जानिये कैसे व किन मंत्रों के उच्चारण के बाद राजधानी दिल्ली में स्थापित किये गए रामलला
पढ़िए पूरी खबर और जानिये माता "मंजीत" के रामलला वाले वो शक्तिशाली मंत्र
अयोध्या मंदिर : भारत ने जश्न मनाया क्योंकि लोग अपने घरों में दीये जलाकर भगवान राम का स्वागत कर रहे हैं पारंपरिक नागर शैली में निर्मित मंदिर परिसर पूर्व से पश्चिम तक 380 फीट लंबा, 250 फीट चौड़ा और 161 फीट ऊंचा होगा। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी और इसमें कुल 392 खंभे और 44 द्वार होंगे। 20 से अधिक किस्मों के 3,000 किलोग्राम से अधिक फूलों का उपयोग किया गया है।
क्या हुआ “प्राण प्रतिष्ठा” समारोह में ?
राम मंदिर ‘प्राण प्रतिष्ठा’ समारोह
दिन की शुरुआत सुबह की पूजा के साथ हुई और उसके बाद ‘मृगशिरा नक्षत्र’ में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
समारोह में पीएम नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी संतों और प्रतिष्ठित हस्तियों सहित 7,000 से अधिक व्यक्तियों की एक सभा को संबोधित करेंगे।
अभिषेक के एक दिन बाद राम मंदिर के सार्वजनिक उद्घाटन का मार्ग प्रशस्त होगा
जहां एक तरफ़ अयोध्या में राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा समारोह चल रहा था, वहीं दूसरी ओर राजधानी दिल्ली में चमत्कारी माता “मनजीत” राम लला को मंदिर में स्थापित करने की तैयारियों मैं लगी थी ।
न्यूज़ इंडिया 9 से बात चीत के दौरान माता मनजीत के सबसे बड़े बेटे दिलबाग़ सिंह ने बताया कि रामलला को मंदिर में स्थापित करने से पहले माता “मनजीत” ने 8 घंटों की एक विशेष पूजा को प्रबंध किया ।जिसमें माता सहित उनके परिवार की व अन्य महिलाओं ने दूध से राम लला को नहलाकर व मंत्रों का उच्चारण कर पवित्र किया ।
राम लला को मंदिर में स्थापित करने से पहले दूध और घी से 101 बार इन मंत्रों का उच्चारण किया गया :-
- ऊॅं रां रामाय नम:
- ऊॅं रामचंद्राय नम:
- ॐ रामभद्राय नम:
- ॐ जानकी वल्लभाय स्वाहा’ दीन दयाल बिरिदु संभारी, हरहु नाथ मम संकट भारी‘
इन मंत्रों से पहले तक़रीबन 8 घंटों तक माता मनजीत ने माँ काली के मंत्रों का जाप किया। माता “मनजीत” के नेतृत्व में रामलला को दूध से नहलाकर व कुछ विशेष मंत्रों का जाप कर उन्हें माँ काली दुखभंजनी धाम मंदिर में स्थापित किया गया । मंदिर में राम लला की स्थापना के बाद आलू पूरी के भंडारा का आयोजन किया गया,जिसमें स्थानीय लोगों के साथ साथ मंदिर में आने वाले सभी लोगों को प्रसाद के रूप में आलू पूरी का नाश्ता करवा गया।