राष्ट्रीय

बोरवेल में फंसे 10 साल के राहुल को बचाने में चट्टान बनी बाधा, जल्द निकल जाने की है उम्मीद

छत्तीसगढ़ में गहरे बोरवेल में गिरने के 80 घंटे से अधिक समय बाद भी 11 वर्षीय राहुल साहू को बाहर नहीं निकाला जा सका है। जांजगीर के जिलाधिकारी जितेंद्र शुक्ला ने बताया कि “80 घंटे से बचाव अभियान चल रहा है, लेकिन बहुत जल्द हम राहुल को बचाने में सफल होंगे। उसकी तबीयत अब बेहतर है। सीएम भूपेश बघेल लगातार वीडियो कॉल के जरिए हालात पर नजर बनाए हुए हैं।”

जांजगीर के पुलिस अधीक्षक विजय अग्रवाल ने कहा कि “रेस्क्यू ऑपरेशन काफी क्रिटिकल है। यह अब हमारे लिए एक मिशन बन गया है, यहां लगभग 150 अधिकारी तैनात हैं।

अधिकारियों ने बताया कि साहू शुक्रवार दोपहर करीब दो बजे मलखरोदा विकासखंड के पिहरिड गांव में अपने घर के पिछवाड़े में 80 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया था। उसके बाद शाम चार बजे से उसे निकालने के प्रयास जारी हैं। रविवार सुबह 10 बजे बोरवेल में रोबोट उतारा गया, लेकिन वह भी बच्चे को निकालने में विफल रहा। इसके साथ ही बोरवेल के पास में रविवार शाम तक 50 फीट से ज्यादा गहरा गड्ढा खोद दिया गया, ताकि फंसे बच्चे को निकाला जा सके। लेकिन अभी तक सफलता हाथ नहीं लगी है। उन्होंने बताया कि वह करीब 60 फुट की गहराई पर फंसा हुआ है और ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए एक पाइप लाइन लगाई गई है।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), सेना और पुलिसकर्मियों सहित बचाव दल बच्चे तक पहुंचने के लिए समानांतर गड्ढे से सुरंग बनाने के मकसद से सतह के नीचे की चट्टानों को काटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक साहू होश में है और उसकी हरकतें दिख रही हैं।

 500 से अधिक कर्मी अभियान में जुटे हुए हैं
एनडीआरएफ, सेना, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों सहित 500 से अधिक कर्मी शुक्रवार शाम से चल रहे व्यापक बचाव अभियान में जुटे हुए हैं। निरीक्षक (एनडीआरएफ) महाबीर मोहंती ने बताया कि ‘‘कठोर चट्टानों के कारण बच्चे तक पहुंचने के लिए समानांतर गड्ढे और बोरवेल के बीच लगभग 15 फीट लंबी एक सुरंग बनाने के काम में बाधा आ रही है। बचावकर्मियों के लिए ड्रिलिंग मशीनों से भी चट्टान को काटना मुश्किल हो रहा है।’’

मोहंती शुक्रवार से एनडीआरएफ की तीसरी बटालियन के बचाव दल की अगुवाई कर रहे हैं। यह पूछे जाने पर कि बचाव में कितना समय लगेगा, उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी समय की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन हम आज देर रात तक वहां पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम स्वास्थ्य अधिकारियों के साथ लगातार कैमरे के माध्यम से राहुल की स्थिति की निगरानी कर रहे हैं। हमने एक स्पीकर को रस्सी से नीचे उतारा है ताकि उसके माता-पिता उससे बात कर सकें और उसका हौसला बढ़ा सकें। उसे सोमवार को केला और ओआरएस का घोल दिया गया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘माता-पिता के अनुसार, बच्चा मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं है और ठीक से बात नहीं कर पा रहा है। वह हमारे आदेशों का ठीक से जवाब नहीं दे रहा है। हम उसे बहुत पहले रस्सी के जरिए बाहर निकाल लेते, लेकिन उसने उसे नहीं पकड़ा।’’ मोहंती ने कहा कि बचावकर्मी भी एहतियात बरत रहे हैं क्योंकि बोरवेल के अंदर कोई केसिंग पाइप नहीं है। बोरवेल आठ इंच चौड़ा है, इसलिए मिट्टी धंसने का खतरा है।

एक सरकारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जो बचाव कार्य में शामिल अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं, ने चिकित्सकीय दल को सतर्क रहने और बच्चे को बाहर निकाले जाने के बाद अस्पताल पहुंचाने के लिए एक हरित गलियारा बनाने का निर्देश दिया है।

तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए मौके पर सभी जरूरी इंतजाम
बयान में कहा गया है कि स्वास्थ्य कर्मियों की एक टीम ने बच्चे को तत्काल सहायता मुहैया कराने के लिए मौके पर सभी जरूरी इंतजाम किए हैं जबकि बिलापुर के अपोलो अस्पताल में उसे स्थानांतरित करने के लिए सभी सुविधाओं के साथ एक एम्बुलेंस भी तैयार रखी गई है।

विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘बोरवेल के अंदर कुछ पानी था जहां बच्चा फंसा था। एनडीआरएफ के जवान इसे निकालने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। क्षेत्र के ग्रामीणों को अपने बोरवेल चालू करने के लिए कहा गया था, जबकि भूजल स्तर को कम करने के लिए पास के दो बांध से भी पानी छोड़ा जा रहा है।’’ इस बीच, बच्चे को सुरक्षित निकाले जाने के लिए सोशल मीडिया पर दुआएं की जा रही हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button