हरियाणा। त्योहारी सीजन में मिठाइयों पर बेस्ट बिफोर टैग की अनिवार्यता को समाप्त कर दिया गया है। फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। पहले हलवाइयों के लिए यह अनिवार्य था कि हर ट्रे पर मिठाई की एक्सपायरी डेट लिखें।
अब नोटिफिकेशन के बाद से अधिकतर हलवाइयों ने बेस्ट बिफोर का टैग लगाना बंद कर दिया है। ऐसे में अब ग्राहकों को ताजी और बासी मिठाइयों का पहचान करना मुश्किल होगा। त्योहारी सीजन में ज्यादा मिठाइयां बिकती हैं। ऐसे में लोग मिठाई जरूर खरीदते हैं, लेकिन अब उनकी गुणवत्ता पर कोई सवाल नहीं खड़ा कर सकेगा।
विभाग भी लगातार चेकिंग अभियान नहीं चलाता। जब तक मिठाइयों के नमूने की जांच रिपोर्ट आती है, तब तक लोग मिठाई खा चुके होते हैं और अगला सीजन शुरू हो जाता है। मुख्यालय की तरफ से लिए गए इस फैसले से जनता भी काफी हैरान है क्योंकि इससे मिलावटखोरी भी बढ़ेगी। लोगों को यह पता ही नहीं चल पाएगा कि आखिर मिठाई बासी है या ताजी।
विभाग के अधिकारियों का भी मानना है कि इससे मिठाइयों में मिलावट बढ़ सकती है। कुल मिलाकर ग्राहकों की सेहत से खिलवाड़ किया जा रहा है। जिले में 300 से अधिक मिठाई की दुकानें हैं। इसमें से करीब 50 बड़ी दुकानें हैं।
10 नमूने की गुणवत्ता में आई थी कमी
पिछले वर्ष दीपावली से पहले लिए गए 45 नमूने में से 10 खाद्य सामानों की गुणवत्ता में कमी पाई गई थी। जिला खाद्य सुरक्षा और औषधि प्रशासन की टीम ने पनीर, दही, छेना, काजू, खोया, घी, दूध व सॉस आदि के नमूने लिए थे। जो नमूने ज्यादा फेल मिले हैं, उनमें पनीर, दूध और दही आदि थे। इस वर्ष खाद्य पदार्थो के 70 नमूने लिए जा चुके हैं। इनमें से 10 नमूने फेल मिले हैं। 10 मामले कोर्ट में चल रहे हैं। फैसला नहीं आया है।
नमूने फेल होने पर 10 लाख तक जुर्माने और 6 महीने की सजा का प्रावधान
अनसेफ : जो खाने योग्य न हो। जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो। इससे जान भी जा सकती है। इसमें 1 लाख रुपये तक जुर्माना और 6 महीने की सजा का प्रावधान है।
सब स्टैंडर्ड: जो मानकों पर खरे नहीं उतरते। इसमें 5 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
मिसब्रांड : प्रोडक्ट पर दी गई जानकारी पूरी न हो। इसमें 3 लाख रुपये तक जुर्माना का प्रावधान है।
मिसलिडिंग : प्रोडक्ट के लेबल के अनुसार खाद्य पदार्थ न हो। इसमें 10 लाख रुपये तक जुर्माने का प्रावधान है।
अधिकारी के अनुसार
मिठाइयों पर एक्सपायरी डेट लिखने की अनिवार्यता अब समाप्त कर दी गई है। यह फैसला मुख्यालय स्तर पर लिया गया है। रेवाड़ी में इस साल करीब 70 नमूने लिए गए हैं। इसमें 10 नमूने फेल हो गए हैं। मामले कोर्ट में चल रहे हैं। -राजेश वर्मा, जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी रेवाड़ी।