Parliament Security Breach: आरोपित की जमानत अर्जी का पुलिस ने किया विरोध, जानें कोर्ट में क्या दी दलील
नई दिल्ली। संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में गिरफ्तार नीलम आजाद की जमानत अर्जी का दिल्ली पुलिस ने मंगलवार को विरोध किया। पुलिस की ओर से दलील दी गई कि नीलम भारत की संप्रभुता और अखंडता को बाधित करने में शामिल थी। पटियाला हाउस कोर्ट ने 18 जनवरी के लिए आदेश सुरक्षित रख लिया है।
नीलम ने किया था ये दावा
नीलम की ओर से जमानत के लिए दायर अर्जी में दावा किया गया था कि उसको अब जांच की आवश्यकता नहीं है। उसे अब हिरासत में रखने से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी।
इस पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश हरदीप कौर के कोर्ट में सुनवाई के दौरान विशेष लोक अभियोजक अखंड प्रताप सिंह ने दलील दी कि आरोपित जांच को प्रभावित करेंगे। आरोपित उस अपराध में शामिल रहे, जिसमें आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक की सजा हो सकती है। इनके खिलाफ आरोप गंभीर और जघन्य प्रकृति के हैं।
अभियोजक का दावा
अभियोजक ने दावा किया कि आरोपित नीलम भारत की संप्रभुता और अखंडता को बाधित करने में शामिल रही हैं। आरोपित के खिलाफ मजबूत, ठोस, और विश्वसनीय सामग्री है। जो यूएपीए (UAPA) के तहत दंडनीय अपराध में उसकी संलिप्तता को दर्शाते हैं, तो ऐसे में उसे जमानत देना उचित नहीं है।
अभियोजक ने यह दावा भी किया कि आरोपित शक्तिशाली और प्रभावशाली हैं जो जमानत पर रिहा होकर जांच एजेंसी के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।
13 दिसंबर को लगाई थी संसद की सुरक्षा में सेंध
बता दें कि वर्ष 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी पर पिछले वर्ष 13 दिसंबर को फिर से सुरक्षा में सेंध लगाकर दो युवक ने संसद भवन में घुस कर हंगामा किया था। उसके साथी बाहर थे। इस मामले में छह आरोपित गिरफ्तार हुए थे।