गुप्त नवरात्रि के पावन अवसर पर नौ दिवसीय देवी भागवत कथा
गुप्त नवरात्रि के पावन अवसर पर श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वाधान में RW–A हॉल 6 एवन्यू गौर सिटी नोएडा में नौ दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा का शुभ आरंभ भव्य कलश यात्रा के साथ किया गया जिसमें गौर सिटी भागवत परिवार की समस्त महिलाओं एवं पुरुषो ने राधा कृष्ण मंदिर गौर सिटी पहुंचकर के गौरी गणेश नवग्रह पूजन के साथ ही साथ भगवान शिव का पूजन अभिषेक कर कलश पूजन करते हुए नाचते गाते कथा स्थल पर श्रद्धालु पहुंचे कथा के प्रथम दिवस कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री जी ने श्रीमद् देवी भागवत महात्मा की कथा का श्रवण कराते हुए बताया सर्वप्रथम पांडवो के वंश में उत्पन्न राजा परीक्षित जिन्होंने शमिक मुनि का अपमान किया शमिक मुनि के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित को श्राप दिया जिसने मेरे पिता का अपमान किया ही उसकी मृत्यु तक्षक नाम अक्षर को के द्वारा हो
समय आने पर तक्षक सर्प द्वारा राजा परीक्षित की मृत्यु हुई यह जानकर के राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को बड़ा ही दुख हुआ अपने पिता के मोक्ष के लिए चिंतित जन्मेजय को देख कर के कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास जी महाराज जिन्होंने वेदों पुराणों एवं शास्त्रों की रचना की ऐसे वेदव्यास जी महाराज ने स्वयं जन्मेजय को श्रीमद् देवी भागवत कथा का श्रवण कराया जिस कथा के प्रभाव से जन्मेजय के पिता राजा परीक्षित मोक्ष को प्राप्त हो गया
श्रीमद् देवी भागवत द्वारा राजा परीक्षित का मोक्ष देखते हुए ऋषि-मुनियों एवं भक्तों ने भी आगे चल कर के अपने एवं अपने पितरों के उद्धार के लिए देवी भागवत का आयोजन करना प्रारंभ किया शास्त्री जी ने बताया देवी भागवत महापुराण में मां भगवती के ही चरित्रों का वर्णन मिलता है प्रथम नवरात्रि मां शैलपुत्री का पूजन किया जाता हे हिमाचल के यहां पर मां मैना के गर्भ से पुत्री रूप में जन्म लेने के कारण ही मां भगवती का नाम शैलपुत्री पड़ता है मां शैलपुत्री का पूजन दूध दही घी एवं पीले वस्त्र अर्पण करते हुए किया जाता हे सफेद वस्तुओं का भोग मां मां को अति प्रिय है,दूसरा नवरात्रा मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर से बनी हुई वस्तुएं एवं हरे रंग के वस्त्र अर्पण करने से मां प्रसन्न होती है, तीसरा नवरात्र मां चंद्रघंटा का पूजन किया जाता है पूजन में मां को खीर के साथ लाल रंग के वस्त्र अर्पण किए जाते हैं, चौथे नवरात्र में मां कुष्मांडा का पूजन मालपुए के भोग के साथ नारंगी रंग के वस्त्र अर्पण किए जाते है, पांचवें नवरात्रि मां स्कंदमाता केले के फल पीले वस्त्र अर्पण कर पूजन करने से मां प्रसन्न होती है, छठे नवरात्रि मां कात्यायनी का पूजन शहद के साथ लाल कपड़े मां को अर्पण करने से मां प्रसन्न होती है, सातवें नवरात्रि कालरात्रि गुड़ से बनी हुई वस्तुएं एवं नीले वस्त्रों को मां को अर्पण करने से मां प्रसन्न होती हैं, आठवें नवरात्रि के दिन मां गौरी का पूजन नारियल से बनी हुई मिठाइयां एवं गुलाबी वस्त्र अर्पण करने से मां प्रसन्न होती है तथा नौवे नवरात्रि मां सिद्धिदात्री का पूजन तिल से बने हुए पदार्थ एवं बैंगनी रंग के वस्त्र मां को अर्पण करने से मां प्रसन्न होती है जो इस प्रकार से नौ दिनों तक मां का पूजन करता है मां की कृपा से उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है प्रथम दिवस पंडित गणेश कोठारी,पंडित जगदीश खंडूरी एवं पंडित विष्णु गौड़ द्वारा पूजन सम्पन कराया गया मुख्य जजमान संजीव भसीन,अंकित शंकधर,धीरज सेठ, पंकज सैनी,वैभव तिवारी, मनीष अखरिया, संजय सिंह,पवन गर्ग,संदीप गुप्ता,राजकुमार, संजय अग्रवाल,सौरभ पटेल,कमल सेठ, कुनाल भूटानी,प्रदीप कंबोज, अनिता अखरिया,प्रीति,नेहा मितल, सीमा सेठ,गायत्री सेठ, अनिता प्रजापति, सरोज,ऋचा सैनी मीनू ,अंजली,ललिता सारस्वत,पारुल,हंसा भूटानी,वंदना,अनिता,पूजा, पायल,नीतू,रेनू,आरती,प्रीति,मिलन एवं सम्पूर्ण गौर सिटी भागवत परिवार ने कलश यात्रा में भाग लिया