छात्रा को घर में घुसकर जिंदा जलाने की घटना में तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सुनाई सजा
मैनपुरी। कुरावली में 13 दिसंबर 2017 को बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा को घर में घुसकर जिंदा जलाने की घटना में सोमवार को अदालत से फैसला आया। तीन आरोपियों को एडीजे विशेष पॉक्सो जितेंद्र मिश्रा की कोर्ट से दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वहीं, एक महिला आरोपी को साक्ष्यों के अभाव में दोष मुक्त कर दिया गया। आरोपियों पर गैंगरेप का भी आरोप था। मगर, वह साक्ष्यों के अभाव में सिद्ध नहीं हो सका।
वारदात 13 दिसंबर 2017 की है। बीएससी प्रथम वर्ष की 18 वर्षीय छात्रा शाम को अपने घर में कमरे में टीवी देख रही थी। तभी कस्बा कुरावली के आशीष गुप्ता उर्फ पकौड़ी पुत्र सुनील गुप्ता व सचिन गुप्ता पुत्र राम मिस्टर गुप्ता और पंचम सिंह उर्फ पंछी पुत्र गोविंद सिंह निवासी महाजनान, कुरावली कमरे में घुसे और बोतल से केरोसिन उड़ेलकर छात्रा को जला दिया था। चीख पुकार पर छात्रा के परिजन व गांव वाले जुटे। आनन-फानन में आग बुझाकर जिला अस्पताल ले गए। करीब 40 फीसदी तक झुलसी छात्रा को वहां से मेडिकल कॉलेज सैफई रेफर कर दिया था।
छात्रा जिंदगी-मौत से लंबे संघर्ष के बाद उपचार कराकर जिंदा अपने घर लौटी थी। पुलिस ने तीनों आरोपियों सहित विवेचना में सामने आई एक महिला आरोपी को भी मुकदमे में शामिल कर चारों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। कोर्ट में अभियोजन की ओर से अभिषेक गुप्ता और अनूप यादव ने साक्ष्य और गवाहों को पेश कराया। कोर्ट में गैंगरेप सिद्ध नहीं हुआ। इधर, महिला आरोपी भी साक्ष्यों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दी है। कोर्ट ने आशीष गुप्ता उर्फ पकौड़ी, सुनील गुप्ता व सचिन गुप्ता को कोर्ट ने आजीवन कारावास सहित 33-33 हजार रुपये के जुर्माने से दंडित किया है। जुर्माने की पूरी धनराशि पीड़िता को अदा करने के आदेश दिए हैं।
छात्रा की मां ने मुकदमा दर्ज कराया था। वारदात के मूल में आरोप लगाया था कि उसकी बेटी से करीब 6 माह से आरोपी सामूहिक दुष्कर्म करते आ रहे थे। बेटी नाबालिग थी। उसके मना करने पर आरोपी ब्लैकमेल करने लगे थे। अपने अन्य साथियों संग भी गलत काम कराने के लिए कहने लगे। बेटी गुमसुम रहने लगी थी। जब बेटी से पूछा गया तो उसने पूरी दास्तान बताई थी। घटना वाले दिन बेटी थाने में शिकायत के लिए गई थी। यह बात आरोपियों को पता लग गई। इसी के चलते उन्होंने घर में घुसकर बेटी पर केरोसिन डालकर आग लगाई थी। घटना के समय घर में दो बेटियां और सास थी। उन्होंने आग बुझाई थी। इधर, कोर्ट में पुलिस दुष्कर्म के समर्थन में मजबूत साक्ष्य पेश नहीं कर सकी। इसके चलते आरोपियों पर यह आरोप सिद्ध नहीं हुआ। कोर्ट ने आरोपियों को जानलेवा हमले सहित अन्य धाराओं में दोषी पाते हुए सजा सुनाई।
पीड़िता छात्रा के भाई ने विवेचना के दौरान पुलिस को बताया था कि गांव की एक महिला बहन को बहाने से अपने घर में बुलाती थी। वहां उसके साथ गलत काम कराती थी। भाई के बयानों के आधार पर पुलिस ने महिला को आरोपी बनाते हुए उसके खिलाफ भी चार्जशीट दाखिल की थी। मगर, कोर्ट में उसके खिलाफ भी पर्याप्त साक्ष्य और गवाह नहीं मिले। इसके चलते उसे बरी कर दिया गया।
बीएससी की छात्रा को जिंदा जलाने की कोशिश में आरोपियों के खिलाफ घटना के अगले दिन मुकदमा दर्ज हुआ था। उस वक्त इस वारदात ने प्रदेश की राजनीति में भी भूचाल ला दिया था। आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए क्राइम ब्रांच सहित चार टीमें लगाई गई थीं। एसपी राजेश एस थे। उन्होंने एसओ कुरावली की इस मामले में लापरवाही पाई थी। दरअसल, छात्रा जब थाने पहुंची तो उससे तहरीर नहीं ली गई थी। इतना ही नहीं, एसओ ने शुरुआत में मामले में गंभीरता नहीं दिखाई थी। वारदात वाली रात तत्काल एएसपी ओमप्रकाश सिंह ने कुरावली थाने के एक दरोगा को सैफई मेडिकल कॉलेज भेजा और पीड़िता के परिजनों से घटना की रिपोर्ट ली। इसके बाद देर रात तहरीर के आधार पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया था। एसपी राजेश एस और एएसपी कुरावली थाने में ही डेरा जमाए रहे थे।