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रमज़ान के दौरान उपवास रखने के जानिए ये बड़े फायदे

नई दिल्ली। रमज़ान में रोज़ा रखना इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक माना जाता है। यह महीना आत्म-प्रतिबिंब, आत्म-सुधार, दया और आध्यात्मिकता के लिए खास माना गया है। रमज़ान के दौरान जो लोग रोज़ा रखते हैं, वे एक महीने के लिए सूर्योदय से सूर्यास्त तक कुछ भी नहीं खाते या पीते हैं और फिर शाम को इफ्तार के रूप में उपवास को तोड़ते हैं। यह एक तरह की इंटरमिटेंट फास्टिंग हो जाती है। रमज़ान में इस तरह से फास्ट करने के कई फायदे हैं, लेकिन इसे स्वस्थ तरीके से करना ज़रूरी है ताकि सेहत से जुड़ी दिक्कतें न हों।

इंटरमिटेंट फास्टिंग या फिर किसी भी तरह के उपवास के कई फायदे होते हैं। शरीर को डिटॉक्स का मौका मिल जाता है और लंबे समय तक हेल्दी रह सकते हैं। तो आइए जानें कि रमज़ान में रोज़ा रखने से शरीर को किस तरह के फायदे पहुंचते हैं।

– इस महीने के दौरान इंटरमिटेंट फास्टिंग करने से न सिर्फ आपका शरीर जमा हुए फैट्स का इस्तेमाल कर लेता है, बल्कि शरीर से हानिकारक विषाक्त पदार्थ भी साफ हो जाते हैं। आपके पाचन तंत्र को एक महीने का लंबा आराम मिल जाता है, जिससे शरीर प्राकृतिक तरीके से डिटॉक्स करता है और आपको रमज़ान के बाद भी हेल्दी लाइफस्टाइल जीने का मौका मिलता है।

– स्वास्थ्य से जुड़े अध्ययन से पता चलता है कि रमज़ान में रोज़ा रखने से लाल रक्त कोशिकाओं (RBC), सफेद रक्त कोशिकाओं (WBC), प्लेटलेट (PLT) की संख्या और उच्च घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (HDL-c) बढ़ता है। वहीं, रक्त कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (LDL) कम होते हैं।

– एक्सपर्ट्स के मुताबिक, जब आप लंबे समय तक उपवास रखते हैं, तो इससे मेटाबॉलिज़म बेहतर होता है, फैट लॉस होता है और शरीर डिटॉक्स भी होता है।

– शोध में देखा गया है कि इंटरमिटेंट फास्टिंग वज़न घटाने में काफी मददगार साबित हो सकती। कैलोरी का सेवन प्रतिबंधित रहने से फैट्स तेज़ी से कम होते हैं।

– एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि दिन में दो या एक बार खाने से हाई कोलेस्ट्रॉल, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर, मोटापा और यहां तक की मानसिक रोग जैसी क्रोनिक बीमारियों का ख़तरा कम होता है।

– उपवास करने से पेट साफ होता है और आंत मज़बूत होती हैं। शरीर खुद से सफाई करता है, जहां क्षतिग्रस्त कोशिकाएं और ख़तरनाक कण बाहर निकल जाते हैं।

– शोध में देखा गया है कि यह मस्तिष्क की कोशिकाओं की रक्षा करता है, जिससे अवसाद और चिंता का ख़तरा कम होता है।

– फास्ट रखने की सलाह उन लोगों को नहीं दी जाती, जिन्हें ईटिंग डिसऑर्डर होता है, गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान, दवा-नियंत्रित मधुमेह या फिर जो लोग अन्य पुरानी स्वास्थ्य स्थितियों से जूझ रहे हैं।

Disclaimer: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

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