पाकिस्तान के हायर एजुकेशन कमीशन ने सभी यूनिवर्सिटी के कैंपस में होली के उत्सव पर लगाया बैन
भारत के बंटवारे से बने पाकिस्तान (Pakistan) में आज इस्लामिक कायदे-कानूनों के कारण अन्य मजहब के लोगों का चैन से जीना मुश्किल हो गया है. वहां हिंदू, बौद्ध और क्रिश्चियनों के अधिकार मुसलमानों से कम हो रहे हैं. खबर है, कि अब वहां सभी शैक्षणिक संस्थानों में होली समारोह (Holi Celebrations) पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यानी किसी भी स्कूल में अब होली नहीं खेलने दी जाएगी.
यह खबर, इसी साल होली पर्व के मौके पर पाकिस्तानी स्कूलों में हिंदुओं पर हुए जानलेवा हमलों के बाद आई है. पाकिस्तान के ‘आज न्यूज’ की रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तानी हाईयर एजुकेशन कमीशन यानी उच्च शिक्षा आयोग ने सभी शैक्षणिक संस्थानों में होली समारोह पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगा दिया है कि इस तरह की गतिविधियां देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों से पूरी तरह अलग हैं और देश की इस्लामी पहचान के उलट हैं.
कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय में मनी थी होली
इस महीने की शुरुआत में इस्लामाबाद के कायद-ए-आज़म विश्वविद्यालय (QAU) में होली उत्सव की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे. जिसके बाद यह कदम उठाया गया है. पाकिस्तान के हाईयर एजुकेशन कमीशन (HEC) की अधिसूचना में कहा गया कि “सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों” का पालन करने के लिए छात्रों को इस त्योहार को मनाने से मना किया गया है.
सफाई में उच्च शिक्षा आयोग ने दिया ये बयान
HEC ने कहा, “हालांकि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता है कि सांस्कृतिक, जातीय और धार्मिक विविधता एक समावेशी और सहिष्णु समाज की ओर ले जाती है, जो सभी धर्मों और पंथों का गहराई से सम्मान करता है, मगर अभी हमने स्कूलों में होली सेलिब्रेशन को प्रतिबंधित किया है, जो देश की इस्लामी रीति-रिवाजों से ताल्लुक नहीं रखता. इस फैसले को बिना नपे-तुले ढंग से स्वीकार करने की आवश्यकता है. छात्रों को इस बारे में और जागरूक होने की आवश्यकता है, और उन्हें अपनी परोपकारी आलोचनात्मक सोच का भी उपयोग करना चाहिए.”
पाकिस्तान में लगातार घट रहे हिंदू अल्पसंख्यक
पाकिस्तान में हुकूमत के कई सख्त फैसले आए हैं, जिनसे वहां गैर-मुस्लिमों की मुसीबतें बढ़ी हैं. वहां सियासत में गैर-मुस्लिमों की पहुंच सीमित कर दी गई है, साथ ही उनके प्रोटेक्शन के लिए उस तरह की व्यवस्थाएं नहीं हैं, जैसी भारत में हैं. बंटवारे के बाद पाकिस्तान में गैर-मुस्लिमों की तादाद कुल आबादी में 14% से ज्यादा थी, मगर अब वहां हिंदू 5% भी नहीं हैं.