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RBI ने डिजिटल भुगतान को सुरक्षित बनाने के लिए तैयार किया ड्राफ्ट मास्टर, धोखाधड़ी पर ऐसे लगेगी लगाम

देश में डिजिटल पेमेंट को लेकर साइबर सिक्योरिटी बढ़ाने की दिशा में केंद्रीय रिजर्व बैंक की कोशिश जारी है. आरबीआई पिछले काफी वक्त से देश में पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स के लिए एक पेमेंट सिक्योरिटी कंट्रोल और Cyber Resilience के लिए दिशा-निर्देश पर काम कर रहा है. अब केंद्रीय बैंक ने इसे लेकर ड्राफ्ट का मास्टर सर्कुलर जारी कर दिया है, जिसमें अलग-अलग पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स के लिए अमल की टाइमलाइन सुझाई गई है.

पेमेंट सिक्योरिटी कंट्रोल और साइबर सिक्योरिटी के लिए क्या हैं गाइडलाइंस 

  • ड्राफ्ट में ऐसा प्रावधान किया गया है कि साइबर सिक्योरिटी के लिए बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स जिम्मेदार होंगे.
  • बोर्ड से मंजूर साइबर क्राइसिस मैनेजमेंट प्लान बनाना होगा.
  • डिजिटल पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स के लिए प्रस्ताव
  • ट्रांजैक्शन असामान्य दिखे तो ऑनलाइन अलर्ट जारी हो.
  • ग्राहकों को खाता, कार्ड नंबर और गोपनीय जानकारियां छुपा कर (redacted) भेजी जाएं.
  • ऑनलाइन सौदों में मर्चेंट का नाम हो न कि पेमेंट गेटवे/एग्रीगेटर का नाम.
  • OTP के साथ ये भी लिखा हो कि ये किस सौदे के लिए है.
  • बिजनेस कंटीन्यूटी प्लान होना चाहिए, डिजास्टर रिकवरी साइट होना चाहिए.

ऐप के लिए

  • ऐप पर फर्जी सौदों की पहचान कर उसे चिन्हित करने की सुविधा हो.
  • मोबाइल नंबर/ईमेल बदलने पर 12 घंटे का कूलिंग ऑफ पीरियड हो, उसके बाद ही ट्रांजैक्शन हो.
  • एक बार में दो जगह से मोबाइल एप्लीकेशन चालू न हो ये तय करें.
  • लंबे समय तक मोबाइल से बैंक ऐप इस्तेमाल नहीं तो ऐप, सिम और फिंगर प्रिंट की फिर से सेटिंग हो.
  • तय से ज्यादा बार लॉग इन फेल तो ब्लॉक की सुविधा हो, रीएक्टिवेट की भी सुविधा हो.

कार्ड पेमेंट के लिए

  • कार्ड से संदिग्ध सौदा हो तो कार्ड जारी करने वाले बैंक को अलर्ट जाए.
  • POS टर्मिनल सिक्योर हों ये पेमेंट सर्विस ऑपरेटर तय करे.
  • प्रीपेड कार्ड के लिए
  • OTP और ट्रांजैक्शन स्थानीय भाषा में भेजे जाएं.
  • फंड लोड करने और ट्रांसफर करने के बीच में कुछ कूलिंग पीरियड रखा जाए.

कब तक लागू करने होंगे नियम?

  • 1 अप्रैल 2024 से लेकर 1 अप्रैल 2028 तक अमल में लाने का प्रस्ताव
  • बड़े नॉन बैंक पेमेंट सिस्टम ऑपरेटर्स के लिए 1 अप्रैल 2024 की समयसीमा
  • मीडियम नॉन बैंक ऑपरेटर्स के लिए 1 अप्रैल 2026
  • छोटे नॉन बैंक ऑपरेटर्स के लिए 1 अप्रैल 2028 से लागू करने का प्रस्ताव

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