US में लोकतंत्र पर चर्चा में शामिल हो सकते हैं PM मोदी, चीन को नहीं मिला न्योता
भारत ने अमेरिका की ओर से लोकतंत्र पर अगले महीने 9 से 10 दिसंबर तक होने वाली वर्चुअल समिट के लिए भेजे आमंत्रण को स्वीकार कर लिया है और अब पीएम नरेंद्र मोदी के इस समिट में शामिल होने की उम्मीद है. अमेरिका की ओर से इस ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ के लिए 110 देशों को न्योता भेजा गया है. इस आमंत्रण की सबसे बड़ी बात यह है कि इस समिट में भारत को निमंत्रण भेजा गया, लेकिन चीन को इसमें शामिल नहीं किया गया है.
समाचार एजेंसी एएनआई ने सरकार से जुड़े सूत्र के हवाले से बताया कि अमेरिका की ओर से न्योता मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं. सूत्र ने कहा कि हमे ‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ के लिए न्योता मिला है और स्वीकार कर लिया गया है. इस वर्चुअल मीटिंग में प्रधानमंत्री मोदी शामिल हो सकते हैं.
इस समिट का मकसद डेमोक्रेटिक बैकस्लाइडिंग को रोकना और दुनियाभर में आजादी और स्वतंत्रता में आ रही गिरावट के खिलाफ आवाज उठाना है. साथ ही समिट में लोकतंत्र के सामने आ रही चुनौतियों और मौकों पर फोकस किया जाएगा.
हालांकि इस समिट के लिए राष्ट्रपति जो बाइडेन की योजना भी चुनौती साबित हुई है क्योंकि अमेरिकी प्रशासन इस सवाल से जूझ रहा है कि किन अन्य देशों को आमंत्रित किया जाए और किसे छोड़ दिया जाए. अंतिम गेस्ट देशों सूची उस चुनौती को दर्शाती है जिसमें आमंत्रितों देशों में ब्राजील, फिलीपींस और पोलैंड शामिल हैं जबकि इन सभी देशों ने डेमोक्रेटिक लोकतांत्रिक बैकस्लाइडिंग देखा है.
‘समिट फॉर डेमोक्रेसी’ के लिए भारत को निमंत्रित किया गया है लेकिन इसमें चीन को नहीं बुलाया गया है जबकि इसके धुर-विरोधी ताइवान को न्योता भेजा गया है.
ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि इससे अमेरिका और चीन के बीच विरोध और बढ़ सकता है. फिलहाल अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से जो लिस्ट जारी की गई है उसमें तुर्की और रूस को भी शामिल नहीं किया गया है. तुर्की अमेरिका के नाटो संगठन का सदस्य भी है.
बैठक में भारत के अलावा पाकिस्तान और इराक को शामिल किया गया है लेकिन बांग्लादेश, श्रीलंका और अफगानिस्तान को भी इसमें जगह नहीं दी गई है.
दो दिन तक होने वाली इस वर्चुअल समिट में मिडिल ईस्ट के देशों को भी आमंत्रित किया गया है. बैठक में इराक और इजराजय को जगह मिली है जबकि ईरान को इससे बाहर रखा गया है. हालांकि अरब देशों से सऊदी अरब, जॉर्डन, कतर और यूएई को भी सूची में शामिल नहीं किया गया है. यूरोप से भी अमेरिका ने कई देशों को छोड़ दिया है. यहां से हंगरी को आमंत्रण नहीं मिला है, जबकि पोलैंड को शामिल किया गया है.