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गाजियाबाद, प्रयागराज और आगरा में भी पुलिस कमिश्‍नरेट, योगी सरकार ने बताया क्‍यों पड़ी इसकी जरूरत

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कैबिनेट बैठक में बड़ा फैसला लिया है. उत्तर प्रदेश में तीन और नए पुलिस कमिश्नरेट बनाने से संबंधित प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लग गई है. शुक्रवार को हुई कैबिनेट बैठक में प्रयागराज, गाजियाबाद और आगरा में पुलिस कमिश्रन प्रणाली लागू करने से संबंधित फैसले पर उत्तर प्रदेश कैबिनेट की मुहल गई गई है. अब इन तीनों जगहों पर पुलिल कमिश्रनर तैनात किए जाएंगे. इस महत्वपूर्ण फैसले के साथ ही 18 से ज्यादा प्रस्तावों पर बुधवार को कैबिनेट ने मंजूरी दी है.

योगी सरकार ने तीसरे चरण में तीन महानगरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया है. 13 जनवरी 2020 को उत्तर प्रदेश में सबसे पहले पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लखनऊ और नोएडा में लागू हुआ था. लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. 26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई.

अब UP के 7 महानगरों में होंगे पुलिस कमिश्नर

कानपुर में विजय सिंह मीणा और वाराणसी में ए सतीश गणेश को बनाया पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था. अब योगी सरकार ने तीसरे चरण में तीन महानगरों- आगरा, गाजियाबाद और प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू किया है. इसी के साथ अब उत्तर प्रदेश में कुल 7 महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो गई है.

कमिश्नरेट सिस्टम लागू होने के बाद क्या बदल जाएगा?

पुलिस कमिश्नेरेट सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस के पास मजिस्ट्रेट के पॉवर मिल जाएंगे. इससे कहीं भी धारा 144 लागू करना हो या गैंगेस्टर और गुंडा एक्ट के मामले में निर्णय लेना हो, पुलिस को जिलाधिकारी के फैसले का इंतजार नहीं करना होगा. यहां तक कि कहीं भी शांति भंग की आशंका के मद्देनजर लाठी चार्ज, गोली चार्ज या फिर मजिस्ट्रेट के न्यायिक पॉवर का अधिकार भी पुलिस के पास होगा.

सिस्टम लागू होने के बाद पुलिस कमिश्नर के मातहत डीसीपी हेडक्वार्टर या फिर एसीपी हेडक्वार्टर के पास यह सारी शक्तियां डीप्यूट की जाएंगी. तीन साल तक की सजा वाले मामलों में भी प्राथमिक सुनवाई का न्यायिक अधिकार भी पुलिस कमिश्नरेट के चलते पुलिस के पास आ जाएगा.

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