पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे पाकिस्तानियों पर अब बिजली की बढ़ती दरों का भी पड़ा बोझ
इस्लामाबाद. आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान का हाल पहले से ही डांवाडोल है. इमरान खान की विदाई के बाद हर किसी की निगाहें अब नए पीएम शाहबाज शरीफ पर टिकी हैं. लेकिन जनता का दिल जीतने के चक्कर में शरीफ ने भी देश को आर्थिक झटके देने शुरू कर दिए हैं. दरअसल ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी की तरफ उन्हें ईंधन के दाम बढ़ाने का प्रस्ताव भेजा गया था. नए प्रस्ताव के तहत डीज़ल की कीमतें 35 परसेंट तक बढ़ाने के लिए कहा गया था. लेकिन शरीफ ने इसे खारिज कर दिया. ऐसे में अब पाकिस्तान पर 6000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा. बता दें कि पाकिस्तान पहले से ही भारी कर्ज में फंसा है.
1 अप्रैल से तेल की कीमतें न बढ़ाने के चलते पहले से ही ऑयल कंपनियों के पाकिस्तान सरकार पर 3000 करोड़ रूपये का बकाया है. अप्रैल महीने के लिए तेल की मौजूदा कीमतों को बनाए रखने के कारण सरकार तेल कंपनियों को 6000 करोड़ रुपये का भुगतान करेगी. तेल और गैस नियामक प्राधिकरण (ओगरा) ने डीजल की कीमत में 51.32 रुपये प्रति लीटर (35.7%), पेट्रोल 21.30 रुपये प्रति लीटर (14.2%), मिट्टी के तेल की कीमत में 36.03 रुपये प्रति लीटर (28.7%) वृद्धि का प्रस्ताव दिया था. लेकिन शरीफ ने इसे खारिज कर दिया है. ईंधन पर सब्सिडी के चलते पहले से ही सरकार पर भारी बोझ है.
बिजली होगी महंगी
उधर पाकिस्तान में अब बिजली महंगी हो जाएगी. नेशनल इलेक्ट्रिक पावर रेगुलेटरी अथॉरिटी (नेप्रा) ने फरवरी महीने के लिए ईंधन की बढ़ती कीमतों के चलते बिजली दरों में 4.8 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोतरी की है. पीएमएल-एन के नेता शाहिद खाकान अब्बाई ने कहा कि पीएम शहबाज ने पेट्रोलियम की कीमतों को अपरिवर्तित रखने का फैसला किया है. उन्होंने कहा कि पीटीआई के नेतृत्व वाली पिछली सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर सब्सिडी देने का गलत फैसला किया और कहा कि इससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा.
सब्सिडी का नुकसान
विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए पाकिस्तान की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 4.3 फीसदी कर दिया जो पिछले वर्ष के मुकाबले करीब एक फीसदी कम है. उसने कहा कि निवर्तमान सरकार द्वारा ऊर्जा सब्सिडी देने का अंतिम समय पर जो फैसला लिया गया उससे बजट पर अतिरिक्त भार पड़ा और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यक्रम के लिए जोखिम पैदा हुआ.