अब विदेशी भक्त भी अब कर सकेंगे रामलला के लिए दान, ये होगी प्रक्रिया
अयोध्या: राममंदिर निर्माण (Ram temple) से जुड़ी तस्वीरें सामने आने के बाद श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की ओर से भक्तों के लिए एक और खुशखबरी सामने आई है। बुधवार की शाम ट्रस्ट ने कहा है कि विदेश में रहने वाले राम भक्त भी अब राम मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण कर सकेंगे। ऐसे में राम मंदिर निर्माण के लिए विदेशी चंदा लेने की समस्या दूर होती नजर आ रही है। ट्रस्ट के आवेदन को भारत सरकार के गृह मंत्रालय के एफसीआरए विभाग ने अनुमति दे दी है। इस लिहाज से राम मंदिर ट्रस्ट अब दुनिया की किसी भी विदेशी मुद्रा को बतौर दान लेने में सक्षम रहेगा।
ऑडिट रिपोर्ट को गृह मंत्रालय ने दी अनुमति
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि किसी भी ट्रस्ट को विदेशी चंदा लेने के लिए कम से कम 3 साल की ऑडिट रिपोर्ट गृह मंत्रालय में पेश करनी पड़ती है। राम मंदिर ट्रस्ट ने फरवरी 2023 में ही अपने 3 साल की अवधि पूरी कर ली थी। 3 साल की उस ऑडिट रिपोर्ट को तैयार कर जुलाई में रजिस्ट्रेशन के लिए आगे बढ़ाया गया था, जिसे गृह विभाग ने अनुमति दे दी है। दरअसल, बड़ी संख्या में विदेश में रहने वाले राम भक्त मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण करने की इच्छा जताते आ रहे थे, लेकिन इसके लिए ट्रस्ट के पास कानूनी मान्यता नहीं थी। लिहाजा अब यह अड़चन दूर होने पर विदेशी राम भक्त मंदिर निर्माण के लिए स्वैच्छिक निधि समर्पण कर सकेंगे।
इस बैंक खाते में स्वीकार होगी चंदे की राशि
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के मुताबिक, विदेशी स्रोतों से प्राप्त होने वाला कोई भी स्वैच्छिक योगदान केवल भारतीय स्टेट बैंक की 11 संसद मार्ग नई दिल्ली-110001, स्थित मुख्य शाखा के खाता संख्या 42162875158 में ही स्वीकार होगा। इसके अलावा किसी अन्य बैंक और भारतीय स्टेट बैंक की किसी अन्य शाखा में भेजा गया धन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
3500 करोड़ की धनराशि प्राप्त
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कार्यालय प्रभारी प्रकाश गुप्ता ने मुताबिक, हर महाने राम मंदिर के लिए करीब एक करोड़ का चंदा आ रहा है। भक्त नकदी, चेक, आरटीजीएस, ऑनलाइन तरीके से चंदा दे रहे हैं। इसके अलावा प्रत्येक महीने करीब 30 लाख का दान रामलला के दान पेटिका से प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि ट्रस्ट ने 2021 में निधि समर्पण अभियान चलाया था, जिसमें करीब 3500 करोड़ की धनराशि प्राप्त हुई थी।