चाचा की हत्या मामले में भतीजे और उसके साथी को उम्रकैद की सुनाई सजा

कानपुर। मकान में हिस्सेदारी के विवाद में चाचा की हत्या करने वाले भतीजे और उसके साथी को फास्ट ट्रैक कोर्ट 52 के न्यायाधीश राहुल सिंह ने उम्रकैद और 17-17 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। मुकदमे में अभियुक्त मृतक के दो भाइयों की मुकदमे की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। हत्यारों ने 14 साल पहले मृतक की पत्नी व बेटियों के सामने ही नृशंस हत्या कर सुअर काटने वाली छुरी से शव के टुकड़े कर बोरी में भरकर सीवर में फेंक दिए थे। काकादेव के मतइया पुरवा निवासी रमेश चंद्र सोनकर ने 10 नवंबर 2010 को काकादेव थाने में सूचना दी कि मोहल्ले में प्लास्टिक की बोरी में कटी हुई लाश मिली है।
शव का सिर्फ धड़ था, सिर, दोनों हाथ व पैर गायब थे। पुलिस ने शव की शिनाख्त की कोशिश की लेकिन कोई पहचान नहीं सका। 14 नवंबर को बेबी सोनकर ने शव की शिनाख्त अपने पति मानसिंह के रूप में करते हुए उसकी आंखों के सामने ही हत्या किए जाने की बात कही। बेबी ने थाने में दी तहरीर में बताया कि पति मान सिंह दिवाली की परेवा के दिन 6 नवंबर 2010 को दो बच्चियों और उसके साथ घर पर सो रहा था। तभी मोहल्ले का दिनेश पासी, मान सिंह के भाई रमेश चंद्र सोनकर और कैलाश उर्फ बंगाली तथा रमेश का बेटा रवि सोनकर घर में आए।
उसे और दोनों बच्चियों को एक कमरे में बंद कर रवि ने गर्दन पर छुरी रखकर जान से मारने की धमकी दी। रमेश, कैलाश और दिनेश ने मिलकर मानसिंह की नृशंस हत्या कर दी। यह लोग शव के टुकड़े बोरियों में भरकर ले गए।
दहशत के कारण उसने पहले शव को पहचानने से इन्कार कर दिया था, लेकिन बाद में मायके वालों के आ जाने और पड़ोसियों के हिम्मत बंधाने पर उसने रिपोर्ट दर्ज कराई। एडीजीसी जितेंद्र कुमार पांडे ने बताया कि अभियोजन की ओर से मृतक की पत्नी व बेटी समेत आठ गवाह कोर्ट में पेश किए गए।