एमएस धोनी की कप्तानी में चेन्नई सुपर किंग्स एक बार फिर आईपीएल में शानदार प्रदर्शन कर रही है। चार बार की चैंपियन चेन्नई ने शुक्रवार को सनराइजर्स हैदराबाद को 7 विकेट के अंतर से मात देकर पांचवें मैच में चौथी जीत दर्ज की। अपने घरेलू मैदान पर खेल रही चेन्नई ने सनराइजर्स को कोई मौका नहीं दिया। उसे पहले बल्लेबाजी का मौका देकर 7 विकेट पर 134 रन बनाने दिए। इसके बाद जीत के लिए मिले लक्ष्य को 8 गेंद शेष रहते डेवोन कॉन्वे(77*) और रुतुराज गायकवाड़(35) की पारियों की बदौलत हासिल कर लिया।
करियर के आखिरी पड़ाव पर उठाना चाहता हूं खेल का लुत्फ
सीजन की चौथी जीत के बाद हर दर्शकों से हर जगह मिल रहे प्यार के बारे में सीएसके के कप्तान एमएस धोनी ने कहा,मैं और क्या कहूं,सबकुछ कह चुका हूं। ये मेरे करियर का आखिरी दौर है मैं जितने भी समय तक खेलूं तब तक खेल का लुत्फ उठाना चाहता हूं।’ धोनी ने आगे कहा, दो साल लंबे अंतराल के बाद आईपीएल की यहां वापसी हुई है। दर्शक अब मैदान में आकर खेल का लुत्फ उठा सकते हैं। मैदान पूरी तरह भरा था। स्टेडियम में नए स्टैंड बने हैं। यहां खेलकर अच्छा लगता है। जैसा कि मैं पहले भी टूर्नामेंट की शुरुआत में कह चुका हूं कि हम चेन्नई में ज्यादा नहीं खेले हैं। हमने यहां पचास या साठ मैच ही खेले हैं लेकिन यहां के दर्शकों से हमें बहुत प्यार मिला है और वो हमेशा मेरी बात सुनने के लिए रुकते हैं।’
धोनी ने इस बार बल्लेबाजी के मौके नहीं मिलने के बारे में कहा, इस बार मुझे बल्लेबाजी करने के ज्यादा मौके नहीं मिल रहे हैं। इसकी कोई शिकायत मुझे नहीं है। बल्लेबाज अपना काम अच्छी तरह कर रहे हैं। लेकिन यहां होना अच्छा लगता है।
पथिराना में है कौशल और दम
धोनी ने अपनी देख-रेख में निखर रहे खिलाड़ियों खासकर मथीशा पथिराना की तारीफ करते हुए कहा, उनके पास एक अलग कौशल है। उनका सामना करना मुश्किल है। उनके एक्शन को समझने में वक्त लगता है। भले ही आप उनके खिलाफ हर दिन बल्लेबाजी करें लेकिन हर बार ऐसा लगता है कि आप उनके सामने पहली बार खेल रहे हैं। उनकी गेंदों में विविधता है। उनके पास अच्छी गति है। हम मलिंगा के साथ देक चुके हैं कि इस तरह के एक्शन वाले गेंदबाज क्या कर सकते हैं कि अजीब एक्शन वाले खिलाड़ी अपनी लाइन लेंथ को लेकर बेहद अनुशासित तो उसके खिलाफ लगातार रन बना पाना बेहद मुश्किल होता है। निश्चित तौर पर वो हमारे लिए आखिरी के ओवरों में अच्छी गेंदबाजी कर रहे हैं। वो हमारे लिए एक बड़ा एसेट हैं।
पहले गेंदबाजी का निर्णय करने में हो रही थी हिचक
मैच में टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी के निर्णय के बारे में धोनी ने कहा, यहां पर मैं पहले क्षेत्ररक्षण को लेकर हिचकिचा रहा था क्योंकि मुझे लगा कि ज्यादा ओस नहीं होगी क्योंकि आसमान में बादल छाए थे। जब ओस की संभावना होती है तो आप दूसरी पारी में बल्लेबाजी करना चाहते हैं मैं देख रहा था कि क्या हो रहा है। एक बार स्पिनर्स ने अच्छी लेंथ पर गेंदबाजी करनी शुरू की तब गेंद पिच पर रुककर आ रही थी ऐसे में बल्लेबाजों के लिए अचानक से ऐसी गेंदों का सामना कर पाना मुश्किल हो गया। उसके बाद जब तेज गेंदबाज वापस आए खासकर पथिराना ने शानदार लाइन लेंथ पर गेंदबाजी की। बीच के ओवरों में हमारे लिए मैच बन गया था और आखिरी के तीन चार ओवरों में तेज गेंदबाजों ने बेहतरीन गेंदबाजी की।
गेंदबाजों को देते हैं फील्डिंग सेट करने की आजादी
धोनी ने बताया कि गेंदबाजों को वो फील्डिंग सेट करने की कितनी आजादी देते हैं। उन्होंने कहा, पहली पसंद उनकी होती है कि वो कैसी फील्डिंग लगाना चाहते और गेंद डालना हैं। वो अपनी बात रखते हैं उसके बाद मैं अपनी बात कहता हूं कि मैं ऐसा नहीं सोच रहा था। इसके बाद विकेट के पीछे से मैं देखता हूं कि बल्लेबाज कौन है और क्या वो स्कूप शॉट खेल सकता है तो मैं उन्हें बताता कि एक फील्डर बाहर रखते हैं। किसी और को आगे ले आते हैं। ब्रावो के साथ ये मुश्किल आती थी क्योंकि वो कभी सहमत नहीं होते थे लेकिन एक अच्छी बात यह थी कि वो बल्लेबाज पर पैनी नजर रखते थे। इन युवा खिलाड़ियों को आप बता सकते हैं लेकिन वो जैसी फील्ड रखना चाहते हैं रखते हैं।
मैं सचिन तेंदुलकर नहीं हूं, बूढ़ा हो रहा हूं…
धोनी ने उम्र के इस पड़ाव पर विकेट के पीछे की तेजी का राज बताते हुए कहा, इसके बावजूद आपने मुझे बेस्ट कैच का अवार्ड नहीं दिया। मैं गलत पोजीशन पर खड़ा था उसके बावजूद कैच लपकने में सफल रहा। आप ग्लव्स पहन लेते हैं तो लोगों को लगता है कि कैच लेना आसान होता है। मैं नहीं मानता कि वो प्रयास के नजरिए से बेहतरीन कैच था लेकिन कई बार आप गलत पोजिशन पर होते हैं और गलत वक्त में गलत कैच पकड़ लेते हैं। मुझे अभी याद है कि एक मैच में राहुल भाई (द्रविड़) विकेटकीपिंग कर रहे थे और उन्होंने ऐसा एक कैच पकड़ा था। अपनी स्किल की मदद से आप ऐसे कैच नहीं पकड़ते हैं इसके लिए आपको बेहद गलत जगह पर रहना पड़ता है। इसके अलावा जब आप बूढे होते हैं तभी अनुभवी होते हैं। आप सचिन तेंदुलकर नहीं हैं जिसने 16 साल की उम्र में क्रिकेट खेलनी शुरू कर दी थी। आप निश्चित तौर पर बूढ़े हो रहे हैं तो उसके लिए किस बात की शर्म करना चाहिए।