सामाजिक सरोकार के रैकेट में फंसी मासूम महिला शिल्पा वर्मा - न्यूज़ इंडिया 9
अपराधदिल्ली/एनसीआर

सामाजिक सरोकार के रैकेट में फंसी मासूम महिला शिल्पा वर्मा

दिल्ली। शिल्पा वर्मा, उम्र करीब 34 साल की मुलाकात रेनू नाम की महिला से हुई। रेनू व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए एनिमल लवर नाम से एनजीओ चलाती थी। शिल्पा जानवरों को बचाने का काम करती है और रेनू से उसका परिचय हुआ और वह एनजीओ में वॉलंटियर के तौर पर काम करने लगी। रेनू ने शिल्पा वर्मा को 10 अप्रैल 2024 को अपने ग्रुप में जोड़ा जिसमें करीब 1018 लोग जुड़े थे। शिल्पा वर्मा का कहना है कि मैं इस ग्रुप से इसलिए जुड़ी क्योंकि जानवरों की सेवा और मदद की जा रही थी और यह एक नेक काम है।

ग्रुप से जुड़ने के बाद शिल्पा भी रेनू के साथ जानवरों पर अत्याचार और दुर्व्यवहार के खिलाफ प्रदर्शन करने जाती थीं। इस तरह शिल्पा का रेनू से जुड़ाव बढ़ने लगा। लेकिन बाद में रेनू ने जानवरों की सेवा के नाम पर अपना यूपीआई अकाउंट इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। एक बार उसने पैसों से तीन हजार रुपये की मूवी टिकट भी खरीदी थी। जब लोगों से उसके अकाउंट में पैसे आते तो वह कहती- तुम्हारे अकाउंट में पैसे आए होंगे, मुझे ट्रांसफर कर दो। वह रेनू को ट्रांसफर करती थी और वह अपना क्यूआर कोड ग्रुपों में और अन्य पैसों के लेन-देन में शेयर करने लगी और उसे रोकना मुश्किल हो रहा था।

लेकिन जब रेनू ने जानवरों पर खर्च करने के बजाय खुद पर फंड खर्च करना शुरू किया, तो उसे समझ में आया कि वह जो नहीं कर रही थी वह सही नहीं था। साजिश और पैसा कमाने का रैकेट नतीजतन, रोहित महक और काजल जो कि एनजीओ के सदस्य भी हैं, ने उस पर ग्रुप में शामिल होने का दबाव बनाना शुरू कर दिया और शिल्पा से कहा, आपको ग्रुप में वापस आ जाना चाहिए। जब ​​उसने उनकी बात नहीं मानी, तो उसे रेनू, काजल, महक और रोहित ने धमकाया। एक साजिश के तहत, उसका मोबाइल नंबर एक पोम वेटनाइट पर था।

उन्होंने एक गिरोह बना लिया और उसे परेशान करने के लिए सभी हदें पार करना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया, धमकी दी गई और उसे बदनाम किया गया धीरे-धीरे उसे आपत्तिजनक कॉल आने लगे और उसका मानसिक उत्पीड़न चरम पर पहुंच गया शिल्पा ने 9 अक्टूबर 2024 को रेनू रोहित और काजल के खिलाफ नजदीकी थाने में शिकायत दर्ज कराई। लेकिन आज तक शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस दौरान उसे डराने के लिए इन सभी लोगों ने श्रीमती मेनका गांधी से मुझे फोन करवाया कि वह यह शिकायत थाने से वापस ले लें और इन पशु प्रेमियों को बदनाम करना बंद करें। नहीं तो वह उसके खिलाफ मानहानि का केस कर देंगे। यह सारी धमकियां मुझे मेनका गांधी ने दी थीं।

उसके बाद गाजियाबाद से पीपुल फॉर एनिमल्स, पीएफए ​​की सदस्य सुरभि रावत ने भी उसे धमकाया और एक धमकी भरा मैसेज भेजा जो उसके पास है। करीब चार महीने हो गए हैं, और थाने द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई और पूरी घटना का विस्तृत विवरण और घटना से जुड़े सभी साक्ष्य वीडियो के साथ पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त के कार्यालय को उपलब्ध कराएं। वह पिछले कुछ महीनों में अवसाद में आ गई है क्योंकि वह यौन और मानसिक उत्पीड़न का सामना कर रही है। इस स्थिति में तत्काल पुलिस हस्तक्षेप और एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता है। बड़ी चिंता तब पैदा होती है जब शिपा जैसी मासूम आत्माओं द्वारा किए गए अच्छे काम दुर्भाग्य से उसे शोषण, उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का शिकार बनाते हैं। उसे इस एनजीओ द्वारा इस्तेमाल और लक्षित नहीं किए जाने का अधिकार है और कोई भी राजनीतिक हस्तक्षेप उस दर्द और समस्याओं को दूर नहीं कर सकता है जिसका सामना उसने एनजीओ पशु प्रेमियों के साथ किया है।

रिपोर्ट : सत्यबीर सिंह

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