लोगों को डरने की जरूरत नहीं अडानी ग्रुप में लगा सभी का पैसा सुरक्षित हैं : राजेश खुराना
आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट का सिर्फ एक ही उद्देश्य,
अडानी ग्रुप पर झूठे आरोप लगाकर सिक्योरिटीज के मार्केट में जगह बनाना चाहते हैं हिंडनबर्ग : राजेश खुराना
आगरा। हाल ही में आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट ने अडानी ग्रुप पर कई गंभीर सवाल पुछे गए और दोनों के बीच आरोप प्रत्यारोप का सिलसिला चल पड़ा। लेकिन इस रिपोर्ट का सिर्फ एक ही उद्देश्य है- झूठे आरोप लगाकर सिक्योरिटीज के मार्केट में जगह बनाना, जिसके चलते अनगिनत इंन्वेस्टर्स को नुकसान हो और शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग बड़ा आर्थिक फायदा उठा सके।
इस सन्दर्भ में आगरा स्मार्ट सिटी,भारत सरकार के सलाहकार सदस्य,भारतीय नमो संघ के जिलाअध्यक्ष, उ.प्र.अपराध निरोधक समिति लखनऊ के आगरा मंडल कमेटी के उपाध्यक्ष व हिन्दू जागरण मंच, ब्रज प्रान्त उ.प्र.के प्रदेश संयोजक तथा आत्मनिर्भर एक प्रयास के चेयरमैन एवं लोकप्रिय व् सुप्रशिद्ध समाजसेवक राजेश खुराना ने कहा कि लोगों को डरने की जरूरत नहीं अडानी ग्रुप में लगा सभी का पैसा सुरक्षित हैं। आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट का सिर्फ एक ही उद्देश्य कि अडानी ग्रुप पर झूठे आरोप लगाकर सिक्योरिटीज के मार्केट में जगह बनाना चाहते हैं। आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर विरोधियों झूठे प्रचार का सिर्फ एक ही उद्देश्य हैं कि अडानी ग्रुप के शेयर गिर जाये और ग्रुप की छवि खराव हो जाये। अडानी ग्रुप की कंपनी में LIC का पैसा लगा है, जिसे लेकर कहा जा रहा है कि शेयर गिरने की वजह से लोगों का पैसा जो एलआईसी लगा था वह भी डूब गया लेकिन यह सब सफेद झूठ हैं। अडानी ग्रुप में लगा सभी का भी पैसा सुरक्षित है, क्योंकि उनकी कुल संपत्ति हमारे कुल कर्ज़ की तुलना में तीन से चार गुणा ज़्यादा है। उनके पास किसी का भी पैसा अनसिक्योर्ड नहीं है। जब तक भारत आगे बढ़ता रहेगा, हम भी आगे चलते रहेगे। आम लोगों को डरने की जरूरत है। अगर आप एसबीआई या किसी अन्य बैंक के ग्राहक हैं, तब आपको अडानी समूह के साथ हो रही घटना से भयभीत होने की जरूरत नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक की डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन आम लोगों को बैंक में जमा राशि पर बीमा सुरक्षा की गारंटी देता है। यदि कोई बैंक घाटे में भी जाता है या विफल हो जाता है तो लोगों की 5 लाख रुपये तक की जमा एकदम सुरक्षित रहती है। इसके अलावा एसबीआई, भारतीय रिजर्व बैंक की ‘टू बिग टू फेल’ बैंकों की लिस्ट में है। यानी एसबीआई इतना बड़ा है कि वो फेल ही नहीं हो सकता है। इसी तरह एलआईसी हमेशा से एक कैश रिच वित्तीय संस्थान है। एलआईसी सिर्फ अडानी ग्रुप ही नहीं, बल्कि अन्य कई बड़ी कंपनियों के शेयर्स में निवेश करता है। इतना ही नहीं एलआईसी इतना कैश रिच इंस्टीट्यूशन है कि उसके पास 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि ऐसी है जिसका कोई क्लेम ही नहीं करता है। लोग झूठे आरोप लगाते हैं पर उनको पता नही कि कोई भी इन्फ्रा प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले हम इक्विटी लगाते हैं, और बैंक से कर्ज़ लेते हैं। इसमें 40:60 का अनुपात रहता है। अडानी ग्रुप भारत में अकेला ग्रुप है, जिसकी कंपनियों की साख भारत की सोवेरेंगन रेटिंग के बराबर है। वह रेटिंग कोई राजनीतिक दल या बैंक नहीं देती, उसे स्वतंत्र रेटिंग एजेंसी पूरा वित्तीय आकलन करने के बाद देती है, और उसी के आधार पर बैंक कर्ज़ देते हैं।
श्री खुराना ने आगे बताया कि 25 साल के इतिहास में एक दिन भी हमने कभी भुगतान में देरी नहीं की। वर्ष 2013 तक हम 80 प्रतिशत कर्ज़ भारतीय बैंकों से लेते थे, उस पर ब्याज़ 35 प्रतिशत तक हो गया। हम अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ग्लोबल रेटिंग की तरफ चले गए। ग्लोबल वित्तीय दुनिया में भारत के किसी के कहने से कोई पैसा नहीं देता, वे तो अपनी रेटिंग और गवर्नेन्स के हिसाब से कर्ज़ देते हैं। इसीलिए यह आरोप पूरी तरह बेबुनियाद हैं। लोग बोलने के लिए बोलते हें, लेकिन यह तो लेनदार और देनदार के बीच का मामला है, और इन दोनों के बीच कभी कोई तकलीफ नहीं हुई। पिछले 7-8 साल के अंदर हमारे कर्ज़ 11 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं, और हमारी प्रॉफिटेबिलिटी 24 प्रतिशत बढ़ी है। हमारी मुनाफे वाली स्थिति के कारण ही हमारी रेटिंग में सुधार आया। आज हमारी प्रॉफिटेबिलिटी हमारे कर्ज़ से भी ज़्यादा बढ़ गई है। वहीं अब गौतम अडाणी समूह ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को झूठ बताया है। समूह की ओर से 413 पन्नों के जवाब में कहा गया है कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए गंभीर आरोप झूठ के सिवाए कुछ नहीं है। अडानी ग्रुप ने कहा कि रिपोर्ट ‘‘झूठी धारणा बनाने की छिपी हुई मंशा से प्रेरित है, ताकि अमेरिकी फर्म को वित्तीय लाभ मिल सके। अडाणी समूह ने अपने जवाब में हिंडनबर्ग की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए। ग्रुप ने कहा कि जब अडानी समूह का आईपीओ लॉन्च होने वाला है,जो कि देश का सबसे बड़ा आईपीओ होगा,तो उससे ठीक पहले ऐसी रिपोर्ट जारी करके हिंडनबर्ग ने अपनी बेईमानी का सबूत दिया है। अडाणी ग्रुप का आरोप है कि हिंडनबर्ग ने यह रिपोर्ट लोगों की भलाई के लिए नहीं, बल्कि अपने स्वार्थ के लिए जारी की है। अर्थात यह रिपोर्ट न तो स्वतंत्र है, न निष्पक्ष है और न ही सही तरह से रिसर्च करके तैयार की गई है। इधर बाजार में उथल-पुथल के बावजूद एलआईसी अडानी समूह में करीब 300 करोड़ रुपये का निवेश और कर रहा है। ये निवेश उसने एंकर निवेशक के तौर पर समूह की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज के एफपीओ के दौरान किया गया है। वहीं, रॉयटर्स की खबर के मुताबिक एसबीआई के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा का कहना है कि अडानी ग्रुप को दिए गए लोन को लेकर लोगों को डरने की जरूरत नहीं है। बैंक ने समूह को जो लोन दिया है, वह आरबीआई की सीमा के अनुरूप है। इतना ही नहीं बैंक का लोन कैश जेनरेटिंग एसेट और पर्याप्त एस्क्रो मैनेजमेंट के साथ दिया गया है। इस तरह बैंक द्वारा समूह को दिया गया लोन ऑन-टाइम डेब्ट सर्विसिंग की गारंटी देता है तथा अन्य सरकारी बैंक Bank of India का भी कहना है कि अडानी ग्रुप को दिया लोन आरबीआई की लिमिट के अंदर ही है। पिछले महीने तक समूह की ओर से बैंक को लोन का ब्याज भी चुकाया गया है। इसलिए लोगों को डरने की जरूरत नहीं अडानी ग्रुप में लगा सभी का पैसा सुरक्षित हैं।