राष्ट्रीय

सुप्रीम कोर्ट ने 1992-93 मुंबई दंगे में लापता लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का दिया आदेश

उच्चतम न्यायालय ने मुंबई में 1992-93 में हुए दंगों के दौरान लापता हुए 108 लोगों से जुड़े रिकार्ड पर गौर करने के लिए शुक्रवार को एक समिति गठित की। न्यायमूर्ति एस के कौल की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट के संबंधित बेंच ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार इन लोगों के परिवार के सदस्यों या वंशजों का पता लगाने की हर संभव कोशिश करे। पीठ के सदस्यों में न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ भी शामिल हैं।

न्यायालय ने कहा कि कानून व्यवस्था कायम रखने और संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों के अधिकारों की रक्षा करने में राज्य सरकार नाकाम रही थी।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ 60 लोगों के परिवार को मुआवजा दिया गया और बाकी 108 लापता लोगों के परिजन को मुआवजा नहीं अदा किया गया क्योंकि उनके परिवार या उनके आवासीय पते की जानकारी नहीं मिल सकी।

महाराष्ट्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने मुआवजे का काम पूरा करने के लिए 9 महीने का समय दिया है। अदालत ने कहा कि राज्य सरकार दंगे को नियंत्रित कर पाने में बुरी तरह नाकाम हुई थी। राज्य सरकार इस नाकामी का अंजाम आम जनता को भुगतना पड़ा। इसके बाद भी 168 लापता हुए लोगों में से अब तक सिर्फ 60 लोगों के परिजनों को ही मुआवजे दे पाने में कामयाब हो पाई है सरकार।

जिन्हें मुआवजे नहीं मिले उन्हें सरकार 9फीसदी ब्याज के साथ मुआवजा दे

अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह दिए गए वक्त में बाकी के 108 लापता लोगों के वंशजों और परिवार वालों का पता लगाए और उनसे संबंधित जानकारियां इकट्ठी कर डिटेल रिपोर्ट संबंधित समिति को सौंपे और बचे हुए लोगों को मुआवजा देने का काम तय वक्त पर पूरा करे। इतना ही नहीं सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि अब तक मुआवजा ना दिए जाने से जो संबंधित लोगों का नुकसान हुआ है, उसका हर्जाना भी देना होगा। अदालत ने 9 फीसदी ब्याज के साथ मुआवजा देने का आदेश दिया है।

बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद हुए थे मुंबई दंगे और सीरियल बम ब्लास्ट

1992-93 में अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद मुंबई में दंगे हुए थे। इस दंगे में 900 लोग मारे गए थे और 2036 लोग जख्मी हुए थे। मुंबई के 1992-1993 के दंगे और 1993 के सीरियल बम ब्लास्ट से जुड़ी अहम सुनवाई के दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार को यह अहम निर्देश दिए।

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