सपा ने 8 सीटों पर मेयर प्रत्याशियों का ऐलान किया, गोरखपुर से काजल निषाद और मेरठ से विधायक की पत्नी को टिकट
गोरखपुरः नगर निकाय चुनाव में गोरखपुर के महापौर पद के लिए समाजवादी पार्टी ने सबसे अपने उम्मीदवार की घोषणा की है. भोजपुरी फिल्म स्टार और गोरखपुर में कई बार चुनावी लड़ चुकी काजल निषाद को पार्टी ने इस बार मेयर पद का प्रत्याशी घोषित किया है. घोषणा से पहले बुधवार को दिन भर काजल निषाद के प्रत्याशी बनाए जाने को लेकर खूब अटकलें लगाई जा रही थीं. इसके बाद देर रात आधिकारिक तौर पर समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल ने ये घोषणा की. सपा के उम्मीदवारी की घोषणा के बाद अब भारतीय जनता पार्टी के साथ कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशियों पर लोगों की नजरें टिक हुई हैं. फिलहाल अनारक्षित सीट पर सपा ने एक बैकवर्ड और महिला को चुनावी मैदान में उतारकर एक तीर से कई निशाना साधने का प्रयास किया है.
बता दें कि महापौर प्रत्याशी को लेकर बुधवार को लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ ही गोरखपुर के तमाम वरिष्ठ नेताओं के साथ समीक्षा बैठक हुई. पिछले कुछ समय से काजल निषाद एक फायर ब्रांड लेडी के रूप में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुई हैं. गोरखपुर की राजनीति में वह साल 2012 में दाखिल हुई थी. तब वह बतौर कांग्रेस प्रत्याशी गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा सीट से मैदान में उतरी थीं. इस दौरान उनके ऊपर हमला भी हुआ था. तत्कालीन समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से इनके काफिले का आमना-सामना होना और गोली चलने की घटना में वह घायल भी हो गई थीं. इसके बाद भी काजल चुनावी मैदान में डटी रहीं और कांग्रेस के खाते में सम्मानजनक वोट दिलाने में कामयाब हुई. हालांकि उन्हें जीत हासिल नहीं हुई थी.
2012 के बाद से काजल राजनीति में सक्रिय रहीं. वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कैपियरगंज विधानसभा सीट से अपने उम्मीदवारी को लेकर चर्चा मे रहीं. कैंपियरगंज से प्रत्याशी बनकर उन्होंने पूर्व कैबिनेट मंत्री फतेह बहादुर सिंह को जोरदार टक्कर दी. काजल के चुनाव लड़ने से फतेह बहादुर सिंह को भी क्षेत्र में काफी मेहनत करनी पड़ी. वो अपनी ग्लैमरस स्टाइल और बोलचाल की भाषा के साथ गीत और कविताओं के माध्यम से काजल मतदाताओं को लुभाने में कामयाब रही थीं.
फिलहाल गोरखपुर महापौर की सीट से काजल निषाद के रूप में सपा की दावेदारी महिलाओं के साथ-साथ दलित और पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को अपने पाले में करने की भी है. राजनीतिक गलियारों में कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार अनारक्षित हुई सीट पर भारतीय जनता पार्टी किसी सामान्य वर्ग के व्यक्ति को उम्मीदवार बनाएगी.