ग्रेटर नोएडाग्रेटर नोएडा प्राधिकरणदिल्ली/एनसीआरनोएडानोएडा प्राधिकरणप्राधिकरण

अब ऑक्शन से होगा सभी तरह के भूखंडों का आवंटन

–ऑक्शन से संपत्तियों की आवंटन प्रक्रिया में और आएगी पारदर्शिता

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण बोर्ड ने अब सभी तरह के भूखंडों (औद्योगिक, संस्थागत, आईटी, बिल्डर, आवासीय भूखंड आदि ) का आवंटन ऑक्शन के जरिए करने का निर्णय लिया है। हालांकि धार्मिक स्थलों के भूखंडों को ऑक्शन से बाहर रखा गया है।
नोएडा एयरपोर्ट, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे, नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो, आईआईटीजीएनएल की इंटीग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप, मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट व लॉजिस्टिक हब जैसी परियोजनाओं के चलते विगत कुछ वर्षों में ग्रेटर नोएडा में निवेश की गति ने रफ्तार पकड़ी है। औद्योगिक भूखंडों की मांग बढ़ी है। प्राधिकरण की मंशा है कि औद्योगिक भूखंडों का आवंटन उन उद्यमियों को ही किया जाना चाहिए, जो सही मायने में उद्योग लगाना चाह रहे हैं, ताकि यहां के युवाओं को रोजगार मिल सके। इसलिए प्राधिकरण बोर्ड ने तय किया है कि अब धार्मिक स्थलों को छोड़कर शेष सभी तरह के भूखंडों का आवंटन ऑक्शन के जरिए ही होगा। गौरतलब है कि बिल्डर और वाणिज्यिक भूखंडों का आवंटन पहले से ही ऑक्शन के जरिए होता रहा है। अब औद्योगिक, संस्थागत व आईटी के भूखंड भी ऑक्शन के जरिए आवंटित किए जाएंगे। इससे पारदर्शिता भी आएगी। प्राधिकरण बोर्ड ने इस प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है।

ग्रेनो प्राधिकरण में लागू होगा पीडब्ल्यूडी का शेड्यूल ऑफ रेट

ग्रेटर नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के परियोजना विभाग के कार्यों के एस्टीमेट व टेंडर के लिए यूपी पीडब्ल्यूडी की प्रक्रिया को लागू करने का निर्णय लिया गया है। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में भी अब पीडब्ल्यूडी के शेड्यूल ऑफ रेट (एसओआर) लागू होगा। इस प्रस्ताव पर प्राधिकरण बोर्ड ने मुहर लगा दी है। इसके चलते प्राधिकरण एरिया में विकास कार्यों, खासकर रोड व अन्य कार्यों की गुणवत्ता और बेहतर होगी। दरअसल, दिल्ली में सीपीडब्ल्यूडी के डीएसआर के आधार पर विकास कार्य होते हैं। एक बार डीएसआर तय होने के बाद कई साल तक चलता रहता है, जबकि निर्माण सामग्री व अन्य आइटम के रेट लोकल फैक्टर की वजह से बदलते रहते हैं। पीडब्ल्यूडी एसओआर रेट में निर्माण सामग्री, टैक्स, लोकल फैक्टर आदि को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर बदलाव होता रहता है। इसके लागू होने के बाद प्रोजेक्ट का और सटीक आकलन निकल सकेगा। सटीक एस्टीमेट होने से टेंडर निकलने पर पहले से अधिक कॉन्ट्रैक्टर हिस्सा ले सकेंगे। अच्छे कॉन्ट्रैक्टरों के चयन से कार्यों की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

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