अंतर्राष्ट्रीय

श्रीलंका को संकट से बाहर निकालने के लिए राष्ट्रपति गोटाबाया ने बनाई आर्थिक और वित्तीय विशेषज्ञों की टीम

कर्ज के जाल में फंसकर कंगाल हुई सोने की लंका को फिर से उबारने के लिए अब श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने नया दांव आजमाया है। उन्होंने आर्थिक और वित्तीय विशेषज्ञों का एक सलाहकार समूह नियुक्त किया है जो ये बताएगा कि कर्ज के इस भयानक जाल से कैसे निपटा जाए।

सलाहकार टीम में ये लोग शामिल
इस संबंध में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार, सलाहकार समूह के सदस्यों में सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के पूर्व गवर्नर इंद्रजीत कुमारस्वामी, विश्व बैंक के पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री शांता देवराजन और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) क्षमता विकास संस्थान के पूर्व निदेशक शर्मिनी कोरे शामिल हैं। राष्ट्रपति के मीडिया डिविजन ने बुधवार को यह जानकारी साझा की है। रिपोर्ट में कहा गया कि सलाहकार समूह के सदस्य पहले ही राष्ट्रपति के साथ आईएमएफ के साथ नियमित संचार बनाए रखने पर चर्चा कर चुके हैं। डिविजन के अधिकारियों के अनुसार, सलाहकार समूह को आईएमएफ के साथ बातचीत में शामिल श्रीलंकाई अधिकारियों के साथ चर्चा करने और मौजूदा ऋण संकट पर काबू पाने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करने का काम सौंपा गया है।

अब तक की गईं ये बड़ी कोशिशें 
यहां बता दें कि बीते दिनों श्रीलंका आर्थिक संकट के बीच बढ़ी हिंसा और राजनीतिक अटकलों के बीच पूरे मंत्रिमंडल ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने त्यागपत्र नहीं दिया था। कोशिश ये की जा रही थी कि श्रीलंका में जल्द ही सर्वदलीय सरकार बनाई जाए, जिसमें विपक्ष के नेताओं को भी शामिल किया जाएगा। लेकिन विपक्ष ने ये प्रस्ताव ठुकरा दिया। इसके बाद आनन-फानन में वित्त मंत्री समेत चार नए मंत्री बनाए गए। अली साबरी को आर्थिक बदहाल देश के वित्त मंत्री की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन उन्होंने भी महज 24 घंटे के भीतर ही पद से इस्तीफा दे दिया। साबरी ने राष्ट्रपति को लिखे एक पत्र में कहा कि उन्होंने एक अस्थायी उपाय के तहत यह पद संभाला था। इसके बाद अब राष्ट्रपति ने एक नया वित्तीय सलाहकार समूह नियुक्त किया है।

वित्त मंत्री समेत ये अहम पद खाली
वर्तमान हालात की बात करें तो श्रीलंका में वित्त मंत्री समेत कई अहम पद खाली पड़े हुए हैं। इनमें केंद्रीय बैंक के गवर्नर और ट्रेजरी सेक्रेटरी जैसे अहम पद शामिल हैं, जिनके ऊपर देश की अर्थव्यवस्था की जिम्मेदारी होती है। इस बीच आपको बता दें कि बुधवार तक देश के नए वित्त मंत्री के तौर पर बांदुला गुनाबर्धने का नाम चर्चा में चल रहा था, लेकिन उन्होंने भी इस पद की जिम्मेदारी संभालने से किनारा कर लिया। श्रीलंका में इन अहम पदों पर बैठने के लिए कोई भी तैयार नहीं हो रहा है।

अमेरिका ने अपने नागरिकों को दी सलाह 
श्रीलंका में जो हालात पैदा हुए हैं, उन्हें देखकर दूसरे देश भी अपने स्तर पर कदम उठा रहे हैं। इस बीच खबर आई है कि अमेरिका ने लेवल-3 की एडवाइजरी को अपडेट किया है और अपने नगारिकों को सलाह दी है कि फलहाल श्रीलंका में जाने से बचें। दूसरी ओर भारत, अच्छा पड़ोसी होने के नाते श्रीलंका की खूब मदद कर रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोलंबो में भारतीय उच्चायोग ने बुधवार को कहा कि पिछले 24 घंटों में श्रीलंका के लिए 36,000 टन पेट्रोल और 40,000 टन डीजल की एक खेप पहुंचाई गई। उच्चायोग ने कहा कि क्रेडिट लाइन के तहत यह खेप भारतीय सहायता के तहत विभिन्न ईंधन की कुल आपूर्ति को बढ़ाकर 270,000 मीट्रिक टन कर देता है।

श्रीलंका पर कई देशों का कर्ज
गौरतलब है कि श्रीलंका पर चीन, जापान, भारत और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का भारी कर्ज है, लेकिन विदेशी मुद्रा भंडार की कमी के कारण वो अपने कर्जों की किस्त तक नहीं दे पा रहा है। श्रीलंका 45 अरब डॉलर (करीब 3 लाख 42 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा) के कर्ज के तले दबा हुआ है। इस तरह श्रीलंका की सरकार के सामने दोहरी चुनौती है। एक तरफ उसे विदेशी कर्ज का पेमेंट करना है तो दूसरी तरफ अपने लोगों को मुश्किल से उबारना है। हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि विश्व बैंक की ओर से बीते साल अनुमान जताया गया था कि कोरोना महामारी के शुरू होने के बाद से देश में 500,000 लोग गरीबी के जाल में फंस गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, जो परिवार पहले संपन्न माने जाते थे, उनके लिए भी दो जून की रोटी जुटानी मुश्किल पड़ रही है।

खाने-पीने को मोहताज लोग
रिपोर्ट की मानें तो देश में कुकिंग गैस और बिजली की भारी कमी है, देश में 10 घंटे से ज्यादा की बिजली कटौती हो रही है। महंगाई एशिया में सबसे अधिक श्रीलंका में हो चुकी है। यहां लोगों को एक ब्रेड का पैकेट भी 0.75 डॉलर (150) रुपये में खरीदना पड़ रहा है। यहीं नहीं मौजूदा समय में एक चाय के लिए लोगों के 100 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं। देश में एक किलो मिर्च की कीमत 710 रुपये हो गई, एक ही महीने में मिर्च की कीमत में 287 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं  बैंगन की कीमत में 51 फीसदी बढ़ी,  तो प्याज के दाम 40 फीसदी तक बढ़ गए। एक किलो आलू के लिए  200 रुपये तक चुकाने पड़ रहे हैं।

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