पूर्व मंत्री के भतीजे ने जुटाई थी भीड़, पड़ोसी ही बन गए थे सिख परिवारों के काल
कानपुर में सिख विरोधी दंगे के मामले में एसआईटी ने जिस केस में चार आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। उसमें एसआईटी ने बेहद मजबूत साक्ष्य जुटाए हैं। तीन दशक बाद जब फोरेंसिक टीम ने घटना स्थल की छानबीन की थी तो वहां आगजनी के सुबूत मिले थे। कुछ जगहों पर मानव रक्त मिला था। जांच में इसकी पुष्टि भी हुई थी। इसको बेहद मजबूती के साथ एसआईटी ने विवेचना में शामिल किया है।
डीआईजी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि इस केस के घटना स्थल से छेड़छाड़ नहीं हुई थी। इसलिए फोरेंसिक टीम को आगजनी के साक्ष्य मिले थे। आगजनी के सुबूत वहां के दरवाजों और दीवारेां पर थे। इसकी फोटोग्राफी व वीडियो ग्राफी भी कराइ गई थी। केस डायरी में इसको शामिल किया गया है। केस में कुल तीन गवाह भी मिले हैं। एक दो लोगों की गवाही होनी बाकी है। एसआईटी का दावा है कि पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध हैं। आरोपियों को सख्त सजा मिलेगी।
पड़ोसी भी थे हत्याकांड में शामिल
हत्याकांड में पड़ोसी भी शामिल थे। जिसमें मुख्य रूप से स्कूल व शराब कारोबारी भी था। डेयरी मालिक की भूमिका भी संदिग्ध है। यानी दंगों की आग ने पड़ोसियों को भी खूंखार बना दिया था। उधर गिरफ्तार किए गए आरोपियों के परिजनों का कहना था कि आज तक कभी पुलिस उनकी जानकारी घर तक नहीं गई। अचानक हुई गिरफ्तारी से वह स्तब्ध हैं। यह भी बताया कि जो लोग गिरफ्तार किए गए उन्होंने दंगों के बारे में कभी जिक्र तक नहीं किया। यह सभी खेती किसानी कर जीवन गुजार रहे थे।
तब पुलिस ने किया था खेल
इस केस में वारदात के बाद पुलिस ने पचास से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। मगर उनको लुटेरा बताया था। इसलिए केस में वह शामिल ही नहीं किए गए। वहीं पीड़ित परिवार इतनी दहशत में थे कि पैरवी तक नहीं कर सके थे। इस केस में शामिल फतेहपुर निवासी राजू कालिया को पनकी पुलिस ने 1993 में मुठभेड़ में मार गिराया था।
मुख्य आरोपी की मिली लोकेशन
एसआईटी अब दिवंगत मंत्री के भतीजे राघवेंद्र सिंह कुशवाहा को पकड़ने की जद्दोजहद में लग गई है। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में उसकी लोकेशन महोबा के कबरई कस्बे में है। उसके कई स्टोन क्रशर हैं। यही उसका कारोबार है। कभी भी उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।