा ने आगामी आम चुनावों के नतीजों तक सरकारी आवास पर अपना कब्जा बरकरार रखने की अनुमति देने का अदालत से निर्देश की मांग की थी।
अनैतिक आचरण का पाई गईं थी दोषी
बता दें मोइत्रा को अनैतिक आचरण का दोषी ठहराया गया था और आठ दिसंबर को व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से कथित तौर पर उपहार स्वीकार करने और उनके साथ संसद वेबसाइट की यूजर आइडी और पासवर्ड साझा करने के लिए लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। याचिका में मोइत्रा ने कहा था कि लोकसभा से उनका निष्कासन उन्हें अयोग्य नहीं ठहराता है।